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जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की विशेष उपलब्धि : प्रदेश के सभी जिलों में पेयजल जांच प्रयोगशालाओं को मिला ’’एनएबीएल एक्रीडिशन’’ - प्रदेश में पेयजल गुणवत्ता जांच सुविधाओं के विस्तार पर सतत फोकस - जलदाय मंत्री


- विशिष्ट उपलब्धि पर दी विभागीय टीम को बधाई, सुधारात्मक प्रयास निरंतर जारी रहे

जयपुर, 17 जनवरी। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) के तहत प्रदेश में पेयजल गुणवत्ता जांच के लिए समस्त जिलों में संचालित पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं के श्एनएबीएल एक्रीडिशनश् का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। पीएचईडी में राजधानी जयपुर में मुख्यालय पर राज्य स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला स्थापित है, इसके अलावा अन्य 32 जिलों मंह जिला स्तरीय प्रयोगशालाएं चलाई जा रही है। अब इन सभी 33 प्रयोगशालाओं को राष्ट्रीय स्तर की स्वतंत्र संस्था ’’नेशनल एक्रीडिशन बोर्ड फोर टेस्टिंग एंड केलिब्रेशन लेबोरेट्रीज’’ (एनएबीएल) से प्रमाणीकरण मिल गया है।

जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की मंशा और मार्गदर्शन के अनुरूप राज्य के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों मे आमजन को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पीएचईडी द्वारा पीने पानी की गुणवत्ता जांच से सम्बंधित सुविधाओं के विस्तार पर लगातार फोकस किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों को पूरे प्रदेश संचालित पेयजल योजनाओं के माध्यम से जनता को नियत समय पर निर्धारित मात्रा में गुणवत्ता युक्त शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए सुधारात्मक प्रयास निरतंर जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं।

देश में एनएबीएल (नेशनल एक्रीडिशन बोर्ड फोर टेस्टिंग एंड केलिब्रेशन लेबोरेट्रीज) जांच प्रयोगशालओं के प्रमाणीकरण के लिए राष्ट्रीय स्तर की एक स्वतंत्र संस्था है। इसके द्वारा आईएसओ/आईईसीः17025 के तहत परीक्षण प्रयोगशालाओं को एनएबीएल प्रमाणीकरण दिया जाता है। यह संस्था भारत सरकार में ’’क्वालिटी काऊंसिल ऑफ इंडिया’’ के तहत स्थापित है, जो लेबोरेट्रीज के श्एनएबीएल एक्रीडिशनश्के लिए थर्ड पार्टी एजेंसी के रूप में प्रयोगशालाओं की लीगल आईडेंटिटी, इसमें कार्यरत मानव श्रम की संख्या के साथ ही उनकी योग्यता और अनुभव, उपकरणों के समयबद्ध केलिब्रेशन (जांच में दक्षता की परख) आदि बिन्दुओं के आधार पर ’’परफोरमेंस ऑडिट’’ के बाद प्रमाणीकरण करती है। प्रदेश में पेयजल प्रयोगशालाओं के ’’एनएबीएल एक्रीडिशन’’ के लिए पीएचईडी में सम्बंधित कार्यालय के स्तर से एनएबीएल में प्रयोगशालाओं के एक्रीडिशन के लिए आवेदन किया जाता है। इसके बाद निर्धारित नाम्र्स के अनुरूप ऑडिट होती है।

प्रदेश में सभी जिलों में चल रही गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं ने इस निर्धारित प्रक्रिया से गुजरते हुए एनएबीएल प्रमाणीकरण प्राप्त किया है। इस विशिष्ट उपलब्धि के लिए जलदाय मंत्री डॉ. जोशी ने सभी विभागीय अधिकारियों विशेष रूप से मुख्य रसायनज्ञ और जिलों में कार्यरत कैमिस्ट विंग की टीम को बधाई दी है।

