ब्लेक फंगस को देखते हुए ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर की गुणवत्ता, मापदण्ड और उपयोग के दिशा-निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जाए - एसीएस, माइंस
जयपुर, 19 मई। राज्य में ब्लेक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर के उपयोग करते समय निर्धारित मापदण्डों व निर्देशों की पालना सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस और राज्य सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय कोर ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कोर ग्रुप की बैठक के दौरान बताया कि मुख्यमंत्री श्री अशेाक गहलोत ने वीसी के दौरान बिना पूर्ण जानकारी के ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर के उपयोग और उसके दुष्प्रभाव से बढ़ते ब्लैक फंगस के मामलों को देखते हुए चिंता व्यक्त करते हुए यह निर्देश दिए हैं। वीसी के दौरान मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने कहा कि ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर के उपयोग की आवश्यक जानकारी लोगों तक पहुंचाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने निर्देश देते हुए कहा कि ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर का सावधानी व आवश्यक दिशा-निर्देशों की पालना करने से ही रोगी को पूरा लाभ और संभावित संक्रमण से बचाया जा सकता है।
एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल बुधवार को प्रदेश में ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर की आवश्यकता, उपलब्धता और विदेशों से आ रहे ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर की प्रगति समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा ई-उपकरण पोर्टल के माध्यम से ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर की खरीद की जा रही है और उनमें निर्धारित मानकों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि दानदाताओं द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटरों व घरेलू उपयोग के लिए खरीदे जा रहे ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटरों की खरीद व उपयोग के समय भी निर्धारित मानकों और उसके उपयोग के लिए जारी दिशा-निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जानी आवश्यक है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केन्द्र सरकार ने भी इसके लिए गाईड लाइन जारी की है।
एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर एक विद्युत चालित चिकित्सा उपकरण है जिसके द्वारा आसपास की हवा से ऑक्सीजन बनाया जाता है। इस उपकरण के माध्यम से रोगी को बिस्तर पर ही केनुला के माध्यम से आक्सीजन उपलब्ध कराया जाता है। ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर द्वारा 5 लीटर प्रति मिनट का फ्लो होना आवश्यक है और इसमें 90 प्रतिशत से अधिक की शुद्धता व निरंतरता के साथ आक्सीजन का प्रवाह होना चाहिए। इस तरीके से आमतौर पर 21 प्रतिशत आक्सीजन होता है। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर में फिल्टर बोटल में डिस्टिल वाटर का ही उपयोग किया जाए। इसके साथ ही उपयोग के दिशा-निर्देशों की सख्ती से पालना सुनिश्चित की जाए ताकि संभावित संक्रमण को रोका जा सके।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि निर्धारित मानकों के अनुसार ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर नहीं होने और ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर के उपयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार उपयोग नहीं करने से ब्लेक फंगस जैसे संभावित संक्रमण होने की संभावना अधिक हो जाती है और इससे रोगी को लाभ होने के स्थान पर गंभीर संक्रमण की स्थिति होने के हालात भी कई बार बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान ऑक्सीजन की आवश्यकता को देखते हुए लोगों द्वारा घरेलू उपयोग के लिए भी ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटरों की खरीद की जा रही है। ऑक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर खरीदते समय उसके साथ उपयोग मेन्यूअल, मेंटिनेंस मेन्यूअल, डिस्पले बोर्ड, फिल्टर बोटल, डिस्टिल बोटल आदि आवश्यक सभी उपकरण व जानकारी से संबंधित सामग्री होना जरुरी है। उन्होने सभी चिकित्सा संस्थानों व घरेलू उपयोग में आवश्यक निर्देशों की सख्ती से पालना पर जोर दिया।
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