आपदा प्रबंधन, कृषि, पेयजल, जल संसाधन विभागों की बैठक : सरकार कृषि एवं पेयजल व्यवस्था के लिए सजग – मुख्यमंत्री
जयपुर, 26 जुलाई। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश में मानसून के दौरान अब तक औसत से कम वर्षा की स्थिति में कृषि तथा पेयजल व्यवस्था के लिए पूरी तरह सजग है। उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों को सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
श्री गहलोत सोमवार रात को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आपदा प्रबंधन, सहायता एवं नागरिक सुरक्षा, कृषि, जल संसाधन तथा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभागों के अधिकारियों के साथ मानसून की तैयारियों, फसलों की बुवाई, पेयजल आदि की स्थिति के संबंध में समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतापगढ़ और जैसलमेर को छोड़कर फिलहाल लगभग सभी जिलों में सामान्य से कम बारिश होना चिंताजनक है। लेकिन हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह स्थिति सुधरेगी और इस बार भी मानसून अच्छा रहेगा। उन्होंने कहा कि फिर भी अनावृष्टि अथवा अतिवृष्टि जैसी स्थिति को लेकर आपदा प्रबंधन के लिए समस्त तैयारियां पूरी रखें। जिला कलक्टराें को पेयजल, वर्षाजनित हादसों, बाढ़ अथवा सूखे से निपटने के लिए तैयार करने के निर्देश के साथ ही आकस्मिक निधि हस्तांतरित कर दी गई है।
श्री गहलोत ने कहा कि जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए हमारी पिछली सरकार के समय आवासीय एवं अन्य भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाने पर जोर दिया गया था। इस काम को और अधिक गति देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के कामों को प्राथमिकता दी जा रही है और हर घर जल पहुंचाने के लिए केंद्र के साथ समन्वय किया जा रहा है।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री श्री बीडी कल्ला ने कहा कि जल संरक्षण के कार्यों को अधिक प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। इसके लिए भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग की संरचनाएं बनाकर पानी के संरक्षण और भू-जल स्तर में वृद्धि के प्रयास करने चाहिएं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में पानी की बचत के लिए किसानों को बूंद-बूंद एवं फव्वारा सिंचाई पद्धतियां अपनाने के लिए प्रेरित करने पर जोर दिया जाए।
कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने कहा कि बारिश मंा देरी से अभी फसलों की बुवाई कम हुई है। लेकिन आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होने के अनुमान से इसमें सुधार की उम्मीद है। विभाग की ओर से किसानों को कम समय एवं कम पानी में उपज देने वाली फसलों को बोने की सलाह दी जा रही है।
नागरिक सुरक्षा एवं कृषि राज्यमंत्री श्री भजनलाल जाटव ने बताया कि बाढ़ नियंत्रण में अहम भूमिका निभाने वाले नागरिक सुरक्षा के वॉलेंटियर्स को संभावित इलाकों में तैनात कर दिया गया है।
आपदा प्रबंधन एवं राहत राज्यमंत्री श्री राजेन्द्र यादव ने मानसून के दौरान आगामी दिनों में पूरे प्रदेश में अच्छी बारिश होने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह चाक-चौबंद है।
प्रमुख सचिव आपदा प्रबंधन एवं राहत श्री आनंद कुमार ने प्रदेश में वर्षा की वर्तमान स्थिति तथा बाढ़ एवं वर्षाजनित आपदाओं से बचाव की तैयारियों पर प्रस्तुतीकरण में बताया कि 25 जुलाई तक प्रदेश में सामान्य से 32 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। हालांकि मौसम विभाग ने 26 जुलाई से 28 जुलाई तक कई जिलों में अच्छी वर्षा होने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। इससे वर्षा की औसत में सुधार आने की उम्मीद है।
उन्होंने बताया कि वर्षाजनित हादसों से बचाव के लिए प्रदेश के 25 जिलों में एसडीआरएफ तथा सभी जिलों में नागरिक सुरक्षा की क्यूआरटी टीमें तैनात की गई हैं। बाढ़ बचाव के लिए सभी संभागीय मुख्यालय वाले जिलों में 20-20 लाख रूपए तथा शेष जिलों में 10-10 लाख रूपए रिवॉल्विंग फंड के रूप में आवंटित किए गए हैं। आकाशीय बिजली जैसे हादसों में त्वरित सहायता राशि भुगतान के लिए सभी जिला कलक्टरों को 20-20 लाख रूपए रिवॉल्विंग फंड के रूप में दिए गए हैं।
प्रमुख सचिव कृषि श्री भास्कर ए. सावंत ने राजस्थान में खरीफ सीजन की बुवाई की स्थिति पर प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया कि रविवार तक 163 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई के लक्ष्य के विरूद्ध 97 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई है, जो लक्ष्य का लगभग 60 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि बाजरे की बुवाई का 68 प्रतिशत लक्ष्य, मूंग का 52 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया गया है। मूंगफली, सोयाबीन तथा मक्का की बुवाई की स्थिति अच्छी है। इन फसलों के लिए अब तक लक्षित क्षेत्रफल के क्रमशः 95 प्रतिशत, 82 प्रतिशत तथा 80 प्रतिशत क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है।
प्रमुख सचिव जल संसाधन श्री नवीन महाजन ने प्रदेश में जलाशयों, बांधों आदि में जल भराव की स्थिति पर जानकारी दी। विशिष्ट शासन सचिव जलदाय श्रीमती उर्मिला राजौरिया ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में पीने के पानी की आपूर्ति की स्थिति सामान्य है। सभी जगह मांग के अनुरूप पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। आकस्मिक पेयजल व्यवस्था के लिए प्रत्येक जिला कलक्टर को 50 लाख रूपए तक की लागत के कार्यों के लिए अधिकृत किया गया है।
बैठक में विभिन्न विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी वीसी के माध्यम से जुड़े। कार्यक्रम का विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आमजन के लिए लाइव प्रसारण भी किया गया।
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