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चुनौतीपूर्ण स्थितियों के बीच प्रदेश में समयबद्ध पेयजल प्रबंधन से जनता को राहत की नई मिसाल, विभाग ने दो वर्ष में अर्जित की महत्वपूर्ण उपलब्धियां - जलदाय मंत्री


जयपुर, 17 दिसम्बर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के कुशल नेतृत्व एवं निर्देशन में जलदाय विभाग ने राज्य सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में गांव-ढ़ाणी, कस्बे तथा नगर-नगर में घर-घर तक लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराते हुए पेयजल प्रबंधन में नई मिसाल कायम की है। 

जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला ने राज्य सरकार की दूसरी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में विभाग द्वारा अर्जित महत्वपूर्ण उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि दो सालों का यह कार्यकाल जलदाय विभाग ने चुनौतियों स्थितियों के बीच पूरे प्रदेश में जनता को समयबद्ध पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी का जवाबदेही के साथ निर्वहन किया है। उन्होंने बताया कि सरकार के पहले साल में वर्ष 2019 की गर्मिर्यों के सीजन में पेयजल आपूर्ति को लेकर विभाग के सामने कई विकट चुनौतियां थी। मानसून और वर्षा की स्थिति को लेकर पूरा प्रदेश चिंतित था। श्री गहलोत के निर्देशन में उन स्थितियों में जलदाय विभाग ने एक के बाद एक ऎसे फैसले लिए जिनसे प्रदेश में कहीं भी जनता को पेयजल को लेकर किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आई और राज्य में पेयजल का शानदार प्रबंधन किया। मानसून में देरी की वजह से राज्य के समस्याग्रस्त क्षेत्रों में लोगों की जरूरतों का आंकलन कर विभाग द्वारा नलकूपों की स्वीकृति तथा कंटीजेंसी प्लान बनाकर निर्बाध पेयजल आपूर्ति के लिए समय पर कदम बढ़ाए गए। इसके अलावा पाली में रेल के माध्यम से पानी पहुंचाया गया। 

डॉ. कल्ला ने बताया कि सरकार के दूसरे साल में भी गर्मियों के सीजन को लेकर जलदाय विभाग ने काफी पहले से तैयारी कर ली थी। कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की स्थिति से काफी पहले ही फरवरी माह में ही सभी जिला कलक्टर्स को कंटीजेंसी प्लान के तहत 50-50 लाख की राशि स्वीकृत की गई। प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में टैंकर्स के माध्यम से जल परिवहन के लिए 65 करोड़ रुपये भी स्वीकृत किए। मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने कोरोना की वैश्विक महामारी के कारण पूरे प्रदेश में लॉकडाउन के कारण लोगों के सामने विकट स्थितियों में स्वयं अग्रिम मोर्चे पर कमान सम्भालते हुए फैसले लिए। श्री गहलोत ने शासन में संवेदनशीलता और जवाबदेही के अपने संकल्प के अनुरूप लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के सभी विधायकों के साथ वीडियों कॉंफ्रेंसिंग से संवाद किया। उन्होंने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की स्थिति और आवश्यकताओं की निरंतर समीक्षा करते हुए सभी विधायकों को 25-25 लाख रुपये की स्वीकृति पेयजल प्रबंधन पर करने की भी मंजूरी प्रदान की। मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए ऎसे ही त्वरित, सामयिक एवं समयबद्ध निर्णयों से विभाग ने राज्य सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश के सभी हिस्सों में निर्बाध रूप से स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति की जिम्मेदारी का सतत रूप से बखूबी निर्वहन किया है। 

घरेलू कनेक्शनों पर 15 हजार लीटर तक के उपभोग पर जल शुल्क माफ 

जलदाय मंत्री ने बताया कि सरकार के कार्यकाल में राज्य के घरेलू पेयजल उपभोक्ताओं को बिलों पर देय पेयजल शुल्क में संशोधन कर चालू मीटर वाले घरेलू कनेक्शनों पर प्रतिमाह 15 हजार लीटर तक जल उपभोग करने पर जल शुल्क में शत-प्रतिशत छूट का तोहफा दिया। इसके तहत परियोजनाओं से जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों में डीडीपी ब्लॉक में 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन एवं शेष योजनाओं में 40 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन तक के उपभोग पर जल शुल्क में शत-प्रतिशत छूट दी गई है। अन्य ग्रामीण जल योजनाओं में भी जल उपभोग पर शत-प्रतिशत छूट प्रदान की गई है। पूरे प्रदेश में अब तक इस छूट से शहरी क्षेत्र के 56 लाख एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 280 लाख आबादी को सीधा लाभ मिला है। 

गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों पर फोकस 

डॉ. कल्ला ने बताया कि गत दो सालों में जलदाय विभाग द्वारा प्रदेश में गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों को लाभाविंत करने पर भी पूरा ध्यान दिया गया है। राज्य में ऎसी बस्तियों में गत दो सालों में 813 आर.ओ.प्लान्ट तथा 922 सौर उर्जा आधारित डी-फ्लोरिडेशन यूनिट स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा प्रदेश में 5 हजार 339 नये नलकूप तथा 11 हजार 317 नए हैण्डपम्प लगाकर उन्हें चालू किया गया है, जबकि 4 लाख 63हजार खराब हैण्डपम्पों को भी सुधार कर पुनः चालू किया गया है। 

वृहद पेयजल परियोजनाओं से शहर, गांव और ढाणियां लाभान्वित 

जलदाय मंत्री ने बताया कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न विषम परिस्थितियों के बावजूद राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी क्षेत्रों में वृहद पेयजल परियोजनाओं के कामों को भी गति देते हुए जल आपूर्ति तंत्र को मजबूती प्रदान की है। इन मेजर प्रोजेक्ट्स के जरिए सतही जल स्रोत से वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 14 शहरों को आंशिक तौर पर तथा 2 हजार 544 ग्राम एवं 2 हजार 497 ढाणियों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति से लाभान्वित किया गया हैं। 

उन्होंने बताया कि गत दो वर्षों में प्रदेश में 9 वृहद पेयजल परियोजनाओं को पूर्ण करते हुए इनसे जुड़ी आबादी को सीधे तौर पर फायदा पहुंचाया गया है। इन बड़ी परियोजनाओं में बूंदी जिले की इन्द्रगढ-चाकन पेयजल परियोजना, चम्बल-बून्दी कलस्टर परियोजना (विस्तार चम्बल-भीलवाडा परियोजना), कोटा जिले की बोरावास-पदमपुरा पेयजल परियोजना, बारां जिले की अटरू-शेरगढ़ पेयजल परियोजना, प्रतापगढ़ शहर की विधमान पेयजल अ योजना के पुनर्गठन का कार्य, जयपुर शहर के लिए जयपुर-बीसलपुर पेयजल परियोजना (खोनागोरियन), बांसवाडा-प्रतापगढ़ की 344 ग्रामों की पेयजल परियोजना, झालावाड़ जिले में राजगढ़ पेयजल परियोजना एवं जोधपुर जिले की पांचला-घेवरा चिराई क्षेत्रीय जलप्रदाय योजना शामिल है। 

उन्होंने बताया कि जलदाय विभाग ने उक्त सभी मेजर प्रोजेक्ट्स के कार्यों को मौजूदा सरकार के कार्यकाल में पूरा कर इन क्षेत्रों की जनता को शुद्ध पेयजल मुहैया कराया है। इसके अलावा विभाग की राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति द्वारा प्रदेश में 16 वृहद पेयजल परियोजनाओं के निर्माण तथा 27 वृहद पेयजल परियोजनाओं की डीपीआर बनाने की स्वीकृति दी गई है। इनके माध्यम से राज्य के अलग-अलग जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जल कनेक्शन प्रदान किये जाएंगे। 

गुलाबी नगर में बीसलपुर पानी के लिए 853 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास 

डॉ. कल्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने जून 2020 में गुलाबी नगरवासियों को 853 करोड़ रुपये की लागत वाले दो महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स, बीसलपुर-जयपुर पेयजल परियोजना फेज-प्रथम स्टेज-2 तथा बीसलपुर-पृथ्वीराज नगर पेयजल परियोजना फेज-प्रथम स्टेज-प्रथम का शिलान्यास कर बड़ी सौगात दी। उन्होंने बताया कि जयपुर शहर की बढ़ी हुई पेयजल मांग एवं आगामी दिनों में बढने वाली मांग को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने दीर्घकालीन प्रस्ताव केन्द्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजे है। केन्द्र सरकार के स्तर पर लम्बित इन प्रस्तावों के बीच जयपुर शहर में पेयजल की बढी हुई मांग के मध्यनजर राज्य सरकार ने अपने स्तर पर तत्काल कदम उठाते हुए 288.90 करोड़ रुपये की बीसलपुर परियोजना फेज-प्रथम स्टेज-2 को स्वीकृति प्रदान की। इससे जयपुर शहर के सभी विधानसभा क्षेत्रों को 170 एमएलडी अतिरिक्त पेयजल उपलब्ध होगा। इसका कार्य अक्टूबर 2022 तक पूर्ण किऎ जाने का लक्ष्य है। 

