विश्वविद्यालय शोध-अनुसंधान की ऎसी संस्कृति विकसित करे, जिसका लाभ प्रदेश के सर्वांगीण विकास में हो सके - राज्यपाल
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर का पंचम् दीक्षान्त समारोह आयोजित
विद्यार्थी विश्व और देश की नवीन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भविष्य की कार्य योजना बनाये - लोकसभा अध्यक्ष
जयपुर, 26 दिसम्बर। राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने राज्य के विश्वविद्यालय आचार्यों का आह्वान किया है कि वे बदलते हुए समय और संदर्भों के साथ अपने आपको अपडेट रखे। उन्होंने कहा कि यह समय तेजी से सूचनाओं के प्रसार का है, ऎसे में शिक्षक केवल पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन ही विद्यार्थियों को नहीं कराएं बल्कि नये नये अनुसंधानों से भी उन्हें अवगत कराएं। उन्होंने कहा कि किताबी ज्ञान जरूरी है परन्तु स्थान विशेष की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा में स्थितियों-परिस्थतियों से सबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए भी ज्ञान का प्रसार किया जाना चाहिए।
श्री मिश्र शनिवार को महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के ऑनलाइन आयोजित पंचम् दीक्षान्त समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने राज्य के विश्वविद्यालयों को शोध और अनुसंधान की ऎसी संस्कृतिविकसित करने का भी आह्वान किया जिसका लाभ प्रदेश के सवार्ंगीण विकास में हो सके। उन्होंने शोध-अनुसंधान के अंतर्गतविद्यार्थियों द्वारा बहुत सारी किताबों के संदर्भ से एक पुस्तक तैयार करने की सोच की बजाय अपने स्वयं के अनुभव, अध्ययन से मौलिक स्थापनाओं की ओर प्रवृत किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शोध और अनुसंधान के विषय विद्यार्थियों पर थोपे नहीं जाए बल्कि उनकी रूचि को ध्यान में रखते हुए इस तरह से निर्धारित किए जाएं कि बाद में वृहद स्तर पर समाज को उसका लाभ व्यवहार में मिल सके। उन्होंने विद्यार्थी हित को सर्वोपरी मानते हुए विश्वविद्यालयों को गुणवत्ता के उत्कृष्ट केंद्र रूप में कार्य करने पर जोर दिया।
राज्यपाल ने कहा कि अच्छे शिक्षक की सार्थकता यही है कि उससे विद्यार्थी हर क्षण कुछ न कुछ नया सीखने के लिए प्रेरित हो। उन्होंने कहा कि आचार्य का अर्थ ही यह होता है कि अपने आचरण से दूसरों के मन में गति पैदा करे। शिक्षक पढ़ाने के साथ-साथ अपने आचरण से ऎसे उदाहरण प्रस्तुत करे जिससेविद्यार्थी संस्कारों की सीख ले सके।
उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को गढ़ना है। इसलिए वह केवल औपचारिक नहीं रहे बल्कि उसका संबंध व्यक्तित्व के निर्माण से भी हो। उन्होंने समारोह मेंउपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को अर्जित शिक्षा का उपयोग राष्ट्र और समाज की भलाई के लिए किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने बीकानेर को सांस्कृतिक शहर बताते हुए वहां के भाईचारे, सद्भाव और अपनापे की संस्कृति का भी विशेष रूप से उल्लेख किया। राज्यपाल ने महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय द्वारा गुणवत्तापूर्ण शोध किए जाने, 2208 शोधग्रंन्थ ‘शोध गंगा’ पोर्टल पर अपलोड करने और शोध में देशभर में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर बधाई भी दी। उन्होंने विद्यार्थियों को कुलपति पदक, उपाधियां प्रदत्त करने के साथ ही दीक्षा संकल्प दिलाते हुए संविधानउद्देशिका और मूल कर्तव्यों का भी वाचन करवाया। उन्होंने संविधान जागरूकता के लिए विश्वविद्यालयों में संविधान वाटिका निर्माण और उसके जरिये युवाओं को संविधान के बारे में समग्र रूप में शिक्षित-दीक्षित किए जाने पर जोर दिया।
लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने विद्यार्थियों को विश्व और देश की नवीन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भविष्य की कार्य योजना बनाये जाने पर जोर दिया। उन्होंने आह्वान किया कि विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वालेयुवा देश और समाज के अच्छे नागरिक बनने की और अग्रसर हों।
उन्होने देश की युवा शक्ति की प्रतिभा और सामर्थ्य पर विश्वास जताते हुए उनसे अपेक्षा की कि वे अपने ज्ञान और अर्जित शिक्षा को समाज के भले में लगाये। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संविधान जागरूकता के लिए देशभर में चलाए जा रहे ‘नो योर कॉन्स्टीट्यूशन‘ की चर्चा करते युवाओं को संविधान के अधिकारों के साथ ही मूल कर्तव्यों के प्रति भी निरन्तर सजग किये जाने पर जोर दिया।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री श्री भंवर सिंह भाटी ने शिक्षा को रोजगारोन्मुखी किए जाने के साथ ही संस्कारपरक करने का आह्वान किया। पूर्व में कुलपति श्री विनोद कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
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