ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा बैठक : विभिन्न विभागों से जुड़े स्वयं सहायता समूहों को एक मंच पर लाने की संभावनाएं तलाशी जाएं - मुख्यमंत्री
जयपुर, 15 जून। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि अलग-अलग विभागों के तहत काम कर रहे स्वयं सहायता समूहों को एक मंच पर लाने और उनकी आर्थिक गतिविधियों को अधिक प्रोफेशनल तरीके से संचालित करने की संभावनाएं तलाशी जाएं। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय समावेशन से जोड़ा जाए।
श्री गहलोत मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के अंतर्गत ‘राजीविका’ की योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से चलाई जा रही माइक्रो फाइनेंसिंग गतिविधियों से महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा हुआ है और वे पहले से और अधिक सशक्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों एवं सफल स्वयं सहायता समूहों की सक्सेस स्टोरी की डॉक्यूमेंट्री तैयार कर व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। साथ ही, अन्य जिलों में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को इस बारे में जानकारी दी जाए, ताकि वे भी नवाचारों से लाभांवित हो सकें।
मुख्यमंत्री ने स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को वित्तीय साक्षरता के साथ उन्हें जरूरी प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराने तथा उनके द्वारा तैयार उत्पादों को मार्केटिंग प्लेटफार्म उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने जिला स्तर पर प्रभावी मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रभावी प्लेटफार्म उपलब्ध कराने एवं उनके द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने कस्टमर हायरिंग सेन्टर्स के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों को ‘जीरो वेस्ट’ नेचुरल फार्मिंग की टे्रनिंग देने का सुझाव दिया।
राजीविका की मिशन निदेशक श्रीमती शुचि त्यागी ने राजीविका की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को डिजिटल फाइनेंस के बारे में शिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राजीविका के तहत 2 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन कर 23 लाख 50 हजार ग्रामीण परिवारों को लाभांवित किया गया है। एक लाख 48 हजार स्वयं सहायता समूहों को रिवॉल्विंग फंड के रूप में 15-15 हजार रूपए उपलब्ध कराए गए हैं। साथ ही, 81 हजार 641 समूहों को आजीविका संवर्धन राशि के रूप में 50-50 हजार रूपए का भुगतान किया गया है। एक लाख 33 हजार स्वयं सहायता समूहों को बैंकों के माध्यम से 1 हजार 566 करोड़ रूपए का ऋण दिलवाया गया है।
उन्होंने बताया कि स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों का फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर भी प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। बीसी सखी एवं डिजी-पे सखी के रूप में भी महिलाएं वित्तीय समावेशन से जुड़ रही हैं।
समीक्षा बैठक में प्रमुख शासन सचिव वित्त श्री अखिल अरोरा, सचिव पंचायतीराज श्रीमती मंजू राजपाल, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री केके पाठक एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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