उन्होंने बताया कि जयपुर में पृथ्वीराज नगर के लोगों की सुचारू पेयजल व्यवस्था की मांग के सम्बंध में भी जलदाय विभाग द्वारा बीसलपुर बांध से 170 एमएलडी अतिरिक्त पानी की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के बाद इस क्षेत्र के लिए 563.93 करोड़ रुपये की परियोजना को भी स्वीकृत किया गया है। इससे योजना से 175 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए बुनियादी ढॉंचा विकसित होगा एवं पृथ्वीराज नगर क्षेत्रवासियों को अक्टूबर 2022 तक घर-घर पेयजल उपलब्ध होगा। इस परियोजना का कार्य भी अक्टूबर 2022 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। 

राजस्थान विश्वविद्यालय को भी बीसलपुर का पानी 

जलदाय मंत्री ने बताया कि विभाग ने जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय में पीने के पानी की समस्या को दूर करने के लिए यूनिवर्सिटी कैम्पस को बीसलपुर पेयजल परियोजना से जोड़ने के लिए 15.60 करोड़ रुपये की योजना तैयार की, जिसे राज्य सरकार द्वारा मंजूरी प्रदान की गई है। इस परियोजना के कार्य के लिए 30 सितम्बर 2020 को 7.05 करोड़ रुपये का कार्यादेश जारी किया गया। वर्तमान में योजना का कार्य प्रगति पर है, जिसे अक्टूबर 2021 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। 

जोधपुर व पाली के लिए 1454 करोड़ रुपये की परियोजना 

डॉ. कल्ला ने बताया कि जोधुपर एवं पाली जिले के 5 शहर एवं 2104 गांवों की आबादी के लिए वर्ष 2051 तक की जरूरतों का आंकलन करते हुए जलदाय विभाग द्वारा 1454.00 करोड़ रुपये की लागत वाली महत्वाकांक्षी योजना ‘राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल-तृतीय चरण‘तैयार की गई है। इस योजना पर वित्त विभाग द्वारा सहमति जारी कर दी गई। इसके बाद बाह्य एजेन्सी ‘‘जायका’’ से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव आर्थिक मामलात विभाग, भारत सरकार को भेजा जा चुका है, जो वहां पर विचाराधीन है। 

जल जीवन मिशन में घर-घर नल कनैक्शन 

जलदाय मंत्री ने बताया कि गत दो सालों में जल जीवन मिशन के अन्तर्गत घर-घर नल से जल पहुंचाने के लक्ष्य के तहत जलदाय विभाग द्वारा अब तक 8 हजार 261 करोड़ की राशि की स्वीकृतियां केन्द्र और राज्य सरकार के 50-50 प्रतिशत के शेयर के आधार पर जारी की जा चुकी है। इसमें 555 एकल परियोजनाएं, 15 पूर्ण एवं प्रगतिशील वृहद एवं एक नवीन परियोजना शामिल है। इन स्वीकृत योजनाओं से लगभग 11.56 लाख परिवारों को घर-घर नल कनैक्शन देते हुए स्वच्छ पेयजल सुलभ कराया जाएगा। 

उन्होंने बताया कि कोविड-19 के कारण विषम आर्थिक स्थितियों और केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2013 से पहले राज्य में पेयजल योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए मिलने वाली 90 प्रतिशत की सहायता को कम करके 50 प्रतिशत किए जाने के बावजूद प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्यो को राज्य सरकार द्वारा गति दी जा रही है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राज्य की विषम भौगोलिक स्थितियों के मद्देनजर पेयजल परियोजनाओं के लिए 50 प्रतिशत के स्थान पर केन्द्र शासित प्रदेशों और पहाड़ी क्षेत्रों के बराबर 90 प्रतिशत का शेयर केन्द्र सरकार से दिलाने का आग्रह किया है। राज्य सरकार के स्तर से अलग-अलग अवसरों पर वर्ष 2013 से पहले की तरह पेयजल परियोजनाओं के लिए 90 प्रतिशत ग्रांट को बहाल करने की बात केन्द्र सरकार के समक्ष रखी गई है। 

