जल जीवन मिशन पर राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की वर्चुअल कांफ्रेंस : केन्द्र सरकार राजस्थान को जल जीवन मिशन में 90 प्रतिशत सहायता देकर वर्ष 2013 से पहले की स्थिति को बहाल करे - जलदाय मंत्री
जयपुर, 13 मार्च। जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने केन्द्र सरकार से जल जीवन मिशन में राजस्थान को 90 प्रतिशत केन्द्रीय हिस्सेदारी की मांग को एक बार फिर पुरजोर तरीके से उठाते हुए केन्द्रीय सरकार से वर्ष 2013 से पहले की स्थिति को बहाल करने का आग्रह किया है।
डॉ. कल्ला ने शनिवार को केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में जल जीवन मिशन के तहत राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की वर्चुअल कांफ्रेंस में प्रदेश की जनता के दूरगामी हितों से जुड़ी इस मांग की विस्तार से चर्चा करते हुए ईस्टर्न कैनाल परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने और शेखावाटी इलाके को यमुना का पानी दिलाने के लिए भी केन्द्र सरकार से मध्यस्थता करने का भी आग्रह किया।
जलदाय मंत्री ने कहा कि राजस्थान में पानी का संकट सबसे बड़ा है। यहां भू-गर्भ जल की न्यून मात्रा में उपलब्ध है, ऎसे में नदियों को जोड़ने की योजना में पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लिए 37 हजार 247 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी ईस्टर्न कैनाल परियोजना को जल्द से मंजूरी दी जाए।
डॉ. कल्ला ने वर्चुअल कांफ्रेंस में बताया कि प्रदेश में 2024 तक एक करोड़ एक लाख घरों में नल कनैक्शन देने के लक्ष्य के साथ जल जीवन मिशन के कार्यों को गति दी जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में इस वित्तीय वर्ष के अंत तक 19.5 लाख घरों मे नल कनैक्शन हो जाएंगें। वर्ष 2021-22 में 30 लाख, 2022-23 में 40 लाख और 2023-24 में 12 लाख घरों में नल कनैक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लेकिन इसकी सफल क्रियान्विति के लिए केन्द्र सरकार की 90 प्रतिशत वित्तीय भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 से पहले राजस्थान को मरूस्थलीय जिलों के लिए 100 प्रतिशत तथा अन्य जिलों के लिए 90 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता पेयजल परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए मिलती थी। केन्द्र सरकार द्वारा पहाड़ी राज्यों में जहां बर्फ और पानी उपलब्ध है तथा केन्द्र शासित प्रदेशों को फिलहाल जल जीवन मिशन के तहत 100 प्रतिशत सहायता दी जा रही है। वहलृ राजस्थान जहां जल की उपलब्धता ही सबसे बड़ा संकट है और भौगोलिक स्थितियां चुनौतीपूर्ण एवं गांवों के बीच की दूरियां बहुत ज्यादा है, मात्र 50 प्रतिशत ही केन्द्रीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इसे देखते हुए वर्ष 2024 तक प्रदेश में जल जीवन मिषन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पुनः वर्ष 2013 के पहले की स्थिति के समान 90 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता के स्टेटस को बहाल किया जाना आवश्यक है। डॉ. कल्ला ने माही नदी के बाढ़ के पानी को जवाईं बांध तक ले जाने के लिए पुरजोर कार्यवाही की भी मांग की।
जलदाय मंत्री ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश के सभी जिलों में आएसए (इम्पलीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी-कार्यक्रम क्रियान्वयवन एजेंसी) के चयन और 40 हजार 613 गांवों में ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी-विपेज वाटर एंड सेनिटेषन कमेटी) के गठन का कार्य पूर्ण कर लिया गया है, इसके साथ ही 23 हजार से अधिक वीडब्ल्यूएससी सदस्यों का प्रशिक्षण भी पूर्ण कर लिया गया है। डॉ. कल्ला ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से जल जीवन मिशन के तहत योजनाओं के पुनः संयोजन (रेट्रोफिटिंग) के कार्यों के लिए अवधि को दो साल बढ़ाने का भी आग्रह किया, जिससे इन योजनाओं में नई टंकियों के निर्माण एवं अन्य इंफ्रांस्ट्रक्चर के विकसित करने के कार्य को पूरा किया जा सके। जलदाय मंत्री ने वर्चुअल कांफ्रेंस में बीकानेर के एनआईसी सेंटर से शिरकत की।
पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधांश पंत, विशिष्ट शासन सचिव उर्मिला राजोरिया, मुख्य अभियंता (ग्रामीण) श्री आरके मीना, मुख्य अभियंता (विशेष प्रोजेक्ट्स) श्री आरसी मिश्रा, मुख्य अभियंता (तकनीकी) श्री संदीप शर्मा, डब्ल्यूएसएसओ के निदेशक श्री अमिताभ शर्मा, चीफ कैमिस्ट श्री राकेश माथुर एवं अन्य सम्बंधित अधिकारियों ने भी इस वर्चुअल कांफ्रेंस में शिरकत की।
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