सुखाड़िया विश्वविद्यालय में नवनिर्मित भवनों का राज्यपाल ने किया ऑनलाइन लोकार्पण : ज्ञान आधारित समाज हेतु आधारभूत सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण जरूरी - राज्यपाल
जयपुर, 19 नवम्बर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने ज्ञान आधारित जीवन्त समाज के निर्माण के लिए शिक्षण संस्थाओं में आधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षण का बेहतर वातावरण भी बनाने का आह्वान किया है। उन्होंने शिक्षण को बोझिल होने से बचाने के लिए कला, विज्ञान और खेल कूद गतिविधियों के बेहतर समन्वय की जरूरत बताते हुए शिक्षण संस्थाओं को इस और विशेष ध्यान देने पर भी जोर दिया।
राज्यपाल श्री मिश्र गुरूवार को राजभवन से मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में भारत सरकार की परियोजना रूसा एवं स्थानीय निधि द्वारा अनुदानित राशि से नवनिर्मित दृश्य कला विभाग भवन, आर्ट गैलरी, भूगोल भवन, अन्तर्राष्ट्रीय मानकों पर आधारित सिंथेटिक लोन टेनिस ग्राउंड, स्पोर्ट्स बोर्ड ऑफिस भवन, वूमन फेकल्टी रूम एवं स्टोर आदि के ऑनलाइन लोकार्पण के बाद सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने विश्वविद्यालय में बने नए भवनों को विश्वविद्यालय के भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप बेहतर शोध और अनुसंधान पर भी शिक्षण संस्थान विशेष रूप से ध्यान दें। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति डिजिटल और आत्मनिर्भर भारत केन्द्रित है। इसके अनुरूप प्रदेश के विश्वविद्यालय अपने यहां रोजगारोन्मुख व्यावसायिक पाठ्यक्रम बनाकर उनके प्रभावी शिक्षण की भी व्यवस्था करें।
श्री मिश्र ने कहा कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का विकास करता है। इसलिए यह जरूरी है कि शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद गतिविधियों को भी निरंतर बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने सुखाड़िया विश्वविद्यालय में उच्च स्तर का तरणताल बनाए जाने और वहां पर तैराकी के प्रशिक्षण की व्यवस्था किए जाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि उदयपुर और आस-पास के क्षेत्रों में झीलों और पानी के स्त्रोतों की कमी नहीं है। आदिवासी और ग्रामीण समुदाय के विद्यार्थियों को विधिवत यदि तैराकी का प्रशिक्षण विश्वविद्यालय स्तर पर मिलता है तो देश को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के तैराक मिल सकते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय मानकों पर आधारित लॉनटेनिस ग्राउण्ड बनाए जाने की भी सराहना की तथा कहा कि इससे विद्यार्थियों को अपनी खेल प्रतिभा में आगे बढ़ने के बेहतरीन अवसर मिल सकेंगें।
उन्होंने विश्वविद्यालय में आदिवासी परम्पराओं और संस्कृति से जुड़े ज्ञान का शोध एवं अनुसंधान केन्द्र स्थापित किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रयास करे कि देशभर में शोध एवं अनुसंधान के एक मानक शिक्षा केन्द्र के रूप में उसकी पहचान बने। राज्यपाल ने सुखाड़िया विश्वविद्यालय में दृश्यकला भवन और आर्ट गैलरी के निर्माण को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे कला शिक्षा और पारम्परिक और आधुनिक कलाकृतियों के संरक्षण के साथ ही कला प्रदर्शन के भी नवीन अवसर मिलेंगे। उन्होंने राजस्थान को कला संपन्न राज्य बताते हुए कहा कि पारम्परिक मिनिएचर, मेवाड़ स्कूल तथा विभिन्न अन्य कला शैलियों की अनुपम धरोहर के प्रति जागरूकता जरूरी है। उन्होंने कहा कि आर्ट गैलरी में पारम्परिक चित्र शैलियों के साथ ही समसामयिक कला प्रदर्शन से विद्यार्थी व्यावहारिक रूप में कलाओं के निकट आएंगे। उन्होंने काशी के भारत कला भवन की चर्चा करते हुए उम्मीद जताई कि उसी तर्ज पर विश्वविद्यालय में बनी कलादीर्घा राजस्थान की समृद्ध कलाओंके संरक्षण और प्रदर्शन की देश की प्रमुख आर्ट गैलरी बनेगी।
श्री मिश्र ने कहा कि भूगोल केवल स्थानों के ज्ञान से ही जुड़ा विषय नहीं है बल्कि इसके जरिए स्थानों की संस्कृति की भी समझ विकसित होती है। उन्होंने विश्वविद्यालय में जियोस्पेशियल सेंटर को भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का प्रदेश के उत्कृष्ट केन्द्र के रूप में विकसित किए जाने पर जोर दिया तथाविश्वविद्यालय में जियोस्पेशियल सेंटर, स्किल डवलपमेंट केन्द्र और उद्यमिता केन्द्र स्थापित करने के निर्णयों की सराहना करते हुए कहा कि इससे शिक्षण और शोध के अवसर ही नहीं बढेंगे बल्कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का भी विस्तार होगा।
राज्यपाल ने विकसित समाज में महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान देने पर जोर देते हुए कहा कि एक महिला यदि समाज में पढती है तो वह पूरे परिवार को शिक्षित कर देती है। उन्होंने महिला शिक्षा के लिए सभी स्तरों पर प्रभावी वातावरण बनाए जाने पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि सुखाड़िया विश्वविद्यालय में हो रहे विकास कार्यों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे अपने अकादमिक और संरचनात्मक विकास के साथ यह विश्वविद्यालय आने वाले समय में भविष्य में देश के उच्च शिक्षा जगत में अपना विशिष्ट स्थान बनाएगा।
राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने इस अवसर पर कहा कि यह ऎसा समय है जब एक व्यक्ति एक ज्ञान को लेकर आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में आधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ ही नौजवान पीढ़ी के भविष्य की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए भी सभी स्तरों पर कार्य किया जाए। डॉ. जोशी ने कहा कि ज्ञान की संभावनाएं तेज गति से आगे बढ़ रही है। इसे देखते हुए समय व चुनौतियों के अनुरूप नई पीढ़ी को शिक्षण प्रशिक्षण जरूरी है।
राज्य के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्री भंवरसिंह भाटी ने कहा कि उच्च शिक्षा के विकास के लिए प्रभावी रणनीति के तहत कार्य किया जाना जरूरी हैं। उन्होंने उच्च शिक्षा में वैश्विक संभावनाओं के दृष्टिगत शिक्षण प्रशिक्षण के लिए कार्य करने पर जोर दिया।
इससे पहले विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह ने सुखाड़िया विश्वविद्यालय में नव निर्मित भवनों की उपयोगिता और शिक्षण के लिए किए गए नवाचारों के बारे में विस्तार से बताया। रूसा की नोडल अधिकारी सुश्री कनिका शर्मा ने सभी का आभार जताया।
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