स्टेट प्रोजेक्ट स्टीयरिंग कमेटी की बैठक : राष्ट्रीय मरू उद्यान इलाके में जैव विविधता और वन परिदृश्यों के संरक्षण के लिए ग्रीन एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट चलेगा
- कृषि एवं खाद्य संगठन की ग्लोबल एनवायरमेंट फेसिलिटी (जीईएफ) के तहत वित्त पोषित सात वर्षीय प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे लगभग 30 करोड़ रुपए
जयपुर, 19 फरवरी। बाड़मेर एवं जैसलमेर जिले में स्थित राष्ट्रीय मरू उद्यान इलाकों में जैव विविधता और वन परिदृश्यों के संरक्षण के लिए ग्रीन एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट चलाया जाएगा। मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य की अध्यक्षता में शुक्रवार को यहां शासन सचिवालय में आयोजित स्टेट प्रोजेक्ट स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में प्रोजेक्ट के प्रारंभिक तीन माह की कार्य योजना को मंजूरी दी गई।
मुख्य सचिव श्री आर्य ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के तहत मरू उद्यान क्षेत्र में सेवण घास सहित अन्य मूल वनस्पति को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रोजेक्ट को परिणाम उन्मुखी बनाने पर जोर देते हुए कार्य आरंभ होने से पहले, कार्य प्रगति के दौरान एवं अन्त में संवर्धित वनस्पति का ड्रोन से वीडियोग्राफी करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने यहां की मूल वनस्पति की बढ़वार में बाधक बन रहे विलायती बबूल को समूल नष्ट करने के निर्देश दिए। उन्होंने आगामी तीन माह में प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना विकास, मानव संसाधन की भर्ती तथा घास बीज प्रबंधन करने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने प्रोजेक्ट में केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) एवं कृषि विश्व विद्यालय जोधपुर का तकनीकी सहयोग लेने के निर्देश दिए।
कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री कुंजीलाल मीना ने बताया कि यह प्रोजेक्ट कृषि एवं खाद्य संगठन की ग्लोबल एनवायरमेंट फेसिलिटी (जीईएफ) के तहत वित्त पोषित है। इस सात वर्षीय प्रोजेक्ट पर लगभग 30 करोड़ रुपए खर्च होंगे। उन्होंने बताया कि इसमें सामुदायिक चरागाह प्रबंधन के तहत राष्टीय मरू उद्यान के एक लाख 75 हजार हेक्टेयर एवं आसपास के 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मूल वानस्पातिक प्रजातियों का संरक्षण-संवर्धन, हानिकारक प्रजाति की वनस्पतियों को हटाने, परंपरागत वनों (ओरण) एवं पारंपरिक चराई क्षेत्र (गोचर) का प्रभावी प्रबंधन, खड़ीन एवं टांका जैसी जल संचयन संरचनाओं का पुनरूद्धार किया जाएगा।
कृषि विभाग के आयुक्त डॉ. ओमप्रकाश ने प्रोजेक्ट की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को उत्तम कृषि क्रियाओं को अपनाने के लिए प्रेरित एवं सहायता मुहैया कराई जाएगी। पर्यावरण एवं ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के अनुकूल टिड्डी नियंत्रण के उपाय अपनाने पर कार्य किया जाएगा। बाजरा, ग्वार और औषधीय पौधों के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास किया जाएगा। जैव विविधता एवं स्थानीय संरक्षण प्रयासों के साथ समुदाय आधारित इको टूरिज्म का विकास तथा सामाजिक सुरक्षा के दृष्टिगत स्थानीय खरीद की सुविधा विकास का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पशुधन प्रबंधन के तहत टीकाकरण, पशु सखी प्रशिक्षण, सामुदायिक चारा बैंक एवं आवारा पशुओं को गौशालाओं में रखने की योजना पर कार्य किया जाएगा।
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