पैराटीचर्स के मानदेय में वर्तमान में वृद्धि किया जाना विचाराधीन नहीं - अल्पसंख्यक मामलात मंत्री
जयपुर, 18 मार्च। अल्पसंख्यक मामलात मंत्री श्री शाले मोहम्मद ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि प्रदेश में संचालित मदरसों में कार्यरत पैराटीचर्स के मानदेय में वर्तमान में वृद्धि किया जाना विचाराधीन नहीं है।
श्री मोहम्मद प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस सम्बन्ध में पूछे गए पूरक प्रश्नो का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि पैराटीचर्स के मानदेय में गत बजट में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।
इससे पहले विधायक श्रीमती इन्द्रा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में श्री मोहम्मद ने बताया कि राजस्थान मदरसा बोर्ड से पंजीकृत प्रदेश के मदरसों में कुल 5 हजार 686 पैराटीचर्स कार्यरत हैं। उन्होंने पैराटीचर्स को राजस्थान मदरसा बोर्ड द्वारा रखे जाने का वर्ष तथा उन्हें दिये जाने वाले मानदेय का विवरण सदन के पटल पर रखा।
उन्होंने बताया कि मंत्रिमण्डल सचिवालय के आदेश क्रमांक प.5(1)म.म./2019 दिनांक 1 जनवरी 2019 द्वारा राज्य के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों की समस्याओं के निवारण के लिए ऊर्जा मंत्री श्री बुलाकीदास कल्ला की अध्यक्षता में मंत्री स्तरीय समिति का गठन किया गया है। मदरसा शिक्षा सहयोगियों के संबंध में चाही गई सूचना मंत्री स्तरीय समिति को प्रेषित की जा चुकी है। प्रकरण इस समिति के समक्ष विचाराधीन है। वर्तमान में प्रदेश के मदरसों में पैराटीचर्स भर्ती की कोई प्रक्रिया विचाराधीन नहीं है।
अल्पसंख्यक मामलात मंत्री ने बताया कि राजस्थान मदरसा बोर्ड से पंजीकृत मदरसों में शून्य नामांकन, मदरसा कमेटी के स्वयं के प्रार्थना-पत्र द्वारा मदरसा चलाने में असमर्थता प्रकट करने, शिकायत प्राप्त होने पर जांच उपरान्त राजस्थान मदरसा बोर्ड द्वारा सक्षम स्तर से अनुमोदन उपरान्त मदरसों को डी-रजिस्टर्ड (अपंजीकृत) किया जाता है।
उन्होंने विगत 5 वर्षों में डी-रजिस्टर्ड किये गये मदरसों का विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि बन्द मदरसों को रजिस्टर्ड करने के लिए मदरसा प्रबंधन कमेटी द्वारा निर्धारित मापदण्ड पूर्ण करने पर तथा राजस्थान मदरसा बोर्ड में नियमानुसार पंजीयन के लिए आवेदन करने पर मदरसों को पंजीकृत किया जाता हैं।
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