ओवरबर्डन डम्प्स प्लॉटों की डेलिनियेशन की कार्यवाही होगी तत्काल आरंभ, एम सेंड नीति क्रियान्वयन के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी - माइसं मंत्री
जयपुर, 15 जुलाई। माइंस, पेट्रोलियम एवं गोपालन मंत्री श्री प्रमोद जैन भाया ने राजकीय भूमि पर उपलब्ध ओवरबर्डन डम्प्स के प्लॉटों की डेलिनियेशन की कार्यवाही तत्काल आरंभ करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्लॉटों के डेलिनियेशन के लिए संबंधित खनि अभियंता, सहायक खनि अभियंता वरिष्ठ भू वैज्ञानिक एवं भू वैज्ञानिक अपने तकनीकी कार्मिकों के साथ संयुक्त निरीक्षण कर ओवरबर्डन की कुल मात्रा आदि के आधार पर एम सेंड के लिए उपयोगी प्लॉटों का चिन्हीकरण करें ताकि एम सेंड इकाइयों की स्थापना को गति मिल सके।
श्री भाया ने बताया कि राज्य में मैन्यूफेक्चर्ड सेंड के रुप में बजरी का सस्ता, सुगम और मजबूत विकल्प उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने एम-सेंड इकाइयों को उद्योग का दर्जा देने के साथ ही राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना, 2019 के तहत परिलाभ भी देने का निर्णय किया है। इससे राज्य में बजरी के विकल्प की नई एम सेंड इकाइयाें की स्थापना, निवेश और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
माइंस मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा एम सेंड नीति के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। राज्य के खनन क्षेत्रों में उपलब्ध ओवर बर्डन डम्प्स का विवरण विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध कराने के साथ ही मानक गुणवत्ता की एम सेंड बनाने वाली इकाईयों की सूचना भी विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं ताकि इच्छुक निवेशकों व आमनागरिकों को संबंधित जानकारी सहजता से उपलब्ध हो सके।
श्री भाया ने बताया कि राज्य की एम-सेंड पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य आमनागरिकों को बजरी का सस्ता और मजबूत विकल्प उपलब्ध कराने के साथ ही खनन क्षेत्रों के ओवरबर्डन का उत्पादन कार्य में उपयोग, नदियों से बजरी की निर्भरता में कमी लाने, पारिस्थितिकीय तंत्र में सुधार, खनिज संसाधनों का बेहतर उपयोग और खनिज आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध होंगे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा एम सेंड के क्रियान्यन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि ओवरबर्डन डम्प्स के प्लॉट डेलिनियेट करते समय एम सेंड इकाई के लिए लगभग 2 हेक्टेयर भूमि अतिरिक्त शामिल करने को कहा गया है। इसके साथ ही पूर्व स्थापित इकाई के पास कच्चा माल आपूर्ति का स्रोत नहीं होने की स्थिति में कुछ प्लाटों का बिना अतिरिक्त राजकीय भूमि को सम्मिलित कर डेलिनियेट करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि 3 लाख टन वार्षिक क्षमता की एम सेंड इकाई के लिए चार लाख टन ओबरबर्डन डम्प्स की आवश्यकता सालना मानते हुए 10 साल की अवधि क लिए 4 मिलियन टन ओवरबर्डन डम्प्स का चयन करते हुए प्लाट डेलिलिनयेट किया जाएगा।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि एम सेंड इकाई के लिए प्लॉटों का ऑक्शन ई ऑक्शन से किया जाएगा। संबंधित अभियंता द्वारा दिशा-निर्देशों के अनुसार आवश्यक सभी कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। दिशा निर्देशों में एम सेंड नीति के क्रियान्वयन के संबंध में विस्तार से चिन्हीकरण, प्लाट के डेलिनियेशन, ओवरबर्डन डम्प्स, ऑक्शन, ई रवन्ना, ट्राजिंट पास आदि के संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
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