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परियोजनाओं को टाइमलाइन में पूरा करने के लिए अभियंताओं की वित्तीय शक्तियों की समीक्षा होगी, एसीएस ने दिए बकाया कार्यादेश शीघ्रता से जारी करने के निर्देश


जल जीवन मिशन (जेजेएम) की प्रगति की वीसी से समीक्षा :

जयपुर, 19 जून। प्रदेश में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के कायोर्ं को वर्ष 2024 तक पूरा करने की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए बकाया पेयजल परियोजनाओं के कार्यों की तकनीकी प्रक्रियाओं में लगने वाले समय में बचत करने के उद्देश्य से अतिरिक्त मुख्य अभियंता और मुख्य अभियंताओं की वित्तीय शक्तियों की समीक्षा की जाएगी।

जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) श्री सुधांश पंत ने शनिवार को शासन सचिवालय में वीडियों कांफ्रेंसिंग (वीसी) के माध्यम से प्रदेश में जेजेएम की प्रगति की समीक्षा के दौरान इस पहलू पर विभाग की तकनीकी समिति के स्तर पर केवल जेजेएम के परिप्रेक्ष्य में अभियंताओं की वित्तीय शक्तियों में संशोधन पर विचार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जेजेएम समयबद्ध और मिशन मोड कार्यक्रम है, ऎसे में इसके तहत सभी परियोजनाओं को निर्धारित टाइमलाइन में पूरा करने की द्वष्टि से विभागीय स्तर पर सहमति बनने के बाद इसे वित्त विभाग को स्वीकृति के लिए भेजा जा सकता है। विभाग में वर्तमान में 2.5 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के प्रोजेक्ट मुख्य अभियंता तथा 5 करोड़ रुपयेसे ऊपर की लागत के प्रोजेक्ट वित्त समिति के माध्यम से मंजूर किए जाते है।

श्री पंत ने वीसी में जेजेएम की परियोजनाओं में गति लाने के लिए अन्य कार्यों एवं प्रक्रियाओं के सरलीकरण और विकेन्द्रीकरण पर भी विचार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं के लिए तकनीकी स्वीकृतियां एवं निविदाएं जारी हो गई है, उनके शेष कार्यादेश जारी करने का काम भी जल्द से जल्द पूरा करे जिससे किसी भी परियोजना का कार्य जेजेएम की पूर्णता की अंतिम तिथि से आगे नहीं जाए।

एसीएस ने इस माह के अंत में प्रस्तावित राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) की बैठक से सभी जिलों में शेष बचे गांवों के प्रस्ताव तैयार कर आगामी दो दिनों में मंजूरी के लिए भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने इसके लिए राज्य स्तरीय क्रियान्वयन टीम के अधिकारियों को जिलों से समन्वय स्थापित अधिकाधिक प्रस्ताव मंगवाने को कहा, जिससे एसएलएसएससी में प्रदेश के बकाया गांवों में हर घर नल कनेक्शन की ज्यादा से ज्यादा योजनाएं और स्वीकृत हो सकें।

श्री पंत ने कहा कि जिन जिलों में गांवों की स्वीकृतियां बाकी है, उनमें जल स्रोत की उपलब्धता के अभाव में सतही स्रोत या अन्य किसी वैकल्पिक तरीके से उसे लिंक करने की सभी सम्भावनाओं को तलाशने के लिए अभियंता गहराई से होमवर्क करे। ऎसे गांव जिनके लिए श्हर घर नल कनेक्शनश् की योजना अब तक नहीं बनी है, वहां के लोगों तक नल के माध्यम से पेयजल पहुंचाने के लिए सभी विकल्पों पर गम्भीरता से विचार किया जाए। वृहद स्तर पर इस प्रकार की गहन एक्सरसाइज के बिना किसी गांव, ढ़ाणी या आबादी को श्हर घर नल कनेक्शनश् के कवरेज से वंचित नहीं किया जाए।

बैठक में बताया गया कि एसएलएसएससी में रेग्यूलर विंग के तहत पूर्व में जारी 9101 गांवों की स्वीकृतियों की तुलना में अब तक 8106 तकनीकी स्वीकृतियां (करीब 90 प्रतिशत) तथा 6523 निविदाएं (72 प्रतिशत) जारी कर दी गई है। साथ ही 1648 कार्यादेश जारी किए गए है, इनमें से 1143 में मौके पर 4 लाख 31 हजार 452 श्हर घर नल कनेक्शनश् देने के कार्य वर्तमान में प्रगति पर है। इसी प्रकार मेजर प्रोजेक्ट्स में 96 वृहद पेयजल परियोजनाओं की स्वीकृति के विरुद्ध 2716 गांवों की तकनीकी स्वीकृतियां तथा 1550 गांवों की निविदाएं जारी हो गई है। इसके अतिरिक्त 48 गाँव के कार्यादेश जारी किए गए है और सभी में मौके पर कार्य आरम्भ हो चुका है। 

वीसी से जल जीवन मिशन के मिशन निदेशक एवं मुख्य अभियंता (ग्रामीण) श्री आरके मीना, मुख्य अभियंता (विशेष प्रोजेक्ट्स) श्री दलीप कुमार गौड़, मुख्य अभियंता (तकनीकी) श्री संदीप शर्मा, मुख्य अभियंता (नागौर) श्री दिनेश कुमार गोयल, मुख्य अभियंता (जोधपुर) श्री नीरज माथुर एवं अतिरिक्त मुख्य अभियंता (ग्रामीण) श्री महेश जांगिड़ के अलावा प्रदेश भर से रेग्यूलर विंग एवं प्रोजेक्ट विंग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता स्तर के अधिकारी भी जुड़े।

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