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विश्वविद्यालय उपलब्ध संसाधनों का समुचित सदुपयोग कर अपने आर्थिक स्त्रोत बढाएं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने में राजस्थान बने अग्रणी - राज्यपाल


जयपुर, 21 अक्टूबर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को व्यावहारिक रूप में लागू करने में राजस्थान अग्रणी बने। उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को नई शिक्षा नीति के बिन्दुओं का बारीकी से अध्ययन कर उसे लागू करने और उसी के अनुरूप प्रदेश में भविष्य की शिक्षा का स्वरूप निर्धारित करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी विश्वविद्यालय भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपना ‘विजनरी व्यू’ तैयार करे। उन्होंने नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों में आरम्भ से ही स्वावलम्बन के लिए रखे गए बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देकर उनके क्रियान्वयन के साथ ही प्रदेश में विश्वविद्यालयों को स्वयं के संसाधन विकसित कर आत्मनिर्भर बनने के प्रयास भी वृहद स्तर पर किए जाने का आह्वान किया। 

राज्यपाल श्री मिश्र यहां राजभवन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 तथा अनलॉक गाईडलाईन के क्रियान्वयन संबधित ऑनलाईन बैठक में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बुधवार को प्रदेश के 11 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के विचार ध्यान से सुने और कहा कि इनके आधार पर जो निष्कर्ष निकलते हैं, इनके साथ और क्या व्यावहारिक हो सकता है, इस पर राजभवन से विस्तृत निर्देश भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को व्यावहारिक स्वरूप कैसे प्रदान करेंगे, इसके केन्द्र विश्वविद्यालय ही हैं। इसलिए सभी विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति की मनोभावना को समझते हुए इसको लागू करने का प्रयास अपने यहां करें। उन्होंने नई शिक्षा नीति के विभिन्न बिन्दुओं की चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण आत्मनिर्भर भारत बनने की सोच से किया गया है, इसी को दृष्टिगत रखते विश्वविद्यालय कार्य करे। 

श्री मिश्र ने कहा कि शब्द में अपार शक्ति होती है। शब्द व्यक्ति के अंदर के आत्मविश्वास को बढ़ाने का कार्य करते हैं। नई शिक्षा नीति में इसीलिए हिन्दी भाषा और क्षेत्रीय भाषाओं के साथ ही स्थानीय रीत-रिवाज, पर्यावरण, सभ्यता और संस्कृति पर विशेष ध्यान दिया गया है। विश्वविद्यालय इस अनुरूप अपने यहां वातावरण निर्माण करें। उन्होंने विद्यार्थियों के ‘स्कील डवलपमेंट’ के जरिए उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा में आरम्भ से ही स्वावलम्बन पर ध्यान देना जरूरी है। बच्चों में नवाचाराें के प्रति रूझान हो, इनोवेटिव आईडियाज बच्चे हर कार्य में अपनाएं, इस तरह की शिक्षा पर हमारा फोकस हो, तभी व्यवहार में नई शिक्षा नीति लागू हो सकेगी। 

राज्यपाल श्री मिश्र ने विश्वविद्यालयों में विषयों की शिक्षा प्रदान करते समय विद्यार्थियों की मानसिकता में आत्मनिर्भर होने की भावना पैदा करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि अध्ययन में इस तरह के संस्कार जोड़े जाएंगे तो उसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होनें कुलपतियों का आह्वान किया कि वे नई शिक्षा नीति को सूक्ष्मता से समझते हुए, उसकी भावना में उतरते हुए उसे लागू करने के प्रयास करें। 

श्री मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने यहां उपलब्ध संसाधनों का समुचित सदुपयोग करें साथ ही और आर्थिक स्त्रोत विकसित करने पर भी ध्यान दें। उन्होंने विश्वविद्यालयों को अपनी आर्थिक सुदृढ़ता रखने के लिए वित्तीय संसाधनों के अन्य विकल्प भी खोजे जाने पर जोर दिया। उन्होंने सौर ऊर्जा, वर्षा पानी संरक्षण पर भी विश्वविद्यालयों में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता जताई। उन्होंने विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रमों के अद्यतन, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्टीय संस्थाओं के साथ अपने को जोड़ने, विशिष्ट नवाचार अपनाते हुए शैक्षिक गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के साथ ही सामाजिक उत्तरदायित्व के साथ शैक्षिक कार्यक्रमों को लागू किए जाने का आह्वान किया। 

बैठक में राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार ने आरम्भ में नई शिक्षा नीति से संबंधित प्रमुख बिन्दुओं का विस्तार से प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को राज्य में लागू करने के लिए विश्वविद्यालयों के तीन उपसमूह बनाए गए हैं। नीति को कैसे व्यवहार में लागू किया जाएगा, इसके लिए कुलपतियों से सुझाव मांगे गए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए क्या-क्या करना है, किस तरह से किया जाएगा-इसकी चैक लिस्ट तैयार करने और विश्वविद्यालयों को अपनी स्वयं की निधियां बढ़ाने तथा उपलब्ध संसाधनों के समुचित सदुपयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरी तरह से पढ़-समझकर उसे अपने यहां लागू करने की कार्य योजना बनाने की भी बात कही। 

बैठक में राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्द राम जायसवाल ने नई शिक्षा नीति के व्यावहारिक क्रियान्वयन पर जोर दिया। बैठक में राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर, मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर, कोटा विश्वविद्यालय, कोटा, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर, राजऋषि भर्तृहरी मत्स्य विश्वविद्यालय, अलवर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावटी विश्वविद्यालय, भरतपुर तथा गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा के कुलपतियों ने अपने यहां नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी।

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