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शिल्प, कला और संस्कृति का फागुन जयपुर में 10 से 21 मार्च तक


- ग्रामीण महिला आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण के लिए एक विशेष प्रयास

- जयपुर सरस राष्ट्रीय क्रा़फ्ट मेला-2021

जयपुर 9 मार्च। होली से ठीक पहले जयपुर शिल्प, कला और संस्कृति के रंगों में सराबोर नजर आएगा। देश के विभिन्न राज्यों के गांवों की महिलाओं का परिश्रम इस उत्सव का सबसे गहरा रंग होगा। राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् (राजीविका) और ग्रामीण विकास विकास विभाग की ओर से जयपुर के रामलीला मैदान में 10 से 21 मार्च तक सरस राष्ट्रीय क्रा़फ्ट मेला का आयोजन किया जा रहा है। सुबह 11 से रात 9 बजे तक तक चलने वाला यह 12 दिन का मेला फागुन में देश के विभिन्न राज्यों की शिल्प, कला और संस्कृति के रंगों से जयपुर को सरोबार करेगा। मेले का वच्र्यूल उद्घाटन दिनांक 10 मार्च 2021 को शाम को 6 बजे श्री अशोक गहलोत माननीय मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार द्वारा किया जाएगा।

राज्य मिशन निदेशक (आईएएस.) श्रीमती शुचि त्यागी ने बताया कि मेले में राजस्थान, ओडिशा, असम, केरल, छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा असम, मेघालय जम्मूू -कश्मीर, नागालैंड, छत्तीसगढ़, तमिलनाडू, केरल आदि विभिन्न राज्यों की स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी निर्धन परिवारों की 300 महिला उत्पादक और शिल्पकार भाग लेंगी। महिलाओं की हस्तनिर्मित विभिन्न उत्पादों की 150 स्टॉल लगाई जाएंगी। स्टॉलों पर बिक्री के लिए उपलब्ध महिलाओं की हस्तनिर्मत सुंदर, उत्कृष्ट, मनमोहक कलाकृतियां ग्रामीण महिला प्रतिभा और कौशल को प्रर्दर्शित करेंगी। विभिन्न राज्यों के पराम्परागत व्यंजनों की खुशबू और जायका भी मेले का प्रमुख और निराला आकर्षण है। मेले में सुबह से शाम तक शिल्प, कला और व्यंजन समय को खुशनुमा बनाएंगे। प्रतिदिन शाम को 6ः 30 बजे से रात 8ः 30 बजे तक राजस्थानी, कालबेलिया, घूमर, चरी नृत्य, लोकगीत आदि विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जो शिल्प और कला के फागुन को और अधिक रंगीन बनाएंगे।

अद्भुत है ग्रामीण महिलाओं की प्रतिभा, कला और परिश्रम

यह मेला बहुत ही विशेष है क्योंकि ग्रामीण महिला सशक्तिकरण प्रतीक है। मेले भाग लेने वाली महिलाओं का जज्बा, प्रतिभा, परिश्रम और कला चारों ही अद्भुत हैं। ग्रामीण निर्धन परिवारों की महिलाओं ने स्वयं सहायता समूहों से जुड़ कर अपनी आजीविका कमाने का निश्चय किया। अपनी प्रतिभा और कला से अपने सपनों को मूर्त रूप दिया। कभी गरीबी से रोज संघर्ष करने वाली यह महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ कर ग्रामीण महिला आत्मनिर्भरता का श्रेष्ठ उदाहरण बन कर उभरी हैं। आज विभिन्न राष्ट्र स्तर के मेलों में इनके हस्तनिर्मत उत्पाद सराहे जा रहे हैं।

ग्रामीण महिला सशक्तिकरण और कला को मिलेगा प्रोत्साहन

मेले का उद्देश्य निर्धन परिवारों की ग्रामीण महिला उत्पादकों के उत्पादों की बिक्री के लिए उपयुक्त मंच उपलब्ध कराना है। मेले के आयोजन से ग्रामीण महिला उत्पादकों की कला को प्रोत्साहान मिलेगा। उत्पादों की बिक्री से ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सम्बल भी मिल सकेगा। ग्रामीण महिला आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण प्रभावी तरीके से आगे बढ़ेगा। विभिन्न राज्यों की हस्तकला को एक मंच पर देखा जा सकेगा।

यह होंगे विशेष उत्पाद 

ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित मनमोहक कालीन, जरी की कढ़ाई किए गए कपड़े, डोरिया, लहरिया, बाड़मेरी प्रिंट, टेराकोटा, आधुनिक और परम्परागत वस्त्र बांस व जूट के उत्पाद सेरमिक उत्पाद, ब्लेक और ब्ल्यू पॉट्री, अनेक प्रकार का घरेलू सामान, सजवाट की वस्तुएं, विभिन्न प्रकार के अचार मुरब्बे, पापड़ आदि सामान मेले में बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे।

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