आमजन को 16 बिन्दुओं पर गुणवत्ता जांच 600 रुपये में

जलदाय मंत्री ने बताया कि मौजूदा सरकार द्वारा आमजन के स्तर पर पेयजल गुणवत्त जांच को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत सभी नागरिकों के लिए 16 बिंदुओं पर आधारित पेयजल गुणवत्ता परीक्षण की दर 1000 रुपये से घटाकर 600 रुपये की गई है। इससे प्रदेश की सभी ’’एनएबीएल एक्रीडेटेड’’ जिला स्तरीय गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं में लोगों को फलोराइड, नाईट्रेट, थर्माे टॉलरेंट कॉलीफॉर्म बैक्टिरिया, टोटल कोलोफॉर्म बैक्टेरिया, आर्सेनिक, आयरन, सल्फेट, क्लोराइड, रेजिड्यूअल क्लोरिन, टोटल हार्डनेस, टोटल अल्केलिनिटी, टर्बिनिटी, टोटल डिजोल्वड सॉलिड, पीएच, कलर और ऑडर के 16 बिन्दुओं पर आधारित गुणवत्ता जांच की सुविधा मुहैया कराई जा रही है।

ब्लॉक्स पर 102 नई प्रयोगशालाएं, कैमिस्ट कैडर में नए पद भी मंजूर

डॉ. जोशी ने बताया कि प्रदेश में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2024 तक सभी परिवारों को ’’हर घर जल’’ कनेक्शन उपलब्ध कराने के साथ ही वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग एंड सर्विलियंस (डब्ल्यूक्यूएमएस) प्रोगाम में पेयजल गुणवत्ता की दृष्टि से राज्य सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में चालू वित्तीय वर्ष में 102 नई ब्लॉक स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाएं भी स्थापित होगी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश में पेयजल गुणवत्ता जांच से सम्बंधी कार्यों में और अधिक सघनता के लिए पीएचईडी में मुख्य रसायनज्ञ कार्यालय के तहत 10 नवीन पदों के सृजन को भी मंजूरी दी है। इनमें मुख्य रसायनज्ञ का एक अतिरिक्त पद, अधीक्षण रसायनज्ञ के 3 तथा वरिष्ठ रसायनज्ञ के 6 पद शामिल है।

पानीपेच में राज्य स्तरीय प्रयोगशाला का नया भवन

जलदाय मंत्री ने बताया कि प्रदेश में डब्ल्यूक्यूएमएस के तहत वर्ष 2020-21 की वार्षिक योजना में 67 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। इसके तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही राज्य के 353 पंचायत समिति मुख्यालयों में से 102 में ब्लॉक स्तरीय पेयजल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाएं स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने बताया कि पीएचईडी के तहत जयपुर में चल रही राज्य स्तरीय प्रयोगशाला का नया भवन बनाने के लिए 3 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है, स्टेट लेबोरेट्री का यह भवन पानीपेच में बनाया जाएगा, इसके लिए स्थान चिह्वित कर लिया गया है। सभी प्रयोगशालाओं में आवश्यकता अनुसार अपग्रेडेशन का कार्य भी प्रगति पर है।

ग्राम पंचायतों में ’’फील्ड टेस्टिंग किट’’ का वितरण

डॉ. जोशी ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्वीकृत परियोजनाओं में ’’हर घर जल’’ कनेक्शन के माध्यम से स्वच्छ एवं गुणवत्तापूर्ण पेयजल आपूर्ति की मॉनिटरिंग के लिए 11 हजार 343 ग्राम पंचायतों में वितरण के लिए 12 हजार से अधिक ’’फील्ड टेस्टिंग किट’’ की खरीद की गई है। अब तक करीब 8 हजार ’’फील्ड टेस्टिंग किट’’ का वितरण किया जा चुका है। ’’फील्ड टेस्टिंग किट’’ का उपयोग करते हुए राज्य के 43 हजार 323 गांवों में गठित ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी-विलेज वाटर एंड सेनिटेशन कमेटी) के सदस्य जेजेएम में ’’हर घर जल’’ कनेक्शन के माध्यम से पेयजल आपूर्ति में गुणवत्ता की समयबद्ध जांच कर सकेंगे। 

इसके लिए वीडब्ल्यूएससी के सदस्यों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसके अलावा पीएचईडी में जिला, सर्किल एवं खण्ड स्तर के सभी अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे ’’फील्ड टेस्टिंग किट’’ को हमेशा अपने वाहन में रखे तथा अपनी फील्ड विजिट के दौरान स्थानीय लोगों की मौजूदगी में पेयजल के नमूनों की जांच आवश्यक रूप से करे। सभी अधिकारियों को पेयजल नमूनों की जांच एवं इस सम्बंध में प्रशिक्षण गतिविधियों के लिए भी ’’फील्ड टेस्टिंग किट’’ दी जा रही है।

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