कानून-व्यवस्था की समीक्षा : अपराध नियंत्रण हो सर्वोच्च प्राथमिकता – मुख्यमंत्री
जयपुर, 20 जुलाई। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा है कि अपराध नियंत्रण राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि राज्य पुलिस जघन्य अपराधों को अंजाम देने वाले, माफियाओं तथा घटनाओं को साम्प्रदायिक रंग देने वाले अपराधियों की धरपकड़ के लिए प्रभावी अभियान चलाए। इससे लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ेगा।
श्री गहलोत मंगलवार शाम को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति की गहन समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने राज्य में हथियार लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को अधिक तर्कसंगत एवं पारदर्शी बनाने के लिए नई नीति तैयार करने के निर्देश दिए, ताकि इस प्रक्रिया को निर्विवाद बनाया जा सके। उन्होंने प्रशासनिक एवं कानून व्यवस्था की मॉनिटरिंग के लिए जल्द ही जिला कलेक्टर-पुलिस अधीक्षक कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफाम्र्स पर भ्रामक सूचना फैलाकर गुमराह करने वाले तत्वों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस मुख्यालय एवं जिला पुलिस स्तर पर सोशल मीडिया की निगरानी सेल को और मजबूत किया जाए। साथ ही, घटना होने पर पुलिस के रेस्पोंस टाइम को अधिक बेहतर किया जाए।
श्री गहलोत ने कहा कि महिला उत्पीड़न के प्रकरणों में पुलिस अधिकारी संवेदनशील रवैया अपनाएं। ऎसे मामलों में तुरंत प्रकरण दर्ज कर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा और कानूनी मदद मुहैया कराएं। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह का माफिया हो, पुलिस पूरी सख्ती एवं सतर्कता के साथ कार्रवाई को अंजाम दे, ताकि आमजन सुरक्षित महसूस कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने अनिवार्य एफआईआर के लिए ’फ्री रजिस्ट्रेशन’ की नीति लागू की है। महिला उत्पीड़न के प्रकरणों के त्वरित अनुसंधान के लिए प्रत्येक जिले में विशेष अनुसंधान इकाई तथा जघन्य अपराधों की जांच एवं रोकथाम के लिए विशेष मॉनिटरिंग यूनिट गठित की हैं। इसके साथ ही थानों में फरियादियों की उचित माहौल में सुनवाई के लिए स्वागत कक्ष बनाए जा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि इन निर्णयों के कारण प्रदेश में अपराधों पर नियंत्रण की स्थिति बेहतर हुई है।
श्री गहलोत ने कहा कि फ्री रजिस्ट्रेशन की नीति का परिणाम है कि राज्य में थाना स्तर पर ही प्रकरण दर्ज होने से न्यायालय के आदेश (इस्तगासा)े के माध्यम से दर्ज होने वाले विभिन्न प्रकृति के आपराधिक प्रकरणों में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इस बात की नियमित निगरानी करें कि थानों में फरियादियों को प्राथमिकी दर्ज कराने में कोई परेशानी नहीं हो।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि पुलिस विभाग में लंबित पदोन्नतियों की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। इससे पुलिस कार्मिकों को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने निर्देश दिए कि शेष रहे थानों में भी जल्द से जल्द स्वागत कक्ष तैयार किए जाएं।
पुलिस महानिदेशक श्री एम.एल. लाठर ने बताया कि राज्य में पुलिस कर्मियों को संवेदनशील व्यवहार के लिए प्रशिक्षकों द्वारा सॉफ्ट स्किल्स का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वांछित अपराधियों की धरपकड़ के लिए अभियान के तहत जुलाई माह के एक सप्ताह में ही 1,777 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। प्रमुख शासन सचिव गृह श्री अभय कुमार ने बताया कि प्रदेश के सभी थानों के कम्यूनिटी लाइजन ग्रुप (सीएलजी) के सदस्यों का डेटाबेस तैयार किया गया है।
बैठक में एडीजी सिविल राइट्स श्रीमती नीना सिंह, एडीजी क्राइम श्री आरपी मेहरड़ा, एडीजी पुलिस हाउसिंग श्री ए. पोन्नूचामी, एडीजी लॉ एण्ड ऑर्डर श्री सौरभ श्रीवास्तव, एडीजी एसओजी श्री अशोक राठौड, एडीजी भर्ती एवं पदोन्नति बोर्ड श्रीमती बिनीता ठाकुर ने संबंधित विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया।
बैठक में मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव वित्त श्री अखिल अरोरा सहित पुलिस एवं गृह विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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