मुख्यमंत्री ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र : राज्यों के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान तथा अतिरिक्त उधार लेने की अवधि बढ़ाए केन्द्र सरकार
जयपुर, 29 जनवरी। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर राज्यों को केन्द्र सरकार की ओर से देय जीएसटी क्षतिपूर्ति (कम्पनसेशन) राशि की गणना राज्य के सकल राजस्व घाटे (टोटल रेवेन्यू डेफिसिट) के आधार पर कर भुगतान करने तथा जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत राज्यों की अतिरिक्त उधार लेने की सीमा अगले वित्तीय वर्ष के लिए बढ़ाने का भी अनुरोध किया है।
श्री गहलोत ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए संसद में पेश होने वाले केन्द्रीय बजट से पहले लिखे इस पत्र में राज्य की आर्थिक स्थिति की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है कि कोविड-19 महामारी का अर्थव्यवस्था पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महामारी और उसके क्रम में लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन सहित विभिन्न प्रतिबंधों के हटने के बाद अब आर्थिक गतिविधियों का संचालन तो शुरू हो गया है, लेकिन स्थिति को सामान्य होने में लंबा समय लगेगा।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि केन्द्र सरकार की ओर से राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए भुगतान जून 2022 तक देय है, लेकिन वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में इस अवधि को पांच वर्ष और बढ़ाकर जून 2027 तक जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए भुगतान किया जाए। उन्होंने चालू वित्तीय वर्ष के लिए केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि का आकलन एवं भुगतान सकल राजस्व घाटे के आधार पर करने की पूर्व में रखी गई मांग भी दोहराई।
श्री गहलोत ने बताया कि कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों में चालू वित्तीय वर्ष के लिए राज्य सरकार ने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की 2 प्रतिशत राशि अतिरिक्त उधार लेने का विकल्प चुना है। उन्होंने श्री मोदी से राज्य सरकार की प्रतिबद्ध देनदारियों (कमिटिड लायबिलिटीज) के लिए वित्तीय संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 2 प्रतिशत अतिरिक्त उधार लेने के इस प्रावधान को अगले वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए भी जारी रखने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा कि कोविड-19 महामारी के अर्थव्यवस्था पर पड़े नकारात्मक प्रभाव के क्रम में विकास की कमजोर गति के चलते सकल राज्य घरेलू उत्पाद के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकेगा। साथ ही, राज्य में राजस्व संकलन का प्रवाह भी अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुंच पाएगा। उन्होंने जोर दिया कि इन परिस्थितियों में आगामी केन्द्रीय बजट में अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए उपरोक्त सकारात्मक कदम उठाना अति-आवश्यक है।
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