महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के रम्मत महोत्सव-2021 का उद्घाटन : स्थानीय परम्परा और लोक संस्कृति के संरक्षण की दिशा में पहल करें विश्वविद्यालय - राज्यपाल
जयपुर, 12 मार्च। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि तीज-त्योहारों की हमारी संस्कृति में उमंग और उल्लास के भाव सहज रूप में निहित हैं, इसीलिए हमारी सांस्कृतिक परम्पराएं हजारों साल से जीवंत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा के उत्कृष्ट केन्द्र बनने के साथ ही स्थानीय परम्परा और लोक संस्कृति के संरक्षण की दिशा में भी पहल करें।
राज्यपाल श्री मिश्र शुक्रवार को महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर द्वारा आयोजित रम्मत महोत्सव-2021 के उद्घाटन के अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में नाट्य को पंचम वेद के रूप में माना गया है। उत्तर प्रदेश में रामलीला, मध्य प्रदेश में माच, राजस्थान में ख्याल और तमाशा जैसे लोक नाट्य के कितने ही रूप देश के अलग-अलग अंचलों में प्रचलित हैं।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि कम ही शहर ऎसे होते हैं जो अपनी सांस्कृतिक पहचान को लुप्त नहीं होने देते, बीकानेर ऎसा ही एक शहर है। उन्होंने कहा कि यहां की स्थानीय संस्कृति और लोक कलाओं के संरक्षण के लिए महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में रम्मत पार्क की स्थापना कर अनुकरणीय पहल की गई है।
पूर्व में राज्यपाल श्री मिश्र को बीकानेर के विभिन्न स्थानों पर होने वाली अलग- अलग रम्मतों की अनूठी लोकनाट्य परंपरा के बारे में अवगत कराते हुए रम्मत के अलग-अलग दलों से परिचय कराया गया।
कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि बीकानेर बहुत ही गहरी सोच वाला शहर है जहाँ सत्कार, कला और संस्कृति की विशेष परम्परा है। वसंत पंचमी के साथ ही बीकानेर शहर में रम्मतों का आयोजन शुरु हो जाता है जो होलिकाष्टमी तक पूरे परवान पर आ जाता है। इन रम्मतों में लोक नाट्य के माध्यम से ऎतिहासिक एवं सांस्कृतिक कथाओं को इतने रोचक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है कि दूर- दूर से लोग इसका आनंद लेने बीकानेर तक खिंचे चले आते हैं।
कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक एवं सांस्कृतिक सरोकारों के तहत विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों में लोक कलाओं के प्रोत्साहन के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से प्रयास किए जा रहे हैं। रम्मत महोत्सव का आयोजन इसी दिशा में एक पहल है।
कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल श्री मिश्र ने संविधान की उद्देश्यिका तथा मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया। इसके पश्चात लोक कलाकारों द्वारा शंख, नगाड़ा तथा बांसुरी वादन की प्रस्तुतियां दी गईं। लोक कलाकार बसंत ओझा ने नाक से बांसुरी पर ‘धरती धोरां री‘ की मनोहारी धुन बजाई।
इस अवसर पर केंद्रीय संसदीय कार्य एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्दराम जायसवाल सहित विद्यार्थी तथा स्थानीय जन ऑनलाइन उपस्थित थे।
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