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इंदिरा गांधी नहर में रिलाइनिंग का कार्य ऎतिहासिक अंतिम छोर तक हो सकेगी सुचारू जलापूर्ति - मुख्यमंत्री


जयपुर, 30 जून। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार के सतत प्रयासों से इंदिरा गांधी नहरी तंत्र की रिलाइनिंग का ऎतिहासिक काम हुआ है। इससे जल की बड़ी छीजत रूकेगी एवं सिंचाई और पेयजल के लिए अंतिम छोर तक अधिक पानी मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि अधिकारी बेहतर जल प्रबंधन कर इंदिरा गांधी नहर से जुडे़ सभी दस जिलों में सुचारू जलापूर्ति सुनिश्चित करें। साथ ही, टेल क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिले इसके लिए विभाग कार्य योजना बनाकर आगे बढ़े।

श्री गहलोत बुधवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इंदिरा गांधी नहर परियोजना की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में 60 दिवसीय ऎतिहासिक मिश्रित नहरबंदी के दौरान इंदिरा गांधी फीडर व मुख्य नहर में हुए 70 किलोमीटर रिलाइनिंग कायोंर्ं से टेल क्षेत्र के किसानों को लाभ मिलेगा। रिलाइनिंग पूर्ण हो जाने से इन्दिरा गांधी नहरी तंत्र में निर्धारित क्षमता से पानी का प्रवाह होगा जिससे पश्चिमी राजस्थान के 10 जिलों में आमजन को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने लंबे समय से रूके हुए इस कार्य को पूरा करने में सकारात्मक सहयोग दिया है। इसके लिए उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का आभार व्यक्त किया। साथ ही, राज्य के जल संसाधन विभाग की टीम को बधाई दी।

नहरी क्षेत्रों के लिए बनाएं माइनर इरीगेशन प्रोजेक्ट

मुख्यमंत्री ने कहा कि रिलाइनिंग कायोर्ं से नहर की मूल प्रवाह क्षमता रिस्टोर होगी। सीपेज से हो रही जल हानि रूकेगी और सेम की समस्या से निजात मिलेगी। साथ ही, नहरी तंत्र पर निर्भर 10 जिलों के लोगों को पेयजल उपलब्धता एवं 16.17 लाख हेक्टेयर कमांड क्षेत्र सिंचाई जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जल की सीमित उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए नहरी क्षेत्रों के लिए माइनर इरीगेशन प्रोजेक्ट बनाया जाए। किसानों को फव्वारा एवं बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

सेई टनल के काम को जल्द पूरा करें

श्री गहलोत ने कहा कि रिलाइनिंग के कार्य होने से पाकिस्तान बहकर जाने वाले जल पर कुछ हद तक रोक लग सकेगी। उन्होंने निर्देश दिए कि भविष्य में इस पानी को पूरी तरह रोकने के लिए कार्य योजना बनाई जाए। साथ ही, गुजरात व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी को जवाई बांध में लाने के लिए सेई टनल के कार्य को समय पर पूरा करने का प्रयास किया जाए।

केन्द्र सरकार ईआरसीपी को शीघ्र दे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा

श्री गहलोत ने कहा कि प्रदेश के 13 जिलों के लिए महत्वाकांक्षी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) राजस्थान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान यात्रा के दौरान जयपुर एवं अजमेर में इस परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा देने के लिए आश्वस्त किया था। उन्होंने कहा कि राजस्थान में सूखे, अकाल और विषम भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इसे राष्ट्रीय दर्जा देना चाहिए। इस विषय पर राज्य सरकार के अधिकारी केंद्र सरकार के संबंधित विभागों के साथ लगातार समन्वय करें।

अन्तर्राज्यीय जल समझौतों में हो प्रभावी पैरवी

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य के हिस्से का पूरा पानी प्राप्त करने के लिए अन्तर्राज्यीय जल समझौतों से जुड़े लम्बित मुददों पर मुख्य सचिव एवं विभागीय उच्चाधिकारी प्रभावी पैरवी करें। इसके लिए सम्बन्धित राज्यों एव केन्द्र सरकार के स्तर पर सतत समन्वय किया जाए।

मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि इंदिरा गांधी नहर इंजीनियरिंग कौशल का अनूठा नमूना है। इससे पश्चिमी राजस्थान में जल आवश्यकताओं की पूर्ति होने के साथ ही इस क्षेत्र की दशा और दिशा में सकारात्मक बदलाव आया है। इस नहर की रिलाइनिंग का कार्य होने से नहर की पूरी क्षमता का उपयोग कर लोगों को समुचित जलापूर्ति संभव हो सकेगी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव जलदाय श्री सुधांश पंत ने कहा कि नहरबंदी से पहले पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कार्य योजना तैयार की गई एवं गुणवत्ता के साथ समयबद्ध क्रियान्विति की गई। सभी पेयजल स्त्रोतों तथा नहरी तंत्र में जगह-जगह पॉण्ड बनाकर पेयजल संग्रहण किया गया। सम्पूर्ण नहरबंदी के दौरान निर्बाध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की गई।

प्रमुख शासन सचिव जल संसाधन श्री नवीन महाजन ने विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी फीडर तथा सरहिन्द फीडर की रिलाइनिंग के कार्य के लिए प्रदेश में पहली बार 60 दिन की नहरबंदी की गई। सीमित पेयजल भण्डारण क्षमता को देखते हुए राजस्थान में पहली बार मिश्रित नहरबंदी का अभिनव प्रयोग किया गया। शुरूआती 30 दिनों तक पंजाब द्वारा सरहिन्द फीडर से पेयजल की आपूर्ति की गई। जबकि शेष 30 दिनों में पूर्ण नहरबंदी रही। नहरबंदी के दौरान पंजाब का सहयोगात्मक रूख रहा। राजस्थान द्वारा 47 किलोमीटर एवं पंजाब द्वारा उनके क्षेत्र में करीब 23 किलोमीटर में रिलाइनिंग कार्य किए गए। 

बैठक में विभिन्न अभियंताओं ने रिलाइनिंग कार्यों से जुडे़ अनुभवों को साझा किया। उन्होंने रिलाइनिंग के कार्यों को समय पर पूरा करने के लिए किए गए प्रयासों, क्वालिटी कंट्रोल, संसाधनों की उपलब्धता सहित अन्य पहलुओं के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोविड की विषम परिस्थितियों के बीच यह कार्य समय पर पूरा करना बड़ी चुनौती थी, लेकिन उच्च स्तर से मिले सहयोग, बेहतर समन्वय और आमजन से मिले सहयोग से यह कार्य सफलतापूर्वक किया गया।

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