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अरबन को-ऑपरेटिव बैंक अजमेर में जमाकर्ताओं को राशि दिलाने के प्रयास, सी.बी.आई में लम्बित प्रकरणों के निस्तारण हेतु पत्र लिखा जायेगा - सहकारिता मंत्री


जयपुर, 10 मार्च। सहकारिता मंत्री श्री उदय लाल आंजना ने बुधवार को विधानसभा मे कहा कि अजमेर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक लि. के जमाकर्ताओं को राशि दिलाने के प्रति हम सबकी हमदर्दी है। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस संबंध में जो प्रकरण सी.बी.आई में चल रहे हैं उनके निस्तारण के लिए मुख्यमंत्री से आग्रह कर सी.बी.आई को पत्र लिखवाया जायेगा।

श्री आंजना शून्यकाल में विधायक श्रीमती अनिता भदेल द्वारा अजमेर अरबन को- ऑपरेटिव बैंक में नियत राशि से अधिक जमाकर्ताओं को भुगतान पर रोक लगाये जाने से उत्पन्न स्थिति के सम्बन्ध में रखे गये ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर अपना जवाब दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध जो प्रकरण सी.बी.आई में चल रहे हैं उनके निर्णय के बाद ही जमाकर्ताओं के भुगतान की कार्यवाही की जा सकेगी। उन्होंने कहा सी.बी.आई के प्रकरणों का निस्तारण शीघ्र हो इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री से आग्रह कर सी.बी.आई को पत्र लिखा जायेगा ताकि प्रकरणों का निपटारा समय पर हो और हमारा पैसा मिल सके।

सहकारिता मंत्री ने अजमेर में खाली पड़े प्लॉट को बेचकर जमाकर्ताओं को भुगतान करने की सदस्य की मांग पर बताया कि यदि नियमों में आता है तो जरूर बेचकर खातेदारों को पैसे देने का प्रयास करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रकरण न्यायालय में विचारधीन होने के कारण निर्णय के बाद ही यह कार्यवाही की जा सकेगी।

उन्होंने बताया कि इस प्रकरण के सम्बन्ध में अधिकारियों से भी चर्चा की गई है और वर्तमान में यह प्रकरण संभागीय आयुक्त अजमेर के समक्ष विचारधीन है। उन्होंने आश्वस्त किया कि 169 खातेदारों के बकाया भुगतान के लिए नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।

इससे पहले सहकारिता मंत्री ने श्रीमती भदेल के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के अपने लिखित वक्तव्य में बताया कि वर्ष 2011 में अजमेर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक लि. के जमाकर्ताओं को राशि निकाले जाने पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रोक लगाई गई थी जिसका मुख्य कारण बैंक नेटवर्थ नेगेटिव थी , ऎसी स्थिति में भुगतान होना संभव नहीं था। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंक का लाइसेंस 18 सितम्बर 2014 को समाप्त कर दिया गया था । 24 सितम्बर 2014 को विभाग द्वारा बैंक को परिसमापन में लाया जाकर अवसायक की नियुक्ति की गई। अवसायक द्वारा परिसमापन की कार्यवाही अमल में लाई गईं।

उन्‍होंने बताया कि बैंक कुल जमाकर्ताओं की राशि का क्लेम भारतीय निक्षेप एवं प्रत्यय गारण्टी निगम को दिया गया। चूंकि बैंक के पास आवश्यक क्लेम राशि उपलब्ध थी इसलिए बैंक द्वारा डी.आई.सी.जी.सी मुम्बई से वार्ता कर क्लेम अनुसार एक लाख तक की राशि हेतु (जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि जल्द दिलाने हेतु) नो-क्लेम कर बैंक में उपलब्ध फंड भुगतान किया गया, जो आज दिंनाक तक जारी है। बैंक द्वारा एक लाख से अधिक राशि के खाता धारकों को राहत प्रदान करने हेतु अधिकतम पॉच लाख तक राशि का भुगतान द्वितीय चरण के माध्यम से आज तक किया गया है।

सहकारिता मंत्री ने बताया कि 11 फरवरी 2021 तक डी.आई.सी.जी.सी. मुम्बई के निर्देशानुसार 5 हजार 994 खाताधारकों को कुल 29 करोड़ 3 लाख 77 हजार 394 राशि का भुगतान (एक लाख अधिकतम) किया गया है। इसके अतिरिक्त बैंक द्वारा स्वयं के निर्णयानुसार लिया गया भुगतान (पांच लाख अधिकतम) के तहत 1 हजार 833 खाताधारकों को 33 करोड़ 45 लाख 88 हजार 563 रूपये की राशि का भुगतान किया गया है।

