ट्रांसजेंडर्स को आत्मनिर्भर बनाने और समाज की मुख्य धारा में लाने का मामला राज्य सभा उठा
जयपुर, 28 जुलाई। राज्यसभा सांसद श्री नीरज डांगी ने बुधवार को राज्यसभा में ट्रांसजेंडर्स और दिव्यांग महिलाओं की सामाजिक समस्याओं और उनके निराकरण के मामलों को उठाया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री ए. नारायण स्वामी ने राज्यसभा में बताया कि ट्रांसजेण्डर व्यक्ति भेदभाव की परिवार से निष्कासन गरिमापूर्ण जीवन यापन का अभाव, स्वास्थ्य आश्रय, कल्याण एवं रोजगार के लिए अपर्याप्त पहुंच जैसी समस्याओं के समाधान के लिए भारत सरकार ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2018 अधिनियमित किया है और उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियमावली, 2020 जारी की है। इनमें पहचान का प्रावधान, भेदभाव के विरुद्ध संरक्षण का अधिकार और राज्य तथा केन्द्रीय सरकारों द्वारा कल्याण उपायों के प्रावधान से संबंधित समस्याओं का समाधान किया गया है।
केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के संबंध में नीतियों, कार्यक्रमों, विधान एवं उनसे संबंधित परियोजनाओं के बारे में सलाह देने हेतु राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर व्यक्ति परिषद की स्थापना अगस्त 2020 में की गई थी।
उन्होंने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने 25 नवम्बर, 2020 को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पोर्टल की शुरूआत की है। इस राष्ट्रीय पोर्टल के माध्यम से कोई भी ट्रांसजेंडर व्यक्ति पहचान प्रमाण पत्र और पहचान पत्र जारी करने वाले कार्यालय में उपस्थित हुए बिना इन्हें प्राप्त कर सकते हैं। ट्रांसजेंडर व्यक्ति देश में कहीं से भी पहचान प्रमाण पत्र हेतु आवेदन कर सकते हैं और यह आवेदन पत्र, पहचान पत्र जारी करने हेतु सक्षम प्राधिकारी के पास उनके इनबॉक्स में सीधे ही पंहुच जाता हैं यह प्रमाण पत्र जारी होने पर आवेदक इसे स्वयं डाउनलोड कर सकता है।
केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 12 पायलट आश्रय गृहों की शुरूआत की है और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए ‘‘गरिमा गृह नामक आश्रम गृहों की स्थापना करने के लिए समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई है। ये पायलट आश्रय गृह महाराष्ट्र, दिल्ली पश्चिम बंगाल राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और ओडिशा राज्यों में हैं। इन आश्रय गृहों की स्थापना जरूरतमंद ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सुरक्षित एवं संरक्षित आश्रय प्रदान करना है। इन आश्रय का मुख्य उद्देश्य गृहों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को भेजन, आवास, चिकित्सा देखभाल, मनोरंजन जैसी आधारभूत सुविधाएं दी जाएंगी और साथ ही ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए क्षमता निर्माण / कौशल विकास कार्यक्रमों का संचालन भी किया जाएगा।
इसी प्रकार सांसद श्री नीरज डांगी के एक अन्य प्रश्न के माध्यम से दिव्यांग महिलाओं को शिशु देखभाल हेतु किये जा रहे भत्ते के भुगतान एवं विगत तीन वषोर्ं के दौरान इस भत्ते में की गई बढ़ोतरी के जवाब में केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि केन्द्र सरकार में कार्यरत दिव्यांग महिलाओं (जिनकी दिव्यांगता 40 प्रतिशत या उससे अधिक है) को 3000 रूपये प्रतिमाह शिशु देखभाल भत्ता दिया जाता है। यह भत्ता बच्चे के जन्म के समय से लेकर बच्चे की उम्र दो साल होने तक देय है। यह योजना केन्द्र सरकार के कर्मचारी जो राजस्थान सहित भारत के किसी भी स्थान पर कार्य कर रही दिव्यांग महिलाओं के लिए लागू है।
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