बिना एमआरपी व आवश्यक सूचना वाले उत्पादों को बिक्री करने वाले व्यापारियों पर अब गिरेगी गाज
- चाइनीज मेडिकल उपकरणों की वजह से उपभोक्ता मामले विभाग ने उठाया सख्त कदम
- व्यापारियों को भी जमाखोरी नहीं करने की हिदायत दी
- आयातित डिब्बा बंद वस्तुओं पर सूचनाएं हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में जरूरी
जयपुर, 24 मई।कोविड-19 वैश्विक महामारी के संकटकाल में आपदा को अवसर मानने वाले जमाखोर व्यापारियों पर शिकंजा कसने के बाद प्रदेश का उपभोक्ता मामले विभाग एक्शन मोड पर है। पिछले दिनों राज्य के विभिन्न शहरों में छापामार कार्रवाई के दौरान पेनल्टी लगाकर बिना एमआरपी एवं बिना डिक्लेरेशन के मेडिकल उपकरण जब्त किए हैं, वहीं अब बिना एमआरपी व आवश्यक सूचना वाले मेडिकल संबंधी उत्पादों की भी बडे स्तर पर बिक्री होने की शिकायतें मिलने पर विभाग ने सख्त कदम उठाया है। साथ ही व्यापारियों को किसी भी प्रकार की जमाखोरी नहीं करने की साफ हिदायत भी दी है। दरअसल, आयातित डिब्बा बंद वस्तुओं पर विधिक माप विज्ञान (डिब्बा बन्द वस्तुएं) नियम 2011 के प्रावधान के अनुसार सूचनाएं हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में होना जरूरी है,मगर कई चाइनीज मेडिकल उपकरण व उत्पादों में ऎसा नहीं होता है। इससे उपभोक्ता को गुणवत्ता,कीमत व अन्य विवरण की वांछित जानकारी नहीं मिल पाती है।
प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमण की विषम परिस्थितियों में पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर व ऑक्सीजन सिलेंडर के प्रेशर रेगुलेटर आदि की मांग निरंतर बढ़ रही है। ऎसी स्थिति में इन मेडिकल उपकरणों को कई व्यापारियों द्वारा इनकी पैकिंग पर नियमानुसार एमआरपी और अन्य आवश्यक सूचनाएं अंकित किए बिना ही बेचा जा रहा है। जिससे उपभोक्ताओं को इन उपकरणों की सही कीमत और विवरण का सही पता नहीं चलता है। कई उपकरण चाइना से सीधे ही इम्पोर्ट करके बाजार में उतार दिए गए हैं और इनके साथ उपलब्ध कराए जाने वाले ब्रोशर और पत्रक चाइनीज भाषा में ही होते हैं, इससे उपभोक्ताओं को उपकरण की वास्तविक विवरण भी पता नहीं होता है। इन स्थितियों में उपभोक्ता को खराब वस्तु दिए जाने या खराब वस्तु की आफ्टर सेल्स सर्विस नहीं मिलने की सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। इन सबसे प्रोटेक्शन देने के लिए लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 (एलएम एक्ट) और इसके अन्तर्गत बनाये गए लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स, 2011 (पीसी रूल्स) में प्रावधान किए गए हैं।
निर्माता, पैकर व आयातक को हिंदी या अंग्रेजी भाषा में घोषणा करना जरूरी
वस्तुओं की बिक्री, निर्माण, पैकिंग और आयातक के बारे में जानकारी देने के लिए लेबलिंग और घोषणा जैसी शर्त की पालना निर्माता,पैकर एवं आयातक के द्वारा किया जाना जरूरी होता है। यह घोषणा हिंदी अथवा अंग्रेजी मे किया जाना अनिवार्य है। यह सभी प्रावधान लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स, 2011 (पीसी रूल्स) में किए गए हैं जिससे उपभोक्ता के हितों की रक्षा की जाती है।
प्री-पैकेज्ड कमोडिटी का शाब्दिक मतलब
इन नियमों का प्राथमिक उद्देश्य यह है कि ष्प्री-पैकेज्ड कमोडिटीष् का उपभोक्ता उत्पाद और निर्माता की जानकारी से अवगत है और उसे देख परख कर ही खरीदारी करता है। प्री-पैकेज्ड कमोडिटी शब्द का अर्थ एक कमोडिटी है, जो बिना खरीददार के मौजूद होने के कारण किसी भी तरह के पैकेज में रखा जाता है, चाहे वह सील पैक हो या न हो, ताकि उसमें पैक किये गये उत्पाद की पूर्व निर्धारित मात्रा और पैकेट पर अंकित गुणवत्ता हो।
जमाखोरी करने वाले व्यापारियों पर भी सख्ती
कोविड संक्रमण के इस दौर में व्यापारी पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर व ऑक्सीजन सिलेंडर के प्रेशर रेगुलेटर को नियमानुसार सूचनाओं के साथ बिक्री करें। व्यापारी किसी भी हालत में जमाखोरी नहीं करें, वरना दोषी व्यापारियों के विरूद्ध लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के तहत कार्यवाही की जाएगी।
नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने का है प्रावधान
विधिक माप विज्ञान (डिब्बा बंद वस्तुएं) नियम, 2011 के नियम 6 के तहत पैकेट पर नियमानुसार सूचना प्रदर्शन करना होता है। नियम 18 (2) के तहत वस्तु को पैकेट पर अंकित एमआरपी से अनधिक बेचना होता है और किसी विनिर्माता द्वारा किसी भी वस्तु को पैक करके बेचने से पहले विधिक माप विज्ञान विभाग से रजिस्ट्रेशन संख्या प्राप्त करना आवश्यक होता है। इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। नियम 6, नियम 18 (2) और नियम 27 के उल्लंघन पर क्रमशरू 2500, 5000, और 5000 रुपये का जुर्माने का भी प्रावधान है। दुबारा उल्लंघन पर आपराधिक दांडिक कार्रवाई भी सुनिश्चित है।
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