उन्होंने बताया कि डी.आई.सी.जी.सी. मुम्बई के भुगतान हेतु राशि (क्लेम) नहीं लिया गया था, कुल भुगतान प्रत्येक खाताधारक को उसकी जमानुसार अधिकतम 6 लाख दिया जा चुका है एवं आज दिनांक तक भी आवेदन करने पर भुगतान किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इस भुगतान के पश्चात भी 6 लाख कुल से अधिक के खाताधारक तथा जिनके द्वारा क्लेम प्रस्तुत नहीं किया गया है। 23 सितम्बर 2020 तक 5 हजार 856 खाताधारकों के भुगतान के लिए आवेदन प्राप्त नहीं हुए है, जिसकी राशि 2 करोड 94 लाख 40 हजार 813 रुपये है। इसके अतिरिक्त कुल 6 लाख का भुगतान प्राप्त करने के पश्चात बकाया खाताधारकों की संख्या 269 है तथा राशि 21 करोड 32 लाख 71 हजार 924 है। अर्थात अधिकतम छः लाख तक की राशि के समस्त खाताधारकों को शत प्रतिशत राशि का भुगतान किया गया है तथा आज दिनांक तक भी प्रथम चरण व द्वितीय चरण के शेष रहे खाताधारकों को भुगतान किया जा रहा है। जिनकी राशि अलग से सुरक्षित की हुई है।

उन्होंने बताया कि प्रथम व द्वितीय चरण के भुगतान के पश्चात भुगतान से शेष केवल 269 खाताधारक हैं जिनकी राशि 21 करोड़ 32 लाख 71 हजार 923 रूपये है। ऋण वसूली बैंक का लाइसेंस रद्द होने के पश्चात बैंक कर्मचारियों व विभाग के अधिकारियों के सहयोग से की गई। बकाया ऋण वसूली के प्रयास भी जारी हैं। अवसायन के समय बैंक की देनदारियां लगभग 86.5 करोड़ थी, जो वर्तमान में 24.27 करोड़ लगभग रह गई है, बैंक के पास इस राशि के भुगतान हेतु सरकारी प्रतिभूतियां, ब्रांण्ड, म्यूचुअल फण्ड उपलब्ध हैं।

सहकारिता मंत्री ने बताया कि बैंक द्वारा कुल बकाया ऋण अवसायन के समय मूल 16.94 करोड थे, जिन पर 99-100 की कार्यवाही अमल में लाई गई जिसके माध्यम से कुल 7.64 करोड़ मूल की वसूली की गई। वर्तमान में बकाया ऋण 9.30 करोड़ है, जिसमें अधिकांश में 99-100 की कार्यवाही संधारित है। जिसमें से 4.00 करोड लगभग के ऋण वसूली प्रकरण राजस्थान उच्च न्यायालय में विचारधीन है। 5 करोड के ऋण जिनमें गांरटी के रूप में किसी भी प्रकार की सम्पति बैंक में रहन नहीं है व ऋण टी.वी. फ्रिज व अन्य घरेलू सामान व सामाजिक कार्य छोटे दुकानदारों दो पहिया वाहन आदि पर दिये हुए हैं। यह ऋण लगभग 14 वर्ष से 34 वर्ष पूर्व के हैं एवं रिर्जव बैंक द्वारा वर्ष 2006 के ऑडिट में इन्हें अशोध्य व डूबत श्रेणी में डाल दिया गया था। राशि लगभग 42 लाख रूपये के प्रकरण जिनमें बैंक द्वारा एडवोकेट के माध्यम से नोटिस तामिल कराये गऎ हैं। यह ऎसे ऋणी है, जिनके ऋण से अर्जित आस्तिया खुर्द बुर्द कर दी है। इनके विरूद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की विधिक प्रक्रिया पूर्ण कर प्रकरण दर्ज करवाये जा रहे है। 

श्री आंजना ने बताया कि बैंक द्वारा निरन्तर वसूली के प्रयास हेतु 99 व 100 के तहत अधिनियमान्तर्गत कार्यवाही की जा रही है। बैंक के पास तरलता उपलब्ध होते ही जमाकर्ताओं को पूर्व की भांति भुगतान कर दिया जावेगा, बैंक इन जमाकर्ताओं को भुगतान करने हेतु पूर्ण रूप से कृत संकल्प एवं गंभीर है।

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