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जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक : प्रदेश में नहरी परियोजनाओं के नये कमाण्ड क्षेत्रों में बूंद-बूंद और फव्वारा सिंचाई अनिवार्य हो - मुख्यमंत्री


- गत वर्षों की तुलना में राजस्थान को वर्ष 2019 में मिला अधिक पानी 

जयपुर, 17 सितम्बर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि प्रदेश की नवीन सिंचाई परियोजनाओं में बूंद-बूंद और फव्वारा सिंचाई पद्धति से परियोजना बनाया जाना अनिवार्य रूप से लागू करें। सिंचाई तथा पीने के लिए पानी की सीमित उपलब्धता के चलते यह बहुत आवश्यक है कि पानी की एक-एक बूंद का समुचित उपयोग हो। 

श्री गहलोत गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास पर जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विभाग में प्रगतिरत परियोजनाओं में बूंद-बूंद एवं फव्वारा पद्धतियों का लाभ किसानों को दिए जाने हेतु कृषि विभाग, उद्यान विभाग एवं जल संसाधन विभाग समन्वय बैठक कर लाभ पहुंचाना सुनिश्चित करें। उन्होंने प्रगतिरत परियोजनाओं को समयबद्ध पूर्ण किये जाने हेतु निर्देशित किया। 

बैठक में बताया गया कि गत वर्षों की तुलना में इस वर्ष में राजस्थान को रावी-व्यास नदियों से 24 प्रतिशत तथा सतलज से 9 प्रतिशत जल अधिक मिलने से उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के किसानों एवं पूर्वी राजस्थान में यमुना नदी से लगभग दोगुना जल मिलने से भरतपुर क्षेत्र के किसानों को अधिक मात्रा में जल प्राप्त हुआ है। साथ ही, यह भी अवगत कराया गया कि पंजाब द्वारा फिरोजपुर फीडर की रिलाईनिंग की डीपीआर तैयार कर ली गई है तथा पंजाब से नहरों के माध्यम से राजस्थान में आ रहे प्रदूषित जल की रियल टाइम मॉनिटरिंग हेतु इन्दिरा गांधी फीडर एवं बीकानेर कैनाल पर मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जाने हेतु कार्यादेश जारी किया जा चुका है। 

मुख्यमंत्री ने विभाग को पंजाब सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर अन्तर्राज्यीय समझौते के अनुसार जल प्राप्त करने की कार्यवाही करने के लिए निर्देश दिए। 

उल्लेखनीय है कि वर्षों से लम्बित इन्दिरा गांधी फीडर और सरहिन्द फीडर की रिलाइनिंग हेतु राजस्थान, पंजाब तथा केन्द्र सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता दिनांक 23 जनवरी 2019 को किया गया है। इसके अन्तर्गत पंजाब द्वारा सरहिन्द फीडर की रिलाइनिंग के कार्य आरम्भ किए जाकर वर्ष 2019 में लगभग 17 किलोमीटर रिलाइनिंग पूर्ण की जा चुकी है। आगामी वर्षों में इन्दिरा गांधी फीडर व सरहिन्द फीडर के कार्य पूर्ण किये जाने प्रस्तावित है। इन कार्यों की रिलाइनिंग पूर्ण हो जाने से इन्दिरा गांधी नहरी तंत्र में निर्धारित क्षमता से पानी की प्राप्ति होगी और पश्चिमी राजस्थान के 10 जिलों के आमजन को लाभ होगा। 

मुख्यमंत्री ने विभाग में चल रही वृहद् सिंचाई परियोजनाओं जैसे- परवन परियोजना, ईसरदा बांध एवं धौलपुर लिफ्ट परियोजना की प्रगति की समीक्षा कर इन परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूर्ण कर आमजन को लाभ दिलाए जाने हेतु निर्देश दिए। विभाग में जल संसाधन तंत्र के आधुनिकीकरण एवं बांधों तथा नहर प्रणाली को स्वचालित करने हेतु चल रहे कार्यों की प्रगति की समीक्षा की गई। 

विभाग द्वारा बताया गया कि जल उपभेाग दक्षता में वृद्धि करने हेतु विभाग में बांध पुर्नवास एवं सुधार परियोजना में राज्य के बड़े बांधों के जीर्णोंद्धार एवं आधुनिकीकरण हेतु 7 बांधों की निविदाएं एवं 6 बांधों की डीपीआर बनाकर केन्द्रीय जल आयोग को प्रस्तुत की गई हैं। राजस्थान राज्य आजीविका सुधार परियोजना के अन्र्तगत राज्य के 27 जिलों के बांध एवं नहरों के जीर्णोंद्धार से 4.70 लाख हैक्टेयर क्षेत्र के किसानों को लाभ होगा। परियोजना के प्रथम चरण हेतु 1 हजार 69 करोड़ रूपये स्वीकृत हैं, जिसके अन्तर्गत 39 परियोजनाओं के 477 करोड़ रूपये के कार्य प्रगतिरत हैं। 

रेगिस्तान क्षेत्र में राजस्थान जल क्षेत्र पुर्नसंरचना परियोजना में इन्दिरा गांधी फीडर, इन्दिरा गांधी मुख्य नहर एवं वितरण प्रणाली के जीर्णोद्धार कार्यों में फीडर एवं मुख्य नहर के लगभग 41 किलोमीटर के कार्य, वितरण प्रणाली के 765 किलोमीटर के कार्य पूर्ण किये जाकर किसानों को लाभ दिए जाने की जानकारी दी गई। 

शासन सचिव जल संसाधन श्री नवीन महाजन ने सिंचाई एवं पेयजल के लिए विभाग द्वारा संचालित विभिन्न परियोजनाओं तथा भविष्य की प्रस्तावित योजनाओं पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने विभिन्न जल परियोजनाओं की प्रगति, बजट घोषणाओं आदि की क्रियान्विति की स्थिति से भी अवगत कराया। उन्होंने बताया कि विभाग को जल दक्षता सुधार कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संगठनों जैसे भारत सरकार के नेशनल वाटर मिशन, केन्द्रीय बोर्ड ऑफ इरिगेशन एण्ड पावर तथा वाटर इनोवेशन समिट 2020 आदि ने पुरस्कृत किया है। इस दौरान मुख्य सचिव श्री राजीव स्वरूप, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त श्री निरंजन आर्य, जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता एवं वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

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