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बाल श्रम मुक्त राजस्थान की संकल्पना को संयुक्त प्रयास से करें साकार - मुख्य सचिव


जयपुर, 17 अगस्त। मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि स्वतन्त्रता के 75 वषोर्ं के उपरांत भी बाल श्रम की कुरीति आज भी हमारे समक्ष सामाजिक चुनौती बनकर खड़ी है। बाल श्रम मुक्त राजस्थान बनाने के लिए हमें सरकार के साथ सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से संयुक्त प्रयास कर संकल्पना को साकर करना होगा।

श्री आर्य मंगलवार को यहां शासन सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बचपन बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधियों के साथ श्रम, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता,शिक्षा व पुलिस विभाग के अधिकारियों सहित बाल श्रमिकों के पुनर्वास की समीक्षा कर रहे थे।

बाल श्रमिकों का चिन्हीकरण पहली प्राथमिकता

मुख्य सचिव ने कहा कि बाल श्रम उन्मूलन के लिए सर्वप्रथम बाल श्रमिकों का चिन्हीकरण करने की आवश्यकता है। इसके बाद उनका व्यावहारिक तौर पर पुनर्वास करना चुनौती है। उन्होंने श्रम,शिक्षा,सामाजिक न्याय,गृह एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों को संयुक्त कमेटी बनाकर उन्मूलन के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि बाल श्रम कानून-1986 (निषेध एवं विनियमन) की कड़ाई से पालना सुनिश्चित की जाये। उन्होंने निर्देश दिये कि बंधुआ मजदूरी और घरेलू बाल मजदूरी पर प्रतिबंध लगाने के लिए उद्योगों घरों एवं प्रतिष्ठानों को चिन्हित करने के लिए सर्वे करें। उन्होंने सामाजिक संस्थाओं के सहयोग की सराहना करते हुए बचपन बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधियों से प्राप्त सुझावों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सभी जिला कलक्टर पूरी संवेदनशीलता के साथ विभागों के समन्वय से बाल श्रम मुक्ति का प्रयास करें। 

बैठक में वन एव पर्यावरण विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती श्रेया गुहा एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा के साथ वीसी के माध्यम से अन्य अधिकारी और सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि भी जुडे थे।

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