आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना : अस्पतालों की सुविधा के लिए योजना से जुड़ने की प्रकिया के प्रावधानों में किये गए आंशिक बदलाव - मुख्य कार्यकारी अधिकारी
जयपुर, 27 फरवरी। राजस्थान स्टेट हैल्थ एश्योरेंस एजेन्सी की कार्यकारी अधिकारी श्रीमती अरुणा राजोरिया ने बताया कि ’आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना’ के नवीन चरण के अन्तर्गत लाभार्थियों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए और अस्पतालों के योजना से जुड़ने की प्रक्रिया को और सुगम बनाने के लिए प्रावधानो में आंशिक बदलाव किया गया है।
श्रीमती राजोरिया ने बताया कि योजना से जुड़ने के लिए निजी अस्पताल का दो वर्ष से लगातार कार्यरत होना अनिवार्य शर्त है जिसके प्रमाण के रूप में अस्पताल को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दो वर्ष पुराना सर्टिफिकेट मांगा जाता था। अब राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अस्पताल के पास अगर दो साल पुराना सर्टिफिकेट उपलब्ध न हो तो नवीन सर्टिफिकेट के साथ योजना के पूर्ववर्ती चरण में, जननी सुरक्षा योजना में, सीजीएचएस, एक्स सर्विसमैन कॉन्ट्रीब्यूटरी स्कीम, राज्य बीमा और भविष्य निधि विभाग में से किसी भी एक योजना से कम से कम दो साल जुड़े होने का प्रमाण प्रस्तुत करने पर भी उसे विकल्प के तौर पर स्वीकार किया जाएगा। यह देखने में आया था कि कई बार हॉस्पिटल की जगह परिवर्तित होने पर राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का सर्टिफिकेट उसको नए सिरे से जारी होता था, जिससे दो साल से कार्यरत होने की अनिवार्य शर्त से निजी अस्पताल योजना से जुड़ने से वंचित रह जाता था। अब इसमें आंशिक बदलाव करके यह प्रावधान किया गया है कि नाम और स्वामित्व बदले बिना अगर कोई अस्पताल अपना स्थान परिवर्तन कर रहा है तो उसे पुराने और नए दोनों स्थान की समयावधि को मिलाकर कार्यरत समय माना जायेगा। इसलिए उसे सभी जरूरी दस्तावेज और घोषणा पत्र विभाग को देना होगा।
संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री कानाराम ने बताया कि योजना से जुड़ने वाले अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों का राजस्थान मेडिकल काउंसलिंग से रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है परंतु अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे ऎसे चिकित्सक, जिनकी सर्टिफिकेट अवधि समाप्त हो चुकी है अथवा नए के लिए जिसने आवेदन किया है, वो भी अपनी सेवाएं दे पाएंगे परन्तु अगले तीन माह में उनका रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट विभाग को प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। इसके लिए सम्बंधित अस्पताल को एक घोषणा-पत्र और रजिस्ट्रेशन के लिए चिकित्सक द्वारा किया गया आवेदन पत्र विभाग को प्रस्तुत करना होगा।
योजना से जुड़ने वाले अस्पताल की कुल बेड संख्या की अनिवार्यता में भी आंशिक बदलाव कर आंखों और ईएनटी अस्पताल में न्यूनतम बेड संख्या को 30 से घटाकर 10 कर दी गई है।
प्रदेश के सभी संभागों से निजी अस्पताल जुड़ने के लिए आवेदन कर रहे है और तय मापदण्डों को पूरा करने वाले निजी अस्पतालों को योजना से लगातार जोड़ा जा रहा है। अब तक योजना से प्रदेश के 735 सरकारी और 220 निजी अस्पताल जुड़ चुके है। साथ ही योजना के नवीन चरण में इस बार प्रदेश में कार्यरत भारत सरकार के 9 सरकारी अस्पताल भी जुड़कर अपनी सेवाएं दे रहे है।
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