राज्य स्तरीय बाल अधिकार सप्ताह का शुभारंभ : बच्चों को हो देश के गौरवशाली इतिहास की जानकारी - मुख्यमंत्री
जयपुर, 14 नवम्बर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि बच्चों एवं युवा पीढ़ी को देश के गौरवशाली इतिहास की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इतिहास की जानकारी के बिना हम नया इतिहास नहीं बना सकते। हमारी भावी पीढ़ी इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम दर्ज कराए, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें देश की संस्कृति, महापुरूषों के आदर्शों, संघर्ष, त्याग, बलिदान एवं समर्पण की जानकारी हो।
श्री गहलोत रविवार को बाल दिवस पर मुख्यमंत्री निवास से राज्य स्तरीय बाल अधिकार सप्ताह के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ एक संस्कारवान पीढ़ी तैयार करना सरकार के साथ-साथ समाज की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मुझे युवावस्था में ही वर्धा स्थित गांधी सेवा ग्राम आश्रम में प्रशिक्षण लेने का सुअवसर मिला। वहां से प्राप्त संस्कार आज तक मेरा मार्गदर्शन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के बच्चों और युवाओं में नैतिक मूल्यों तथा गांधीवादी जीवन दर्शन के प्रसार के लिए शांति एवं अहिंसा निदेशालय की स्थापना की है। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज तथा पुणे स्थित महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी स्कूल ऑफ गवर्नेंस जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की तर्ज पर जयपुर में महात्मा गांधी दर्शन म्यूजियम एवं महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एवं सोशल साइंसेज की स्थापना की गई है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों के लिए पुरस्कार प्रांरभ किए गए हैं।
श्री गहलोत ने कहा कि बाल श्रम के उन्मूलन के लिए सामाजिक जन-जागरूकता बहुत जरूरी है। समय-समय पर संगोष्ठियों, परिचर्चाओं एवं सेमिनार आदि के आयोजन से बाल अधिकारों के प्रति चेतना लाई जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बाल हितों के संरक्षण के क्षेत्र में सरकार आगे बढ़कर काम कर रही है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी इस दिशा में प्रभावी भूमिका निभा रहा है। हमारा प्रयास है कि प्रदेश में कोई बच्चा अपने अधिकारों से वंचित न रहे। उन्हें आगे बढ़ने के हर अवसर सुलभ हों।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू, संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर, सरदार पटेल, मौलाना आजाद जैसे महान नेताओं ने देश की आजादी तथा आधुनिक भारत के निर्माण के लिए अथक संघर्ष किया। बच्चों और युवाओं को उनके योगदान से प्रेरणा लेनी चाहिए।
शिक्षा राज्यमंत्री श्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। राज्य सरकार बच्चों को शिक्षा से जोड़ने, उनके पोषण एवं स्वास्थ्य की रक्षा के लिए संकल्पित भाव से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय शिक्षा का अधिकार अधिनियम लाकर बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षा से जोड़ने की अभूतपूर्व पहल की गई। राज्य में बाल अधिकारों के संरक्षण की दिशा में हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री राजेन्द्र यादव ने कहा कि बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए सामाजिक जागरूकता सबसे कारगर उपाय है। हमें बच्चों को शोषण से बचाने के लिए उन्हें शिक्षा से जोड़ना होगा। ऎसे उद्योगों को हतोत्साहित करना होगा, जहां जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में बाल श्रम कराया जाता है।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती संगीता बेनीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री की पहल पर राज्य में बाल अधिकार संरक्षण की दिशा में प्रभावी काम हो रहा है। आयोग द्वारा बाल अधिकारों को लेकर जागरूकता के कार्यक्रम निरन्तर चलाए जा रहे हैं। श्रीमती बेनीवाल ने बाल अधिकार सप्ताह के तहत आयोजित की जाने वाली गतिविधियों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वैज्ञानिक एवं दूरदर्शी सोच के साथ आधुनिक भारत के निर्माण की नींव रखी। उन्होंने बच्चों के प्रति विशेष स्नेह रखते हुए उनके विकास और उत्थान के लिए सरकार की योजनाओं में विशेष प्रावधान सुनिश्चित किए। भारत के विकास में उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि देश के बेहतर भविष्य के लिए हर बच्चे तक गुणवत्तायुक्ता शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
शासन सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता श्री समित शर्मा ने बताया कि सप्ताह के दौरान चित्रकला प्रतियोगिता, शिक्षाप्रद फिल्मों का प्रदर्शन, मैराथन दौड़, चिकित्सा शिविर सहित विभिन्न रचनात्मक एवं जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
शान्ति एवं अहिंसा निदेशालय के निदेशक श्री मनीष शर्मा ने गांधी दर्शन शिविरों के संबंध में जानकारी दी। कार्यक्रम में बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले तीन व्यक्तियों एवं तीन संस्थाओं को नेहरू बाल संरक्षण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। व्यक्तिगत श्रेणी में प्रथम पुरस्कार बीकानेर की श्रीमती अरूणा भार्गव, द्वितीय पुरस्कार डूंगरपुर के श्री भरत नागदा को एवं तृतीय पुरस्कार नागौर के श्री मनोज कुमार सोनी को दिया गया। संस्थान श्रेणी में प्रथम पुरस्कार जोधपुर के नवजीवन संस्थान को, द्वितीय पुरस्कार जयपुर के एसओएस चिल्ड्रन विलेज को और तृतीय पुरस्कार टाेंक की शिव शक्ति शिक्षा समिति को प्रदान किया गया।
इस अवसर पर बाड़मेर बस दुर्घटना में साहस का परिचय देते हुए यात्रियों की मदद करने वाले श्री चैनाराम, श्री घीसूलाल, श्री डूंगरराम, श्री बाबूराम, श्री जुगताराम, श्री भूरसिंह, श्री रमेश, श्री सुरेश, श्री गौतम गहलोत और श्री जनक गहलोत का अभिनन्दन किया गया। साथ ही, बाल देखरेख संस्थानों के मेधावी बालक-बालिकाओं का भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने करौली के गुड़ला तथा जयपुर के पिपलोद में देवनारायण आवासीय विद्यालय का लोकार्पण किया। साथ ही, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की वेबसाइट को लॉन्च किया तथा बाल अधिकार सप्ताह के पोस्टर का विमोचन किया।
इस अवसर पर राज्य बाल अधिकार आयोग के सदस्य, बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं के पदाधिकारी, बच्चे तथा गांधीवादी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। प्रदेश के विभिन्न जिलों के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारी आदि भी वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़े।
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