आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित
जयपुर, 2 नवम्बर। राजस्थान विधानसभा ने सोमवार को आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित कर दिया है। इससे पहले ऊर्जा मंत्री श्री बुलाकी दास कल्ला ने विधेयक को चर्चा के लिए सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर चर्चा के बाद उसके उद्देश्यों व कारणों पर प्रकाश डालते हुए श्री कल्ला ने कहा कि इस अधिनियम में जो वर्ड एण्ड एक्सप्रेशन यूज किये गये है किन्तु परिभाषित नहीं किये गये है उनका अर्थ वही होगा जो आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 मे है।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय अधिनियम 5 जून 2020 से लागू किया गया है लेकिन हम इसे 5 जून 2020 से लागू नहीं करेंगे। बल्कि इसे किसानों एवं उपभोक्ताओं के व्यापक हित में राजस्थान ऎमनडेट्स के साथ उस तिथि को लागू करेंगे जो राज्य सरकार द्वारा जब भी नोटिफाई होगा तब लागू होगा।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि वर्तमान में केन्द्रीय अधिनियम की धारा 3 आवश्यक वस्तु जिसमें खाद्य फसलें और सागसब्जी शामिल है, के प्रॉडेक्शन, सफलाई एण्ड डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रेड एण्ड कॉमर्स को नियंत्रित करने के प्रावधान है जो कि आम जनता के लिए उचित कीमतों पर वितरण और उपलब्धता बनाये रखने के लिये किये जाते है। अब केन्द्र सरकार ने धारा 3 में उपधारा (1ए) जोड़ी है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय अधिनियम में प्रावधान किया है कि छह कृषि खाद्य पदार्थो आलू और प्याज, अनाज, दालें, खाद्य तेल और तिलहन का विनियमन केवल चार परिस्थिति अर्थात युद्ध, अकाल, असाधारण कीमत वृद्धि और गंभीर प्राकृतिक आपदा होने पर ही किया जाएगा।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय अधिनियम में होर्टिकल्चर उपज जैसे आलू और प्याज के खुदरा मूल्य में 100 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हो या प्राकृतिक रूप से नष्ट नहीं होने वाले कृषि पदार्थ जैसे कि अनाज, दालें, खाद्य तेल और तिलहन के खुदरा मूल्य में 50 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हो तब ही व्यापारियों पर जमाखोरी रोकने के लिए इनकी स्टॉक लिमिट को लागू किया जा सकेगा और इसके साथ-साथ स्टॉक लिमिट के संबंध में खाद्य पदार्थों के प्रोसेसर/उत्पादकों और वेल्यू चेन पार्टिसिपेंट अर्थात खेत से अन्तिम खपत तक कृषि उत्पादों के प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, भण्डारण, ट्रॉसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन का काम करने वालों को उनकी उत्पादन क्षमता तक और निर्यातकों को उनकी निर्यात मांग की मात्रा तक स्टॉक लिमिट में छूट प्रदान की गई है। 12 महिने की प्रचलित खुदरा दर और गत 5 वर्ष की औसत खुदरा मूल्य में से जो भी न्यूनतम दर हो को रखा है। केन्द्रीय अधिनियम में केन्द्र सरकार ने नियंत्रण की शक्तियां अपने पास रखी है। राज्य एक्ट में किया गया प्रावधान-उन्होंने कहा कि हमने अधिनियम की धारा 3 की उपधारा (1ए) के दूसरे प्रोविजो के बाद राज्य सरकार के स्तर पर एक प्रोविजो जोड़ा गया है जिससे राज्य सरकार को अकाल, कीमत बढ़ोत्तरी और प्राकृतिक आपदा या अन्य कोई किसी स्थिति के अधीन आलू और प्याज, अनाज, दालें, खाद्य तेल और तिलहन के प्रोडक्शन, सप्लाई, डिस्ट्रीब्यूशन को नियंत्रित करने और स्टॉक लिमिट लगाने या उन पर रोक लगाने के आदेश जारी करने की शक्तियां दी गई है। इस प्रोविजो को डालने से राज्य सरकार के पास शक्तियां रहेगी कि राज्य सरकार जमाखोरी, ब्लैक मार्केटिग के अभिशाप को प्रभावी रूप से रोक सके। खण्ड 5 के द्वारा राज्य सरकार को इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने और कराने हेतु अथॉरिटी, जिसे राज्य सरकार उचित समझे को समय-समय पर निर्देश देने की शक्ति प्रदान की गयी है। इन निर्देशों की पालना करना और उस अथॉरिटी की ड्यूटी होगी।इस एक्ट के प्रोविजन्स का अन्य कानूनों पर ऑवरराइडिंग इफेक्ट रखा गया है।
इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम बनाने की शक्तियां राज्य सरकार को दी गयी है। यह प्रावधान किया गया है कि यह अधिनियम सम्पूर्ण राजस्थान में ऎसी तिथि से लागू होगा जो राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना द्वारा बाद में नियत की जाएगी।
श्री बीडी कल्ला ने कहा कि आम जनता को सही कीमत पर और समान रूप से मिले इसके लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 में खाद्य पदाथोर्ं और अन्य आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, प्रदाय और वितरण तथा उनमें व्यापार और वाणिज्य को विनियमित और प्रतिषेध करने के आदेश देने की शक्तियां केंद्र सरकार के पास है। जिससे व्यापारियों की जमाखोरी और चोर बाजारी पर अंकुश लगाने के लिए स्टॉक लिमिट लागू किये जाने प्रावधान भी है।उन्होंने कहा कि संविधान के आर्टिकल 254 (2) के अनुसार, राज्य विधानसभा द्वारा समवर्ती सूची के किसी विषय के संबंध में बनाए गए कानून में कोई ऎसा प्रावधान है जो संसद द्वारा पहले बनाए गए कानून या उस विषय के संबंध में किसी मौजूदा कानून के प्रावधानों के खिलाफ है तो ऎसी स्थिति में राज्य द्वारा बनाया गया कानून राष्ट्रपति की अनुमति के साथ उस राज्य में लागू किया जाता है। इसमें पहले भी अधिनियम की धारा 7। का राज्य संशोधन राजस्थान अधिनियम, 1960(1960 का 32) के द्वारा लागू किया गया है जिसमे राजस्थान में अधिनियम के तहत अपराध करने में काम में ली गयी संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान किया गया था।
श्री कल्ला ने कहा कि उपभोक्ताओं को सब्जियों, फलों इत्यादि सहित कृषि उपज की जमाखोरी और चोर बाजारी से बचाने का भार और इस तरह की गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का दायित्व राज्य सरकार पर है। उन्होंने कहा कि आलू और प्याज, अनाज, दालें, खाद्य तेल और तिलहन की कृत्रिम कमी और कीमतों में वृद्धि की वर्तमान प्रवृति को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार का यह विचारित दृष्टिकोण है कि राज्य सरकार द्वारा संशोधन विधेयक के द्वारा राजस्थान राज्य में राजस्थान सरकार के स्तर पर अकाल, कीमत वृद्धि, प्राकृतिक आपदा या अन्य किसी स्थिति में आलू और प्याज, अनाज, दालें. खाद्य तेल और तिलहन के उत्पादन, सप्लाई, वितरण और स्टॉक सीमा लागू करने के लिए विनियमन और प्रतिषेध के आदेश प्रदान किये जाने के प्रावधान किये जावे।श्री कल्ला ने कहा कि अब हमने विधेयक के खण्ड 4 के द्वारा अधिनियम की धारा 3 की उपधारा के दूसरे प्रोविजों के बाद राजस्थान राज्य के लिए एक प्रोविजो जोडा गया है जिससे राज्य सरकार को अकाल, कीमत बढ़ोत्तरी और प्राकृतिक आपदा या अन्य कोई किसी स्थिति के अधीन आलू और प्याज, अनाज. दालें. वाद्य तेल और तिलहन के प्रोडक्शन, सप्लाई, डिस्ट्रीब्यूशन को नियंत्रित करने और स्टॉक लिमिट लगाने या उन पर रोक लगाने के आदेश जारी करने की शक्तियां दी गयी है। ताकि समय-समय पर खाद्य पदाथोर्ं के उत्पादन, प्रदाय, वितरण, व्यापार और वाणिज्य के विनियमन के लिए राज्य सरकार को सशक्त करने के लिए उपबंध विद्यमान रहे जिससे जमाखोरी, कालाबाजारी, कीमतों में वृद्धि और कृत्रिम करमी के अभिशाप को प्रभावी रूप से दबाया जा सके।
No comments