माइंस विभाग की एमनेस्टी योजना में 2052 प्रकरण निस्तारित, रेकार्ड वसूली व राहत-माइंस एवं पेट्रोलियम मंत्री
जयपुर, 3 मई। माइंस एवं पेट्रोलियम मंत्री श्री प्रमोद जैन भाया ने बताया है कि खनिज विभाग की एमनेस्टी योजना में 30 मार्च, 21 तक 2052 प्रकरणों का निस्तारण करते हुए रेकार्ड 44 करोड़ 5 लाख रुपए से अधिक की राशि वसूल की गर्ई है। उन्होंने बताया कि विभागीय बकाया व ब्याजमाफी की समय-समय पर लागू योजनाओं में यह अब तक की सर्वाधिक वसूली है। एमनेस्टी योजना में राज्य सरकार ने खनन पटृटाधारकों, ठेकाधारकों, सीमित अवधि के परमिटधारकों, रायल्टी बकायाधारकों, निर्माण ठेकेदारों व योजना के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार राहत प्राप्त कर्ताओं से 44 करोड़ की वसूली के साथ ही करीब 100 करोड़ रु. की बड़ी राहत दी है।
माइंस व पेट्रोलियम मंत्री श्री भाया ने बताया कि एमनेस्टी योजना 24 सितंबर से 31 मार्च, 21 तक लागू की गई। योजना के योजनावद्ध क्रियान्वयन से वसूली व योजना प्रावधानों के अनुसार माफी से कुल 144 करोड़ 16 लाख रुपए से अधिक के बकाया प्रकरणों का निस्तारण हो सका है। उन्होंने बताया कि नियमित मोनेटरिंग और मोटिवेशन का ही परिणाम है कि पहली बार इतने अधिक प्रकरणों का निस्तारण व राशि जमा हुई है। इसके लिए उन्होंने विभागीय अधिकारियों व कार्मिकों की सराहना की।
अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि यह पहला मौका है जब विभागीय एमनेस्टी योजना में वसूली व माफी राशि मिलाकर 144 करोड़ 16 लाख 02 हजार रुपए के 2052 प्रकरणों का निस्तारण किया गया है। योजनावद्व व प्रयासों का ही परिणाम है कि आशा से अधिक बेहतर परिणाम प्राप्त हुए है। जयपुर संभाग में 671 प्रकरणों में 13 करोड़ 17 लाख 87 हजार रु., कोटा संभाग में 396 प्रकरणों में 6 करोड़ 10 लाख 94 हजार रु., जोधपुर संभाग में 623 प्रकरणों में 17 करोड़ 2 लाख रु. और उदयपुर संभाग में 362 प्रकरणों में 7 करोड़ 49 लाख 82 हजार रु. जमा हुए हैं।
उन्होंने बताया कि सर्वाधिक 8 करोड़ 97 लाख रु. खनि अभियंता जोधपुर कार्यालय में जमा हुए हैं। एएमई सेवर में 5 करोड़ 18 लाख, एमई कोटपूतली में 4 करोड़ 1 लाख अलवर, जालौर, रिशभदेव, राजसमंद प्रथम आदि में एक करोड़ से अधिक की राशि जमा हुई है। कोटपूतली, अलवर, नागौर, गोटन, भरतपुर, रुपवास, बूंदी प्रथम, झालावाड़, आमेट व निम्बाहेडा कार्यालयों ने लक्ष्यों से शतप्रतिशत से भी अधिक की वसूली की है।
एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इससे पहले चलाई गई योजनाओं में 1999-20 में 647 प्रकरणों का निस्तारण कर 62.78 लाख की वसूली और 82.43 लाख की राहत दी गई थी। 2007-08 में चलाई गई राहत योजना में 194 प्रकरणों का निस्तारण करते हुए 32.37 लाख की वसूली और 104.90 लाख की राहत दी गई। 2009 में 150 प्रकरणों का निस्तारण और 88.16 लाख की वसूली और 410.65 लाख की राहत, 2010 में 733 प्रकरणों का निस्तारण और 126.83 लाख की वसूली और 386.45 लाख की राहत दी गई। 2015 में लागू एमनेस्टी योजना में 2313 प्रकरणों का निस्तारण कर 916.29 लाख की वसूली और 4356.83 लाख रु. की राहत व 2018 की बकाया व ब्याजमाफी योजना में 581 प्रकरणों का निस्तारण कर 487.71 लाख की वसूली और 2074.69 लाख की राहत दी गई। उन्होंने बताया कि सर्वाधिक वसूली 31 मार्च, 21 तक लागू एमनेस्टी योजना में हुई है।
निदेशक माइंस श्री केबी पण्ड्या ने बताया कि योजना में ब्याज माफी के साथ ही बकाया अवधि के अनुसार अलग-अलग स्लेब में मूल राशि में भी अधिकतम 90 प्रतिशत से कम से कम 30 प्रतिशत तक, पूर्व में ही मूल राशि जमा कराने वाले बकायादारों की समस्त ब्याज राशि माफ करने, 31 मार्च, 2019 तक डेडरेंट (स्थिरभाटक), सरचार्ज, आरसीसी, ईआरसीसी ठेकों, सीमित अवधि के परमिट, निर्माण विभाग के ठेकेदारों आदि में बकाया व विभाग के अन्य बकाया राशि के प्रकरणों, 31 मार्च 80 तक के बकाया की मामलों में 10 प्रतिशत राशि जमा कराने, एक अप्रेल 80 से मार्च 90 तक की बकाया के मामलों में 20 प्रतिशत, एक अप्रेल 90 से 31 मार्च 2000 तक की बकाया में 30 प्रतिशत राशि जमा करवाने पर शेष मूल राशि माफ करने का प्रावधान था। इसी तरह के अन्य प्रावधान किए गए थे।
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