मुख्यमंत्री ने लिखा पंजाब के सीएम को पत्र : औद्योगिक अवशिष्ट एवं अशोधित जल की समस्या का हो समयबद्ध रूप से निराकरण - मुख्यमंत्री
जयपुर, 21 अक्टूबर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने पंजाब के मुख्यमंत्री श्री चरणजीत सिंह चन्नी को पत्र लिखकर सतलज नदी का प्रदूषित पानी हरिके बैराज में छोड़े जाने एवं इससे पंजाब व राजस्थान दोनों राज्यों के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव के संबंध में उनका ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने इस प्रकरण में पंजाब के मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर सतलज नदी में प्रदूषित औद्योगिक अवशिष्ट एवं मल प्रवाहित किए जाने की समस्या के समयबद्ध तरीके से समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करने का आग्रह किया है।
श्री गहलोत ने पत्र में लिखा है कि 25 जुलाई, 2019 को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक के दौरान इस समस्या पर चर्चा हुई थी। पंजाब से आने वाले प्रदूषित जल की समस्या विशेषकर नहरबंदी के बाद नहरों को फिर से खोले जाने के समय एवं पानी की आपूर्ति का स्तर कम होने के समय सर्वाधिक होती है।
राजस्थान फीडर के पानी का उपयोग सिंचाई के अलावा पश्चिमी राजस्थान के 10 जिलों में करीब पौने दो करोड़ लोगों के पीने में भी होता है। ऎसे में लोगों के स्वास्थ्य पर इस प्रदूषित जल का विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा कि पंजाब ने सतलज नदी में प्रदूषण की समस्या के निराकरण के लिए एक विस्तृत कार्य-योजना बनाई है और वहां के मुख्य सचिव इसके क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा स्वयं कर रहे हैं। यह एक अच्छा कदम है। उन्होंने लिखा कि अशोधित जल एवं औद्योगिक अवशिष्ट सतलज एवं इसकी सहायक नदियों में सीधे नहीं छोड़ा जाए।
श्री गहलोत ने उम्मीद जताई कि दोनों राज्यों के लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर पंजाब की तरफ से सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
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