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अब खातेदारों के रजिस्टर्ड सहमतिधारकों को भी खनन पट्टा व क्वारी लाइसेंस, स्थानीय स्तर पर बढ़ेगा रोजगार व निवेश


जयपुर, 21 जुलाई। राज्य में अब निजी खातेदारी में खातेदारों के रजिस्टर्ड सहमतिधारकों को भी खनन पट्टा और क्वारी लाइसेंस जारी किए जा सकेंगे।

खान मंत्री श्री प्रमोद जैन भाया ने बताया कि नए प्रावधानों की अधिसूचना जारी कर खान विभाग की बजट घोषणा को अमली जामा पहनाया गया है। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही आवश्यक संशोधन करने से खनन गतिविधियां और अधिक पारदर्शी, गतिशील व सहभागितापूर्ण बनाई गई है। इससे राज्य में खातेदारी भूमि पर खनन गतिविधियों में स्थानीय युवा भागीदारी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि संशोधन से पहले निजी खातेदारी में खातेदार को ही खनन अनुमति मिलती थी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार ने राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन रुल्स, 2017 ‘‘आरआरएमसी रुल्स‘‘ में आवश्यक संशोधन कर नए प्रावधान लागू कर दिए हैं। इससे राज्य में खनिज व खनन विकास की विपुल संभावनाएं धरातल पर आकार ले सकेंगी। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही खानों की ऑक्शन प्रक्रिया को और अधिक व्यावहारिक बनाया गया है जिससे ऑक्शन के विफल करने के प्रयासों पर भी रोक लग सकेगी।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा कर निजी खातेदारी भूमि में खातेदार के रजिस्टर्ड सहमति धारक को भी खनन पट्टा और क्वारी लाइसेंस का आवंटन किया जाना प्रस्तावित किया था। मुख्यमंत्री श्री गहलोत की इस पहल से अब निजी खातेदारी में सहमति के आधार पर खनन क्षेत्र में विशेषज्ञों की भी भागीेदारी सुनिश्चित हो सकेगी। इससे राज्य में निजी खातेदारी मेंगुणवत्तापूर्णखनन, विशेषज्ञ सेवाएं, स्थानीय स्तर पर अधिक रोजगार, खनन क्षेत्र में निवेश, खनिज विकास और राज्य सरकार को अधिक राजस्व मिल सकेगा। इसके साथ ही निजी खातेदारों को भी निश्चित व अधिक आय मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि इससे प्रदेश मेंगुणवत्तापूर्णखनन के साथ ही रोजगार और निवेश के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे।

अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. अग्रवाल ने बताया कि खातेदारी भूमि पर खनन कार्य में सहमतिधारक की भागीदारी से वैज्ञानिक तरीके से खनन होगा और खनन गतिविधियों में नई तकनीक का प्रयोग होने से अधिक लाभ व राजस्व मिलेगा। एक मोटे अनुमान के अनुसार राज्य में लगभग 2 हजार खनन पट्टे या क्वारी लाइसेंस जारी होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि नए प्रावधानों से खानों की नीलामी प्रक्रिया को विफल करने के प्रयासों पर भी रोक लगाने की व्यवस्था की गई है।

उन्होंने बताया कि कई बार बोलीदाताओं द्वारा उच्च बोली लगाकर नीलामी प्रक्रिया को पूरा होने के बाद उसके बाद की औपचारिकताएं पूरी नहीं कर नीलामी को विफल करने पर भी रोक लग सकेगी। इसी तरह से पहली बार में नीलामी के दौरान दो से कम बोली आने पर दुबारा नीलामी की स्थिति में भी दो से कम बोली आने की स्थिति में नीलामी को निरस्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी तक इस तरह की स्थितियां जानबूझकर लाई जाती रही है और इससे वैध खनन गतिविधियां प्रभावित होती है।

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