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प्रदेशवासियों को राज्य सरकार की बड़ी राहत, बजरी खनन के तीन पट्टे जारी


जयपुर, 26 मई। राज्य सरकार ने आमनागरिकों को बड़ी राहत देते हुए जालौर जिले में दो एवं भीलवाड़ा जिले में एक बजरी खनन के कुल तीन खनन पट्टे जारी किए हैं।

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा बजरी की समस्या से आमनागरिकों को राहत दिलाने के लिए निरंतर समाधान खोजने के निर्देश दिए जाते रहे हैं और मुख्यमंत्री श्री गहलोत के प्रयासों और दिशा-निर्देशों का ही परिणाम है कि लंबे समय से चली आ रही बजरी खनन की समस्या और अवैद्य बजरी खनन के कारण आए दिन आ रही समस्याओं के समाधान की राह प्रशस्त हो गई है। मुख्यमंत्री श्री गहलोत द्वारा इसी कड़ी में पिछले दिनों राज्य में बजरी की वैकल्पिक व्यवस्था के रुप में एमसेंड पॉलीसी भी जारी की गई है। मुख्यमंत्री श्री गहलोत के प्रयासों का ही परिणाम है कि बजरी खनन के इन तीन पट्टों से ही प्रदेश की कुल बजारी मांग की करीब 10 प्रतिशत मांग पूरी हो सकेगी।

माइंस एवं गोपालन मंत्री श्री प्रमोद जैन भाया ने बताया कि बजरी खनन के तीन पटें में से दो पट्टे जालौर के सायला एवं जालौर और तीसरा भीलवाड़ा के कोटडी में जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि तीनों पट्टाधारकों द्वारा वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार से नवीन पर्यावरण सहमति प्राप्त कर विभाग को प्रस्तुत करने के बाद यह खनन पट्टे जारी किए गए हैं।

माइंस मंत्री श्री भाया ने बताया कि बजरी खनन के तीन पट्टों के पट्टाधारियों ने केन्द्र को प्रस्तुत वैज्ञानिक रिप्लेनिशमेंट स्टडी के आधार पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरण क्लीयरेंस प्राप्त कर सरकार को प्रस्तुत करने पर बजरी के खनन पट्टे जारी किए गए हैं।

माइंस एवं पेट्रोलियम विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा जारी तीन बजरी खनन पट्टों में से जालौर के सायला में श्री रणवीर सिंह राठौड़ 3797.58 हैक्टेयर क्षेत्रफल का, जालौर में श्री सत्यनारायण सिंह जादौन को 5269 हैक्टेयर क्षेफल और भीलवाड़़ा के कोटडी मेें श्री महेन्द्र सिंह राजावत को 1191.37 हैक्टेयर क्षेत्रफल के पट्टे जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि सायला में 0.77 मिलियन टन, जालौर में 3.20 मिलियन टन और कोटडी भीलवाड़ा में 3.39 मिलियन टन सालाना उत्पादन क्षमता होगी। उन्होंने बताया कि इससे राज्य सरकार को 43 करोड़ रु. का सालाना राजस्व प्राप्त होगा।

एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार राज्य में 70 मिलियन टन बजरी की मांग है। उन्होंने बताया कि यह तीन पट्टे जारी होने से कुल मांग की 10 फीसदी से अधिक पूर्ति हो सकेगी। उन्होंने बताया कि यह तीनों पट्टे तत्समय जारी अवधि में से शेष रही अवधि करीब 13 माह के लिए जारी किए गए हैं।

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियम 9 के चार के अनुसार डाइज-नॉन पीरियड अवधि के लिए यह पट्टे जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया गया है कि खनन पट्टे में पूर्व में स्वीकृत आदेश दिनांक 22 मई 2017 की शर्तें यथावत रहेगी और राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियम 2017 में समय समय पर होेने वाले संशोधन मान्य होंगे। उन्होंने बताया कि लीज जारी करते समय यह स्पष्ट कर दिया गया है कि पट्टाधारियों द्वारा पूरक संविदा का निष्पादन किया जाएगा और केन्द्र सरकार द्वारा जारी ईसी की शर्तों की पालना सुनिश्चित की जाएगी।

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