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‘संयुक्त राष्ट्र एवं अन्तर्राष्ट्रीय शांति‘ विषयक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित : संयुक्त राष्ट्र के जरिये देशों में परस्पर विश्वास और सहयोग की साझा समझ विकसित करने पर राज्यपाल ने दिया जोर, संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व बढ़े – राज्यपाल


जयपुर, 19 जनवरी। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने वैश्विक स्तर पर तेजी से हो रहे बदलावों और राष्ट्रों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और शांति की जरूरतों के परिप्रेक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने की आवश्यकता जताई है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के जरिये विश्व स्तर पर देशों में परस्पर विश्वास और सहयोग की साझा समझ विकसित किये जाने का भी आह्वान किया है। 

श्री मिश्र मंगलवार को सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘संयुक्त राष्ट्र एवं अन्तर्राष्ट्रीय शांति‘ विषयक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्यों और इस दौर में इसकी प्रासंगिकता पर सभी स्तरों पर व्यापक विमर्श की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बीते 75 सालों में संयुक्त राष्ट्र की अनेक उपलब्धियां रही हैं परन्तु कोविड-19 महामारी जैसे बहुत से अवसर ऎसे भी आए हैं जब संयुक्त राष्ट्र के समक्ष गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी हुई है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को समान रूप से राष्ट्रों के विकास हेतु साझा हितों के लिए कार्य करने पर जोर दिया। 

श्री मिश्र ने कहा कि इस समय में भले ही विश्वयुद्ध नहीं हुआ है परन्तु कुछ देशों ने अपने पड़ोसी देशों के विरूद्ध छद्म युद्ध छेड़ रखा है। कुछ देश खुले आम आतंकवाद को प्रश्रय दे रहे हैं। इस सबसे मानवीयता पर निरन्तर बड़ा संकट मंडरा रहा है। उन्होंने इस समग्र परिदृश्य में संयुक्त राष्ट्र को आगे आकर प्रभावी भूमिका निभाने का आह्वान किया। 

राज्यपाल ने स्पष्ट कहा कि वीटो पावर सिस्टम के कारण विश्व में महामारी, आतंकवाद, हिंसा एवं गृह युद्धों को रोकने में संयुक्त राष्ट्र बहुत अधिक कारगर भूमिका नहीं निभा सका है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रों की जरूरतों और सुरक्षा, शांति की नवीन चुनौतियों पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है। 

श्री मिश्र ने भारतीय संस्कृति की ‘वसुधैव कुटुम्बकम‘ की विचारधारा और विश्व शांति- सहिष्णुता की चर्चा करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में भी इसी सोच से कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शांति स्थापना के लिए 50 शांति अभियानों में भारत ने अपने सैनिक भेजे हैं। दक्षिण सूडान में हाल ही में आठ सौ से अधिक भारतीय शांतिरक्षकों को संयुक्त राष्ट्र मिशन में सेवा के लिए पदक से सम्मानित किया गया है, यह हमारे लिए गौरव का विषय है। 

राज्यपाल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा कमजोर वर्ग और देशों को यह विश्वास दिलाने की जरूरत है कि वह उनके प्रति अपने कर्तव्यों को लेकर सजग है। उन्होंने कहा कि सभी राष्ट्रों को इस साझा समझ पर कार्य करने की जरूरत है कि उनके द्वारा ऎसा कोई कार्य नही किया जाये जिससे दूसरे देशों के लोगों को नुकसान हो। उन्होंने विपदा के समय सभी को एकमत होकर जरूरतमंद राष्ट्रों की मदद के लिए तत्पर रहने, अपने स्वास्थ्य के साथ दूसरों के स्वस्थ जीवन के लिए भी कार्य करने और अधिकारों और कर्तव्य में संतुलन रखते हुए कार्य करने का आह्वान किया। 

इससे पहले सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आलोक त्रिपाठी, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व प्रशिक्षण प्रमुख और इंटरनेशनल पुलिस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष श्री फ्रेडरिक, दाफुर में संयुक्त राष्ट्र-अफ्रीकी संघ के संयुक्त अभियान के राजनीतिक मामलों के वरिष्ठ अधिकारी श्री आर कन्नन, सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रमुख सुरक्षा सलाहकार श्री मुनिएंडी शनमुगम, विश्व खाद्य कार्यक्रम के क्षेत्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री फ्लोरियन बाल्के और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व सुरक्षा सलाहकार श्री राजेन्द्र जोशी ने संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और भावी दिशा पर अपने विचार रखे। 

सम्मेलन में राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्दराम जायसवाल भी ऑनलाइन उपस्थित रहे।

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