राजस्थान महामारी (संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित, सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित
जयपुर, 2 नवम्बर। राजस्थान विधानसभा ने सोमवार को राजस्थान महामारी (संशोधन) विधेयक, 2020, तथा सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित कर दिए।
इससे पहले विधि मंत्री श्री शांति कुमार धारीवाल ने विधेयक को चर्चा के लिए सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर सदन में हुई चर्चा के बाद विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों पर प्रकाश डालते हुए विधि मंत्री ने बताया कि कोविड -19 एक ऎसा संक्रामक रोग है जो पूरे देश में तेजी से पैर पसार रहा है। महामारी को विनियमित कर इसकी प्रभावी रोकथाम हेतु राजस्थान महामारी अधिनियम 2020 अधिनियमित किया था जिसकी धारा 4 यह उपबंधित करती है कि राज्य सरकार ऎसे अस्थायी विनिमय या आदेश विनिर्दिष्ट कर सकेगी, जिनका पालन महामारी के फैलाव को रोकने के लिए जनता द्वारा किया जाना है।
समूचे विश्व के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय के अनुसार मास्क ही इस महामारी के फैलाव को नियंत्रित कर लाखों का जीवन बचा सकता है। इसी विचार से लोक स्थान, लोक परिवहन, निजी परिवहन, कार्यस्थल या किसी भी सामाजिक, राजनीतिक, आम समारोह या जमाव में मास्क पहनना अनिवार्य किया जाना चाहिए और ऎसे स्थानों पर ऎसे व्यक्तियों के आवागमन को प्रतिषिद्ध किये जाने का विनिश्चय किया है, जिन्होंंने मास्क नहीं पहन रखा है। इसीलिए राजस्थान महामारी (संशोधन) विधेयक, 2020, को ध्वनिमत से पारित किया गया।
इसी प्रकार सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक,2020 को लेकर विधि मंत्री श्री धारीवाल ने बताया कि सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का केन्द्रीय अधिनियम सं. 5) की विद्यमान धारा 60 ऎसी सम्पत्ति, जो कि डिक्री के निष्पादन में कुर्क और विक्रय की जा सकेगी, के लिए उपबंध करती है । इस धारा का परंतुक कतिपय विशिष्ट वस्तुओं, जिन्हें कुर्क या विक्रय नहीं किया जा सकेेगा, के लिए उपबंध करता है।
राज्य के कृषकों के हितों और उनकी आजीविका का संरक्षण करने के लिए यह विनिश्चय किया गया है कि यदि निर्णीत-ऋणी कृषक है तो उसकी पांच एकड़ तक की कृषि भूमि को कुर्क या उसका विक्रय नहीं किया जा सकेगा। तद्नुसार सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 60 को संशोधित कर सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित किया गया।
इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए प्रचारित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।
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