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राज्य जियोलोजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की गुरुवार को बैठक, केन्द, राज्य व निजी क्षेत्र के भूविज्ञानी करेंगे मंथन, पांच भूविज्ञानी होंगे सम्मानित

जयपुर, 16 फरवरी। प्रदेश में भू वैज्ञानिकी कार्यों और एक्सप्लोरेशन परियोजनाओं पर मंथन के लिए गुरुवार 18 फरवरी को केन्द्र व राज्य सरकार के साथ ही राजकीय व निजी उपक्रमों के भूविज्ञानी जयपुर में जुटेंगे। गुरुवार को जयपुर में राज्य जियोलोजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की उद्योग भवन में 55 वीं राज्य स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया है।

राज्य के प्रमुख सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम श्री अजिताभ शर्मा राज्य जियोलोजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की 18 फरवरी को उद्योग भवन के मीटिंग हाल में आयोजित बैठक के उद्घाटन व सत्र को संबोधित करेंगे। बैठक के समन्वयक अतिरिक्त निदेशक जियोलोजी खान विभाग श्री प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि राज्य जियोलोजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की सालाना आयोजित बैठक में केन्द्र व राज्य के सरकार की वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही उपक्रमों के भूविज्ञानियों के हिस्सा लेने से प्रदेश में खनिजों के खोज व उत्खनन कार्यों पर चर्चा होने के साथ ही भावी कार्यक्रमों पर भी मंथन होता है। उन्होंने बताया कि इससे विभिन्न विभागों व संस्थाओं द्वारा किए जा रहे कार्यों के बीच समन्वय बनाए रखने के साथ ही पुनरावृति से बचा जाना संभव हो पाता है।

राज्य जियोलोजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की 55 वीं बैठक में श्री बीपी रतोड़ी महाप्रबंधक एक्सप्लोरेशन एमईसीएल नागपुर, श्री केसी साहू डीडीजी जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया वेस्टर्न रीजन, राज्य के माइंस एवं जियोलोजी विभाग के अतिरिक्त निदेशक बीकानेर डॉ. बीएस राठौड़, अतिरिक्त निदेशक कोटा श्री धमेन्द्र कुमार शर्मा और सुपरिटेंडिंग जियोलोजिस्ट मुख्यालय उदयपुर श्री अरुण कुमार मालू को समृति चिन्ह देकर सम्मानित किया जाएगा। राज्य जियोलोजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की बैठक में खनिज एक्सप्लोरेशन के क्षेत्र में कार्य कर रहे केन्द्र सरकार के विभिन्न विभाग व उपक्रम यथा भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, एमईसीएल, ओएनजीसी, एचपीसीएल, ऑयल इण्डिया, हिन्दुस्तान कॉपर, परमाणु खनिज विभाग के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इसके साथ ही राज्य के खनिज एवं भूविज्ञान विभाग, आरएसएमएमएल व निजी क्षेत्र के उपक्रमों में हिन्दुस्तान जिंक, केयर्न इण्डिया आदि के वरिष्ठ भूविज्ञानी हिस्सा लेंगे। इस बैठक के माध्यम से राज्य में चल रही खनिज खोज गतिविधियों, खनन कार्यों आदि पर परस्पर समन्वय व अनुभवाें का आदान-प्रदान, विचार मंथन, उपलब्ध संसाधनों व एक दूसरे की क्रियाविधि को समझने का अवसर मिलता है। इसके साथ ही प्रदेश में होने वाली भूवैज्ञानिकी गतिविधियों की पुनरावृति पर प्रभावी रोक भी संभव हो पाती है।

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