प्याज के बीज की कालाबजारी में दोषी पाये जाने पर कार्यवाही होगी - कृषि मंत्री
जयपुर, 15 फरवरी। कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने सोमवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि अलवर जिले में प्याज के बीज की कालाबजारी की शिकायतों की जांच करने एवं इसे रोकने के लिए समिति बनाकर 10 दिन में जांच की जाएगी तथा कालाबाजारी में दोषी पाये जाने वाले लोगों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान में अलवर प्याज उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। अलवर में प्याज की रबी और खरीफ दोनों फसलों का उत्पादन किया जाता है। वर्तमान में प्याज की खरीफ फसल का बीज मार्केट में आ रहा है।
श्री कटारिया प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि, किसानों के संरक्षण के लिए ही फसल बीमा किया जाता है। अलवर जिले में गत वर्ष प्याज की खरीद की निविदा प्रक्रिया में केवल एक कंपनी ने भाग लिया, जबकि भारत सरकार की गाईडलाइन में 18 कंपनियां अधिसूचित है। निविदा प्रक्रिया में मात्र एक कंपनी के भाग लेने के कारण बीमा प्रीमियम अधिक प्राप्त हुई है। इस संबंध में जब कंपनी से नेगोशिएट किया गया तो मना कर दिया गया और प्रतिस्पर्धा में कोई कंपनी ने भाग नहीं लिया। जिस कारण फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कवर नहीं किया जा सका।
इससे पहले विधायक श्रीमती सफिया जुबेर के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में श्री कटारिया ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत वर्ष 2020-21 में अलवर जिले के लिए बाजरा, ग्वार, कपास, ज्वार, तिल, मक्का, सरसों, चना, गेहूं एवं जौ तथा पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजनान्तर्गत बैंगन एवं टमाटर फसलें अधिसूचित है। जिन फसलों की फसल कटाई प्रयोग की पद्धति राजस्व मण्डल द्वारा निर्धारित है और वे फसलें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत वर्गीकृत है। शेष फसलें विशेषकर उद्यानिकी फसलें पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजनान्तर्गत वर्गीकृत है।
उन्होंने बताया कि अलवर जिले के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत जनवरी, 2019 से अगस्त, 2020 तक कृषकों ने खरीफ 2019 में 11 करोड़ 76 लाख रुपये, रबी 2019-20 में 13 करोड़ 77 लाख रुपये तथा खरीफ 2020 में 10 करोड़ 69 लाख रुपये कृषक प्रीमियम बैंकों के माध्यम से बीमा कम्पनी को जमा कराया गया।
श्री कटारिया ने बताया कि प्याज की फसल का बीमा पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत किया जाता है, जो कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का ही अंग है। अलवर जिले में प्याज फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत कवर नहीं किया गया है, क्योंकि निविदा के अन्तर्गत इस फसल के लिए प्रीमियम दर अधिक प्राप्त हुई है, जिसके कारण उसको स्वीकार नहीं करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की गाइड लाईन के अनुसार यह निविदायें तीन वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक के लिए अनुमोदित की गई है, उसके बाद नई निविदायें आमंत्रित की जावेंगी, जिनमें अलवर जिले में प्याज की फसल को शामिल करने पर विचार किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा जारी योजना की प्रचालन मार्गदर्शिका के अनुसार राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। किसानों को कम लागत पर प्याज भण्डारण संरचना के निर्माण हेतु इकाई लागत राशि रुपये एक लाख 75 हजार का 50 प्रतिशत अधिकतम राशि रुपये 87 हजार 500 का अनुदान देय है। इस अनुदान राशि में 60 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र सरकार का व 40 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार का होता है।
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