आशा सहयोगिनियों की मांगों के संबंध में कमेटी का गठन, मानदेय वृद्वि के संबंध में सरकार द्वारा सहानुभूतिपूर्वक होगा विचार
जयपुर 29 दिसम्बर। आशा सहयोगिनियों की मांगों पर राज्य सरकार सवेंदनशील है। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती ममता भूपेश के निर्देश पर विभाग ने उनकी मांगों के शीघ्र निस्तारण के लिए शासन सचिव डॉ.के.के. पाठक एवं चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव सिद्धार्थ महाजन व निदेशक, आईसीडीएस की देखरेख में कमेटी का गठन किया है। कमेटी द्वारा वित्त विभाग को आशाओं के मानदेय वृद्धि संबंधी वित्तीय मांगे राज्य सरकार को प्रेषित की जा चुकी हैं तथा आशा सहयोगिनियों को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त होने वाले इंसेंटिव में तर्कसंगत वृद्धि के लिए भी भारत सरकार को पत्र लिखा जा रहा है।
आईसीडीएस की निदेशक डॉ. प्रतिभा सिंह ने बताया कि आशा सहयोगिनी संगठन के प्रतिनिधि मंडल को वार्ता के लिए आमंत्रित कर मानदेय वृद्वि की पत्रावली राज्य सरकार को प्रेषित किए जाने से अवगत कराया गया। आशा सहयोगिनियों को समेकित बाल विकास विभाग की ओर से 2700 रूपये राशि प्रति माह की दर से मानदेय दिया जा रहा है जो पूर्णतया राज्य मद से दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत विभिन्न सेवाओं हेतु औसतन 3000 रुपये की इंसेंटिव राशि भी प्रतिमाह प्रदान की जा रही है। आशा सहयोगिनी संगठनों ने मानदेयकर्मियों के स्पष्ट कार्य विभाजन, चिकित्सा विभाग में प्रक्रिया सरलीकरण व जठिलताओं में कमी की मांग की, जिस पर सहमति व्यक्त की गई। उनकी अधिकांश मांगों पर सकारात्मक सहमति जताई गई है व चिकित्सा विभाग से संबंधित मांगों पर अग्रिम कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। मानदेय वृद्वि के संबंध में पत्रावली पर राज्य सरकार द्वारा सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि एनएचएम के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा आशा कार्मिक का पद इंसेंटिव आधारित पद सृजित किया गया है। राजस्थान सरकार द्वारा पूर्व में सृजित मानदेय सहयोगिनी का पद आशा के साथ समावेश कर इन्हें नया नाम आशा सहयोगिनी किया गया; ताकि एनएचएम के तहत इन्सेटिंव राशि के साथ का भी लाभ ले सके। पूरे देश में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आशाओं को अतिरिक्त मानदेय की व्यवस्था केवल राजस्थान राज्य में ही है, और राज्य मद से कुल लगभग 17.00 करोड़ रूपये की राशि मानदेय हेतु प्रदान की जा रही है। चूकि भारत सरकार द्वारा अपना अंशदान केवल चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अन्तर्गत केवल इन्सेंटिव के रूप में ही दिया जाता है, अतः मानदेय संबंधी समस्त वित्तीय भार राज्य सरकार पर ही सृजित होता है। चिकित्सा विभाग के इन्सेंटिव राशि में भी 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन करती है।
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