इसके अलावा घर-घर में जल सम्बन्ध देने के लिए जलदाय विभाग की नीति में परिवर्तन भी किया गया है। पहले प्रदेश में केवल 4000 से अधिक जन संख्या वाले ग्रामों में जल सम्बन्ध देने का प्रावधान था, इस सीमा को समाप्त कर अब नई नीति के अनुसार प्रत्येक घर को जल सम्बन्ध दिया जा रहा है। 

नवाचार एवं अभिनव प्रयोग 

डॉ. कल्ला ने बताया कि राज्य में पहले पीने के पानी में जीवाणु परीक्षण प्रचलित तरीके से हाईड्रोजन सल्फाईड द्वारा किया जाता था। इस पद्धति से जॉच के परिणाम 48 घंटों बाद उपलब्ध हो पाते थे। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में जलदाय विभाग के तहत जल एवं स्वच्छता सहयोग संगठन (डब्ल्यूएसएसओ-वाटर एंड सेनिटेशन सपोर्ट आर्गेनाईजेशन) द्वारा जयपुर स्थित मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के साथ अनुसंधान करते हुए पीने के पानी में जीवाणु परीक्षण के लिए एम. कोलीपेटकिट विकसित की गई है। इस किट के माध्यम से अब जीवाणु परीक्षण का परिणाम मात्र 8 से 10 घंटे में उपलब्ध हो जाता है। इस पहल से समुदाय एवं अधिकारियों द्वारा पीने के पानी का परीक्षण कम अवधि में करते हुए सुधार की प्रक्रिया को जल्द अपनाना सम्भव हो गया है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा पूरे प्रदेश की 11 हजार 325 ग्राम पंचायतों में जल प्रबन्धन में जनता के सहयोग एवं भागीदारी की प्रवृति को बढ़ाने के लिए सूचना, शिक्षा एवं संप्रेषण (आईईसी) के माध्यम से एक जन जागृति अभियान का भी संचालन किया गया। उन्होंने बताया कि जनवरी 2020 में सम्पन्न इस अभियान के तहत प्रत्येक ग्राम में जल चेतना रथ, ग्रामीण सहभागिता आंकलन व ग्राम जल मेलों द्वारा आम जनता को जागरूक किया गया। सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल के दौरान जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग एवं राजस्थान सैन्टर ऑफ एक्सीलेन्स इन वॉटर रिसोर्स मैनेजमेन्ट (रेसवार्म) को साउथ आस्ट्रेलिया सरकार द्वारा नई दिल्ली में 2019 में आयोजित सीआईआई त्रिवेणी जल सम्मेलन में एप्रिशियेसन अवार्ड भी प्रदान किया गया। 

कोरोनाकाल की गर्मियों में समुचित जल प्रबंधन 

जलदाय मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में वर्ष 2020 में कोरानाकाल और गर्मियों के सीजन में प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जल परिवहन (टीओडब्ल्यू-ट्रांसपोर्टेशन ऑफ वाटर) की व्यवस्था के लिए अप्रेल 2020 से जुलाई 2020 की अवधि के लिए 6512.93 लाख रुपये की स्वीकृति जारी की गई। सभी जिला कलक्टर्स को कंटीजेंसी प्लान के तहत 50-50 लाख रुपये दिए गए, साथ ही जिलों से आवश्यकता के अनुसार इस धनरािश के अतिरिक्त भी प्रस्ताव पेयजल प्रबंधन के लिए प्राप्त कर समय पर स्वीकृतियां प्रदान कर राज्य की जनता को राहत प्रदान की गई। मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी विधायकों को कोरोनाकाल और गर्मियों को देखते हुए 25-25 लाख रुपये की स्वीकृति भी विशेष तौर पर जारी करने की अनुमति प्रदान की। इसके तहत 33 जिलों में 4467.17 लाख रुपये की राशि के 1073 कार्य स्वीकृत किए गए। इस दौरान जलदाय विभाग द्वारा प्रदेश में पेयजल की समस्या वाले भागों में ग्रामीण क्षेत्र में 2 हजार 586 गांव एवं 3 हजार 739 ढाणियों में 1458 टैंकर्स से प्रतिदिन 5916 ट्रिप के आधार पर जल परिवहन कर लोगों को उपलब्ध कराया गया। इसी प्रकार शहरी क्षेत्र में 52 कस्बों में 570 टैंकर्स के माध्यम से 3 हजार 898 ट्रिप प्रतिदिन के आधार पर जल परिवहन करते हुए लोगों को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति कर लाभान्वित किया गया। 

