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चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में 2000 चिकित्सकों की भर्ती, नव चयनित 1991 चिकित्सकों को आज नियुक्ति आदेश जारी


जयपुर, 17 दिसम्बर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में रिकार्ड 2000 चिकित्सकों की भर्ती का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। नव चयनित 1991 चिकित्सकों को आज नियुक्ति आदेश जारी कर दिये हैं। इन चिकित्सकों की नियुक्ति के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रिक्त लगभग सभी पदों पर चिकित्सक तैनात कर दिये गये हैं। इनके अतिरिक्त एक चिकित्सक का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन रहने एवं 8 चिकित्सकों के प्रमाण पत्रों का प्रमाणीकरण प्रक्रियाधीन है। 

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अब तक के इतिहास में पहली बार एक साथ 1991 चिकित्सक नियुक्त हुए हैं। इससे पूर्व इसी वर्ष 735 चिकित्सकों को नियुक्ति प्रदान की गयी थी। नव नियुक्त चिकित्सकों में से पीजी किए चिकित्सकों को उनकी विशेषज्ञता के अनुसार तहसील मुख्यालय सहित शहरी क्षेत्रों में तथा एमबीबीएस किए हुए सभी चिकित्सकों को ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थापित किया गया है। उन्होंने बताया कि नव चयनित चिकित्सकों में से लगभग 250 चिकित्सक विभिन्न संकायों में पीजी हैं। इनकी नियुक्ति से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न शहरी व ग्रामीण चिकित्सालयों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी भी पूर्ण हो रही है। 

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य के आधारभूत ढ़ांचे को मजबूत करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी। निःशुल्क दवा योजना का दायरा बढ़ाते हुए गम्भीर रोगों जैसे कैंसर, हृदय, श्वास एवं गुर्दा रोग के उपचार की दवाओं को शामिल करते हुए निःशुल्क दवाइयों की संख्या 607 से बढ़ाकर 712 की गयी है। पड़ोसी राज्यों के निवासी भी निशुल्क दवा एवं जाँच योजना का लाभ लेने के लिए प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों में आते हैं। 

उन्होंने बताया कि गत वर्ष से ’निरोगी राजस्थान अभियान’ का शुभारम्भ किया गया। राज्य में 80 हजार से अधिक स्वास्थ्य मित्रों का चयन किया गया है। इसी प्रकार आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना का शुभारम्भ किया गया। इस योजना में अब तक 1885 करोड़ रुपये के करीब 34 लाख क्लेम सबमिट कर करीब 20 लाख लोगों को लाभान्वित किया जा चुका है। 

डॉ. शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य केन्द्रों की पहुंच बढ़ाते हुए 112 नई पीएचसी व 200 नये स्वास्थ्य उपकेन्द्र स्वीकृत किये गये। साथ ही 52 को सीएचसी में, 12 को पीएचसी में व गंगापुरसिटी, पीपाड़, फलौदी, केकड़ी व कोटपूतली सहित 5 को जिला अस्पतालों में क्रमोन्नत किया गया। इसके अतिरिक्त सांगानेर सीएचसी को सेटेलाइट में क्रमोन्नत किया गया है। अस्पतालों में 2 हजार 464 बैड बढ़ाये गये। 

चिकित्सा मंत्री ने बताया कि हमारी सरकार ने प्रदेश के प्रत्येक जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने का निर्णय लिया। प्रदेश के 15 नये जिलों में मेडिकल कॉलेज के बाद अब 15 नये मेडिकल कॉलेज खोलने की अनुमति प्राप्त हो चुकी है। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज की 325 करोड़ स्वीकृत की गई है। शेष 3 जिलों प्रतापगढ़, जालौर एवं राजसमंद के प्रस्ताव भिजवाये जा चुके है। इनकी स्वीकृति के साथ ही प्रदेश के प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी। चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए 950 पीजी सीट एवं 880 एमबीबीएस सीटों व 11 सुपर स्पेशियलिटी की सीटों की बढ़ोत्तरी की गयी है। 

राजधानी जयपुर के प्रतापनगर में राज्य कैंसर संस्थान का भवन निर्माण पूर्ण कर ओपीडी प्रारम्भ कर दी गयी है। उन्होंने बताया कि एसमएस मेडिकल कॉलेज में 200 करोड़ एवं कोटा, बीकानेर व उदयपुर के मेडिकल कॉलेजों में 150-150 करोड़ रूपये की लागत से सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक बनाये गये है। एसएमएस में कार्डियक सर्जरी यूनिट इमरजेन्सी के पास स्थापित की जायेगी। एसएमएस हॉस्पिटल में लगभग 300 करोड़ की लागत से 22 मंजिलें आईपीडी टॉवर का निर्माण करवाया जायेगा। इस टॉवर में आधुनिकतम सभी प्रकार चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध करवाई जायेगी। 

अंगदान व अंग प्रत्यारोपण को प्रोत्साहित करने की दशा में भी विशेष प्रयास किये गये है। हाल ही में 2 हार्ट ट्रांसप्लान्ट व लीवर ट्रांसप्लान्ट भी किये गये है। अंगदान एवं अंगप्रत्यारोपण को मजबूती प्रदान करने के लिए SOTTO का गठन किया जा चुका है। 

वैश्विक महामारी कोरोना के प्रारम्भ में प्रदेश में जांच सुविधा नहीं होने के कारण सैम्पल पुणे भिजवाये जाते थे। राज्य सरकार ने कोरोना जांच के लिए जिला मुख्यालयों में आरटीपीसीआर की सुविधा उपलब्ध करवायी। राज्य में जांच क्षमता 60 हजार टेस्ट प्रतिदिन की जा चुकी है एवं इसे बढाकर 1 लाख किया जायेगा। निःशुल्क कोविड जांच व उपचार तथा 960 वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। आरयूएचएस हॉस्पिटल में 1200 बैड का डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाया गया। इसमें विश्वस्तरीय सुविधाओं से युक्त 205 आईसीयू बैड की व्यवस्था की गयी। विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में टोसिलीजुमेब एवं रेमडेसिविर जैसे 40 हजार रूपये कीमत के महंगे इंजेक्शन भी निःशुल्क देकर उपचार किया जा रहा है। कोरोना मरीजों को निःशुल्क प्लाज्मा थैरेपी की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है। 

उन्होंने बताया कि प्रदेश में रिकवरी रेट 94 प्रतिशत है। कोरोना से होने वाली मृत्यु का प्रतिशत प्रदेश में देश-दुनिया में सबसे कम 0.86 प्रतिशत ही है। कोरोना काल में आमजन को ऑनलाइन टेली कंसल्टेंसी सेवा उपलब्ध कराने के लिए ई संजीवनी पोर्टल लांच किया गया। करीब 500 से अधिक मेडिकल मोबाईल युनिट द्वारा भी उपचार की सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। 

डॉ. शर्मा ने बताया कि कोरोना की चुनौती को अवसर के रूप में लेते हुए चिकित्सा के आधारभूत ढ़ाचे को सुदृढ़ किया जा रहा है। प्रदेश के 20 उपजिला एवं जिला अस्पतालों में सेन्ट्रलाइज्ड ऑक्सीजन पाइप-लाइन स्थापित की गयी है। समस्त चिकित्सा संस्थानों में जांच सुविधाओं को सुदृढ़ किया गया है। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध मुख्य चिकित्सालय में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन स्टोरेज प्लांट स्थापित किये जा रहे हैं।

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