एसओजी हर स्तर पर रीट प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने में सक्षम - संसदीय कार्यमंत्री
जयपुर, 14 फरवरी। संसदीय कार्यमंत्री श्री शांती कुमार धारीवाल ने कहा है कि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) हर स्तर पर रीट प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने में और दोषियों को सजा दिलवाने में पूरी तरह से सक्षम है, इसलिए विपक्ष को इसकी जांच पर पूर्ण रूप से विश्वास करना चाहिए। श्री धारीवाल सोमवार को विधान सभा में रीट प्रकरण पर आयोजित विशेष चर्चा में गृह मंत्री की ओर से अपना जवाब दे रहे थें।
उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से ऐसा कोई भी तथ्य नहीं दिया गया है, जो यह साबित करे कि प्रकरण में एसओजी की जांच गलत दिशा में जा रही है। अगर एसओजी सही तरह से जांच नहीं करें, तो ही विपक्ष की मांग जायज होती। उन्होंने सदन को बताया कि विपक्ष रीट प्रकरण में सीबीआइ की जांच केवल इसलिए चाहता है ताकि सीबीआइ यहां आकर बोर्ड ऑफिस, स्टॉंग रूम इत्यादि को सील कर दिल्ली चली जाएं और सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया रूक जाये।
श्री धारीवाल ने कहा कि विपक्ष जब सत्ता में था, तब भी पेपर लीक प्रकरणों की जांच एसओजी को ही दी गई थी। उन्होंने प्रतिपक्ष के सदस्यों से कहा कि जब विपक्ष के समय में पेपर लीक के 25 मामलें दर्ज हुए थे, तो उनकी जांच एसओजी को क्यों दी? सीबीआइ को क्यों नहीं दी? उन्होंने कहा आरएएस-2014, आरजेएस-2014, एलडीसी-2014 और राजस्थान यूनिवर्सिटी के सात परीक्षाओं के मुकदमें इत्यादि को एसओजी का ही दिए गए। साथ ही, विपक्ष के समय में 2016 व 2018 में रीट पेपर लीक मामलें एसओजी को देने की जगह सामान्य पुलिस को दिए गए। उन्होंने कहा कि यहां तक कि केन्द्र सरकार ने भी तीन पेपर लीक प्रकरणों में एक मामले को ही सीबीआइ को दिया। परन्तु उक्त एक प्रकरण में भी कोई निर्णय ही नहीं हो पाया।
उन्होंने कई पेपर लीक प्रकरणों का उदाहरण दिए जिनमें राज्य ने एसटीएफ को जांच दी है, ना की सीबीआइ को। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा-2021 में कई जगह पेपर लीक हुआ। उक्त प्रकरण में भी जांच एसटीएफ को दी गई। इस परीक्षा में 21 लाख परीक्षार्थियों ने आवेदन किया था। आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट भी जांच के लिए एसटीएफ गठित करती है और सीबीआइ को जांच नहीं दी जाती है।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि पहली बार सेवानिवृत्त व निजी शिक्षण संस्थानों से संबंधित व्यक्तियों को परीक्षा के आयोजन में समन्वयक व सह-समन्वयक के रूप में नियोजित किया गया है, यह पूर्ण रूप से असत्य है। विपक्ष के शासन काल में भी कई निजी संगठनों के प्रतिनिधियों को परीक्षा कार्यक्रम हेतु नियोजित किया गया था।
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