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जवाहर कला केन्द्र का स्थापना दिवस : जेकेके कला एवं कला प्रेमियों के लिए मंदिर की तरह पवित्र स्थान - कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री


जयपुर, 8 अप्रैल। जयपुर का जवाहर कला केन्द्र प्रदेश की कला और संस्कृति का प्रमुख केन्द्र है, यह कलाकारों एवं कला प्रेमियों के लिए मंदिर की तरह एक पवित्र स्थान है। गत 28 सालों में यहां राज्य के साथ-साथ देश और विदेश के आर्टिस्ट ने अपनी कला और कलाकृतियों के प्रदर्शन से इसकी शान में चार चांद लगाए हैं। इस ऎतिहासिक सफर में इस केन्द्र ने लोक कला, ललित कला, मूर्तिकला एवं चित्रकला सहित गीत, संगीत और नाटक जैसी कला अन्य विद्याओं से जुड़े कलाकारों को अपनी प्रतिभा को निखारने और आगे बढ़ने भरपूर अवसर प्रदान किए हैं। ये बात कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने गुरुवार को जवाहर कला केन्द्र के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों के शुभारम्भ अवसर पर कही।

डॉ. कल्ला ने कहा कि जवाहर कला केन्द्र की स्थापना देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के सपनों को मूर्त रूप देने की सोच के साथ की गई। पंडित नेहरू स्वयं खेल, कला और साहित्य प्रेमी थे, उन्होंने देश के सवार्ंगीण विकास की दिशा में दूरगामी सोच के साथ योगदान किया। आज के जवाहर कला केन्द्र का विकसित रूप पंडित नेहरु की सोच को सही मायने में साकार कर रहा है।

कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री ने बताया कि वे एक बार भोपाल में मुख्य सचेतकों के सम्मेलन में गए थे, तब वहां भारत भवन को देखा। वहां से आने के बाद मुख्यमंत्री से जयपुर में भारत भवन से भी अच्छा भवन बनाने के बारे में चर्चा की। इसके बाद प्रसिद्ध आर्किटेक्ट चार्ल्स कोरिया को जवाहर कला केन्द्र के निर्माण का नक्शा बनाने के लिए नियुक्त किया गया था। और कालांतर में जवाहर कला केन्द्र के निर्माण से लेकर अब तक देश प्रदेश के कलाकारों और कलाप्रेमियों की भागीदारी से जवाहर कला केन्द्र ने निरंतर नई ऊंचाईयां तय की है।

इस अवसर पर डॉ. कल्ला एवं हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के वीसी श्री ओम थानवी ने केक भी काटा। कला साहित्य एवं संस्कृति मंत्री ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री संदीप वर्मा की स्कैचेज और जवाहर कला केंद्र के महानिदेशक श्रीमती मुग्धा सिन्हा की बोतल पर आर्टवर्क की प्रदर्शनी की भी सराहना की और कहा कि उनके आर्ट वर्क से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।

जेकेके की महानिदेशक, श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने कहा कि यह जेकेके पर बनी डॉक्यूमेंट्री अन्य राज्यों के साथ कला और संस्कृति के आदान-प्रदान में और जेकेके को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंड के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी। यह डॉक्यूमेंट्री जेकेके की सुविधाओं और कला के मर्म को प्रदर्शित करने का प्रयास है। जेकेके की पूरी टीम की यह कोशिश रही है कि केंद्र के सभी तथ्य सही रूप से प्रदर्शित किया जाए।

एस्ट्रोफोटोग्राफी वर्कशॉप-कम-हैंड्स-ऑन प्रैक्टिस

समारोह की शुरूआत कृष्णायन में एस्ट्रोफोटोग्राफी वर्कशॉप-कम-हैंड्स-ऑन प्रैक्टिस के साथ हुई। वर्कशॉप का संचालन फोटोग्राफर, श्री अंचित नाथा ने किया। इस वर्कशॉप का उद्देश्य लो लाइट और नाइट स्काई फोटोग्राफी की हिस्ट्री, बेसिक्स और थ्योरी को समझाना था। प्रतिभागियों ने स्टार को कैप्चर करना, स्टार ट्रेल्स, मिल्की वे, एस्ट्रोफोटोग्राफी के एथिक्स, शूट्स के लिए प्लानिंग, मोबाइल एप्स का इस्तेमाल आदि के बारे सीखा। वर्कशॉप के अगले भाग में प्रतिभागियों को अच्छी स्टार विजिबिलिटी वाले एक नाइट स्काई लोकेशन पर ले जाया गया, जहां उन्हें अपने इक्विपमेंट सेटअप करना सिखाया गया और नाइट स्काई फोटोग्राफी की प्रैक्टिस भी कराई गई।

पेंटिंग और स्कल्पचर एग्जीबिशन

जेकेके में 6 अप्रेल से शुरू हुए आर्ट कैम्प में देशभर से आए 10 से अधिक कलाकारों ने क्ले का उपयोग करके अपनी पसंदीदा मूर्तियां तैयार की। उनके द्वारा तैयार की गई सभी मूर्तियां कलाकारों की रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रदर्शित कर रहीं थी। आर्ट कैम्प में कलाकारों द्वारा बनाई गईसभी मूर्तियों को अलंकार और सुदर्शन गैलेरीज में प्रदर्शित किया गया। आर्ट कैम्प में गुजरात, पंजाब, दिल्ली, बिहार और जयपुर से कलाकारों ने हिस्सा लिया।

जवाहर कला केंद्र पर बनी डॉक्यूमेंट्री की हुई स्क्रीनिंग पहली बार, जवाहर कला केंद्र पर बनी शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री दर्शकों के लिए रंगायन में प्रदर्शित की गई। डॉक्यूमेंट्री का उद्देश्य जेकेके के इतिहास, इसके आर्किटेक्चर के महत्व, इसके डिवीजन, टीम और पूर्व में आयोजित किए गए कार्यक्रमों आदि को प्रस्तुत करना था। यह स्क्रीनिंग सभी टूरिस्ट, विजिटर्स और जेकेके प्रेमियों के लिए ऑडियो-विजुअल ट्रीट की तरह था।

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