देश में पेयजल हेतु भूजल का लगातार दोहन चिंतनीय विषय - सांसद राज्यसभा
जयपुर, 11 अगस्त। राज्यसभा सांसद श्री नीरज डांगी के लिखित प्रश्न के जवाब में केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि वर्ष 2015 में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता का आकलन 1545 घन मीटर प्रति वर्ष के रूप में किया गया था और केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2021 में उपलब्धता 1486 घन मीटर तक कम हो जाएगी। वर्ष 2020 में किए गए आकलन के अनुसार, सभी उपयोगों के लिए वार्षिक भू-जल निष्कर्षण 245 बीसीएम है जिसमें से 10 प्रतिशत का उपयोग देश की शहरी और सहित ग्रामीण क्षेत्रों में, घरेलू प्रयोजन के लिए किया गया है।
केन्द्रीय जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने बताया कि सरकार द्वारा देश में भू-जल के ईष्टतम उपयोग, वर्षा-जल संचयन को बढ़ावा देने और भू-जल का पुनर्भरण सहित भू जल प्रबंधन हेतु कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे है। केन्द्रीय भू-जल बोर्ड द्वारा राज्यों के साथ विचार विमर्श करके भू-जल के कृत्रिम पुनर्भरण हेतु मास्टर प्लान - 2020 तैयार किया गया है। मास्टर प्लान में मानसून की वर्षा के लिए 185 बिलियन घन मीटर (बीसीएम) मात्र का उपयोग करने के लिए देश में लगभग 1.42 करोड़ वर्षा जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण करना परिकल्पित है। कार्यान्वयन केवल मौजूदा स्कीमों के माध्यम से किया जाना प्रस्तावित किया गया है और कार्यान्वयन के लिए कोई अलग से स्कीम एवं निधि परिकल्पित नहीं की गई है। साथ ही केन्द्रीय भू-जल प्राधिकरण ने देश के सभी राज्यों के लिए अनिवार्य वर्षा जल संचयन, क्षत पर वर्षा जल संचयन सरंचनाओं को स्थापित करने एवं भू-जल का निष्कर्षण करने के लिए ‘अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रदान करते समय, केन्द्रीय भू-जल प्राधिकरण द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देशों के अनुसार अनिवार्य वर्षा जल संचयन जांच लेना आवश्यक कर दिया है।
उल्लेखनीय है राज्यसभा सदस्य श्री नीरज डांगी ने देश में पेयजल हेतु भूजल के लगातार दोहन पर चिन्ता व्यक्त करते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री से लिखित प्रश्न के माध्यम से पूछा कि देश में 80 प्रतिशत से अधिक शहरी घरेलू जलापूर्ति अकेले भूजल के माध्यम से की जाती है तो क्या यह प्रत्याशित है कि राष्ट्रीय स्तर पर जल की मांग आपूर्ति की तुलना में दुगुनी होगी और सरकार द्वारा बोरवेल और टैंकरों के मध्यम से जलापूर्ति पर निर्भरता को कम करने और वर्षा जल संचयन और भूजल पुनर्भरण की उपयुक्त पद्धतियों में निवेश को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी चाही गई थी। साथ ही श्री डांगी ने देश में विगत पांच वर्षाे में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में कमी का का भी विस्तृत ब्यौरा मांगा था।
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