सिविल सेवा परीक्षा-2019 की चयन प्रक्रिया में हुई अनियमितता का राज्यसभा में उठा मामला
जयपुर, 22 मार्च। राज्यसभा सांसद श्री नीरज डांगी ने सोमवार को शून्यकाल में भारत सरकार द्वारा रणनीतिक रूप से एस.सी एवं एस.टी. वर्ग के लिए संविधान प्रदत्त प्रावधानों पर किये जा रहे हमले की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया। सांसद श्री डांगी ने संसद में इस प्रकरण की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि 4 अगस्त, 2020 को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा सिविल सेवा परीक्षा-2019 के परिणामों को जारी करते हुए पहली लिस्ट में 829 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया। जारी परिणाम में कुल घोषित 829 उम्मीदवारों में से 129 अनुसूचित जाति और 67 अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों की अनुशंसा की गई थी।
श्री डांग ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा वक्तव्य जारी कर बताया गया था कि सिविल सेवा परीक्षा-2019 के लिए कुल 927 पद भरे जाने है। इस हेतु 829 अभ्यर्थियों के परिणाम जारी किये गये है इसके अतिरिक्त कुल 66 अभ्यर्थियों की एक समेकित आंरक्षित सूची तैयार की गई है एवं 11 अभ्यर्थियों का परिणाम रोका गया है। आयोग के वक्तव्य के अनुसार कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की तरफ से भेजी गई मांग के अनुरूप आयोग इस समेकित आरक्षित सूची से बाकी उम्मीदवारों की सरकार को अनुशंसा करता है।
श्री डांगी ने सदन को कहा है कि संघ लोक सेवा आयोग के उक्त वक्तव्य के विपरीत 4 जनवरी, 2021 को आयोग द्वारा समेकित आरक्षित सूची में से 66 के स्थान पर 89 और उम्मीदवारों को अनुशंसित कर दूसरी सूची जारी कर दी है। इनमें अनुसूचित जाति का एक उम्मीदवार था जबकि अनुसूचित जनजाति का कोई उम्मीदवार अनुशंसित नहीं किया गया था।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि सिविल सर्विसेज परीक्षा-2019 के कुल स्वीकृत 927 पदों में से अब तक 918 पदो का परिणाम घोषित किया जा चुका है। भारत सरकार ने आरक्षण नियमों के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण के अनुसार 138 उम्मीदवारों के चयन के स्थान पर मात्र 130 और अनुसूचित जनजाति के 69 उम्मीदवारों के चयन के स्थान पर मात्र 67 उम्मीदवारों का ही चयन किया है।
श्री डांगी ने राज्यसभा में मामला उठाते हुए कहा कि 05 फरवरी, 2021 को भारत सरकार द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी कर लेटरल एन्ट्री स्कीम के तहत संयुक्त सचिव स्तर के 10 पदों को बिना परीक्षा सीधे भरे जाने का प्रकाशन किया है। ये 10 पद इन आरक्षित वर्गो के शेष रहे 10 पदों की कटौती करते हुए जारी किया गया है जो कि भारत सरकार द्वारा रणनीतिक रूप से एस.सी एवं एस.टी. वर्ग के लिए संविधान प्रदत्त प्रावधानों पर किया जा रहा सीधा हमला एवं भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 (4) एवं अनुच्छेद 16(4) का स्पष्ट उल्लंघन है।
उल्लेखनीय है कि सांसद श्री डांगी ने 17 फरवरी को भी सिविल सेवा परीक्षा-2019 के परिणामों को लेकर संघ लोक सेवा आयोग द्वारा की गई अनियमितता को लेकर उठे विवाद के बाद मामला राज्यसभा में उठाया था। संसद में श्री नीरज डांगी ने तारांकित व अतारांकित प्रश्नों के जरिए अभ्यर्थियों की आवाज उठाई।
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