‘लॉक डाउन‘ में नियमित पेयजल आपूर्ति पर पूरा फोकस 

डॉ. कल्ला ने बताया कि कोराना वायरस की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए घोषित ‘लॉकडाउन‘ की अवधि में प्रदेश में जलदाय विभाग के कार्मिकों ने जनता को पेयजल की निर्बाध और समयब्द्ध आपूर्ति के लिए ‘कोरोना वारियर्स‘ के रूप में अग्रणी भूमिका निभाई। कफ्र्यू और कंटेनमेंट जोन वाले इलाकों में पेयजल आपूर्ति को सुचारू बनाए रखने के लिए पीपीई किट पहनकर लीकेज की मरम्मत और अन्य आवश्यक कार्यों को समय पर सम्पादित किया। लॉकडाउन में प्रदेश में पेयजल पानी की आपूर्ति को बनाए रखने के लिए फील्ड में कार्य कर रहे जलदाय विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों और सभी तकनीकी एवं संविदा कार्मिकों के इस जज्बे की व्यापक स्तर पर सराहना हुई है। साथ ही निर्बाध रूप से स्वच्छ पेयजल की सप्लाई में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आए, इसके लिए जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में राज्य स्तर के साथ ही सभी जिलों में ‘कंट्रोल रूम‘ बनाए गए। इन सभी कंट्रोल रूम के माध्यम से 24 घंटे लगातार (24 गुणा 7) उपभोक्ताओं को सेवाएं प्रदान करते हुए उनकी समस्याओं और शिकायतों का समयबद्ध निस्तारण किया गया। लॉकडाउन अवधि में जनता को हुई दिक्कतों के मध्यनजर जलदाय विभाग द्वारा मार्च 2020 के जल राजस्व बिलों की देय तिथि को आगे बढ़ाने का निर्णय लेकर उपभोक्ताओं का अतिरिक्त राहत प्रदान की गई। साथ ही राज्य सरकार ने विभाग के तहत घर-घर वसूली और नीलामी कार्यक्रम को भी कोरोना के कारण लॉकडाउन की अवधि में स्थगित कर लोगों को लाभान्वित किया गया। 

हैंडपम्प मरम्मत अभियान 

जलदाय मंत्री ने बताया कि प्रदेश में अप्रेल 2020 से संचालित 44वें हैंड पम्प मरम्मत अभियान में ग्रामीण क्षेत्र में अब तक एक लाख 41 हजार 184 हैंड पम्पों एवं शहरी क्षेत्रों में 19 हजार 889 हैंड पम्पों की मरम्मत की गई है। इससे पहले वित्तीय वर्ष 2019-2020 में संचालित 43वें हैंडपम्प अभियान में भी प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में 2 लाख 11 हजार 302 हैंड पम्पों एवं शहरी क्षेत्रों में 32 हजार 147 हैंड पम्पों की मरम्मत भी की गई। 

ऑनलाईन पेयजल कनैक्शन की सौगात 

डॉ. कल्ला ने बताया कि जलदाय विभाग द्वारा अक्टूबर 2020 में उपभोक्ताओं को पानी का कनैक्शन देने के लिए राजनीर पोर्टल पर विकसित एप का शुभारम्भ किया गया। जल कनैक्शन के लिए ‘ऑनलाईन एप‘ के प्रारम्भ होने से अब जल उपभोक्ताओं को सुगमता के साथ घर बैठे पानी के कनैक्शन की सुविधा मिलना आरम्भ हो गई है। इस ‘एप‘ की लॉचिंग से पेयजल उपभोक्ताओं को अनावश्यक रूप से कार्यालयों के चक्कर निकालने की दिक्कत से निजात मिलेगी। एप द्वारा ऑनलाईन आवेदन की सुविधा प्रारम्भ में जयपुर में जगतपुरा और विद्याधरनगर के क्षेत्र के निवासियों को मिलेगी, आगामी दिनों में इस सुविधा का जयपुर शहर में विस्तार किया जाएगा, फिर चरणबद्ध रूप से पूरे प्रदेश में यह व्यवस्था लाग होगी। सरकार के जन घोषणा पत्र में डोर स्टेप डिलीवरी के तहत घोषणा के बारे में जलदाय विभाग ने नये जल सम्बन्धों को जारी करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के साथ मिलकर यह एप तैयार किया है।

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