मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 28 वां ऑनलाइन दीक्षांत समारोह आयोजित : ज्ञान-विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े विषयों का पाठयक्रम अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में भी तैयार हो - राज्यपाल
भारतीय शिल्प शास्त्र, संगीत के प्राचीन ग्रंथों और स्थापत्य कला से जुड़े ज्ञान पर शोध और अनुसंधान के लिए व्यापक स्तर पर कार्य करने का आह्वान
जयपुर, 22 दिसम्बर। राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने आधुनिक ज्ञान-विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े समाज उपयोगी विषयों का पाठयक्रम अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में भी तैयार करने का आह्वान किया है। उन्होंने मेवाड़ के महाराणा कुम्भा के भारतीय कलाओं के योगदान के अंतर्गत भारतीय शिल्प शास्त्र, संगीत के प्राचीन ग्रंथों और स्थापत्य कला से जुड़े ज्ञान पर शोध और अनुसंधान के लिए भी व्यापक स्तर पर कार्य करने पर भी जोर दिया।
श्री मिश्रा आज यहां मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय,उदयपुर के 28 वें ऑनलाइन दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रदेश के विश्वविद्यालयों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप प्रदेश में रोजगारोन्मुखी नवीन पाठयक्रमों को प्रारंभ करने के साथ ही विद्यार्थियों के सवार्ंगीण विकास के लिए कार्य किये जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने राज्य में जल संरक्षण के लिए बनी झीलों, तालाबों के साथ ही जल स्थापत्य पर शोध और अनुसंधान के ऎसे मौलिक कार्य किए जाने पर जोर दिया जिनका बड़े स्तर पर बाद में समाज को लाभ मिल सके।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयो में शोध और अनुसंधान में नवाचार किये जाने पर जोर देते हुए संस्कृत के ऎसे ग्रंथों को सूचीबद्ध किये जाने का भी आह्वान किया जिनमें हमारी सांस्कृतिक परम्पराओं, ज्ञान-विज्ञान और आयुर्वेद से जुड़ी महत्वपूर्ण सामग्री है। उन्होंने कहा कि ऎसे ग्रंथों का विश्वविद्यालय द्वारा अपने स्तर पर हिन्दी और अंग्रेजी में अनुवाद और व्याख्याएं करवाई जाए। इससे हमारी अनमोल धरोहर नई पीढ़ी के लिए संरक्षित हो सकेगी।
श्री मिश्र ने शिक्षा में मानवीय जीवन की संवेदना, करुणा, उदारता, परस्पर विश्वास, सद्भाव, समन्वय की भावना के साथ ही जन उपयोगी सोच से कार्य की भावना का विकास किये जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने ज्ञान आधारित समाज के लिए शिक्षा को विद्यार्थी केंद्रित किए जाने के साथ ही भारतीय संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान के आलोक का अधिकाधिक प्रसार करने का आह्वान किया। उन्होंने तेजी से बदलते वैज्ञानिक युग में वैश्विक मानकों के साथ चलने के साथ ही इस बात को भी ध्यान में रखने की हिदायत दी कि वैश्वीकरण से हमारी संस्कृति का किसी स्तर पर नुकसान नहीं हो।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय द्वारा नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए उठाए गए कदमों, उच्च शिक्षा की ‘आनंदम‘ योजना में अग्रसर रहने, संविधान पार्क के जरिये संविधान जागरूकता के लिए की गई पहल, उच्च शिक्षा में बेहतर रैंकिग आदि के लिए विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालय श्रेष्ठ शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र ही तैयार नहीं करें बल्कि ऎसे भावी नागरिक भी समाज को दें जो अपने ज्ञान का उपयोग देश की समृद्धि और संपन्नता में करने के लिए प्रतिबद्ध हों। उन्होंने पूर्व में संविधान उद्देशिका एवं मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया तथा संकायवार विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को ऑनलाइन पदक और उपाधियां प्रदान की।
इस अवसर पर रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के विशिष्ट वैज्ञानिक और महानिदेशक, ब्रह्मोस, रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान, डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा ने दीक्षांत भाषण में देश को शिक्षा और अनुसंधान में अग्रणी किए जाने के अधिकाधिक प्रयास किए जाने का आह्वान किया। उन्होंने देश में रक्षा क्षेत्र में ब्रह्मोस की भूमिका के बारे में भी अवगत कराया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह ने मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षण और अनुसंधान, छात्र हित में किए जा रहे कायोर्ं आदि के बारे में विस्तार से अवगत कराया। राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविंद राम जायसवाल ने भी ऑनलाइन समारोह में भाग लिया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने सभी का आभार जताया।
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