राजकीय व्यय में मितव्ययता के संबंध में वित्त विभाग ने जारी किया 8 सूत्री परिपत्र
जयपुर, 3 सितम्बर। अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्त श्री निरंजन आर्य ने राजकीय व्यय में मितव्ययता के संबंध में एक परिपत्र जारी किया हैं। परिपत्र में 8 बिन्दुओं यथा संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर व्यय को सीमित किया जाना, राजकीय यात्रा, क्रय पर प्रतिबन्ध, योजनाओं पर व्यय, स्वीकृत पदों की समीक्षा एवं रिक्त पदों पर भर्ती, प्रशिक्षण, सेमिनार, कार्यशाला, उत्सव और प्रदर्शनियां, परिपत्र की प्रभावशीलता में मितव्ययता बरतने के साथ ही क्षेत्राधिकार एवं अति आवश्यक प्रकरणों में विभागों से पूर्ण औचित्य के साथ प्रस्ताव प्राप्त होने पर वित्त विभाग द्वारा उक्त प्रतिबंधों में शिथिलन दिये जाने बाबत निर्देश दिये गए हैं।
परिपत्र का विस्तृत विवरण निम्नानुसार हैं :-
कोविड-19 महामारी की चुनौती से लड़ने हेतु चिकित्सा सुविधाओं के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना तैयार किये जाने तथा महामारी से प्रभावित वर्ग को सहायता उपलब्ध कराने हेतु, जहां एक ओर, अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की महती आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर, देशव्यापी लॉकडाउन के कारण औद्योगिक, व्यापारिक, वाणिज्यिक गतिविधियां एवं सेवा क्षेत्र के महत्तवपूर्ण घटकों के कार्यकलापों में अत्यधिक शिथिलता आने से राज्य की राजस्व प्राप्तियों में कमी हुई है।
उपरोक्त स्थिति के दृष्टिगत राज्य के सीमित संसाधनों का समुचित उपयोग किया जाना आवश्यक है। यह तभी संभव है कि जब राज्य के सभी कार्यकलापों में कुशल प्रबंधन अपनाते हुए मितव्ययता बरती जाये।
कोविड-19 महामारी के कारण राज्य के वित्तीय संसाधनों पर पड़ने वाले असाधारण प्रभाव को ध्यान में रखते हुए राजकीय व्यय के विनियमन हेतु पूर्व में जारी किए गए मितव्ययता परिपत्रों की निरन्तरता में निम्नलिखित दिशा-निर्देश तुरन्त प्रभाव से जारी किये जाते हैं :-
1. संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर व्यय को सीमित किया जाना -
(i) वर्ष 2020-21 के विभिन्न बजट मदों यथा-कार्यालय व्यय, यात्रा व्यय, कम्प्यूटर अनुरक्षण/तत्संबंधी स्टेशनरी का क्रय, मुद्रण एवं लेखन, प्रकाशन, पुस्तकालय एवं पत्र-पत्रिकाओं पर व्यय हेतु बजट में उपलब्ध धनराशि के सापेक्ष विभागों द्वारा इस वित्तीय वर्ष में व्यय को 70 प्रतिशत तक सीमित किया जायेगा तथा इन मदों में किसी भी स्थिति में पुनर्विनियोजन द्वारा धनराशि उपलब्ध नहीं कराई जायेगी।
(ii) वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में POL मद में स्वीकृत प्रावधान के विरूद्ध व्यय को 90 प्रतिशत तक सीमित किया जायेगा।
(iii) राजकीय कर्मचारियों/अधिकारियों को देय उपार्जित अवकाश के एवज में नकद भुगतान की नई स्वीकृतियां इस वित्तीय वर्ष में जारी किया जाना स्थगित रखा जायेगा।
(iv) समस्त राजकीय कार्यक्रम, भूमि पूजन तथा उद्घाटन समारोह आदि सादगी एवं सम्पूर्ण मितव्ययता बरतते हुए, जहां तक संभव हो, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किये जायेंगे।
(v) राजकीय भोज के आयोजन पर आगामी आदेशों तक प्रतिबंध रहेगा।
(vi) उपहार क्रय तथा सत्कार/आतिथ्य व्यय पर आगामी आदेशों तक प्रतिबंध रहेगा।
2. राजकीय यात्रा -
(i) शासकीय कार्यों के लिए की जाने वाली यात्राओं को आवश्यक एवं अपरिहार्य कार्यों की पूर्ति हेतु न्यूनतम रखा जावे तथा यथासंभव विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठकें आयोजित की जावे।
(ii) जो अधिकारी हवाई यात्रा के लिए अधिकृत हैं, इकानॉमी क्लास में ही यात्रा करेंगे। वर्तमान वित्तीय वर्ष में एक्जीक्यूटिव/ बिजनेस क्लास में यात्रा पूर्णतया प्रतिबंधित रहेगी।
(iii) विमान किराये पर लेने पर प्रतिबंध रहेगा। विशेष परिस्थितियों में विमान किराये पर लेने हेतु माननीय मुख्यमंत्री महोदय की अनुमति आवश्यक होगी।
(iv) राजकीय व्यय पर विदेश यात्रा पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
3. क्रय पर प्रतिबन्ध -
(i) कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने, संक्रमितों के उपचार तथा महामारी से पीड़ितों की सहायता हेतु आवश्यक सामग्री/उपकरणों के क्रय को छोड़कर अन्य समस्त प्रकार की मशीनरी और साज सामान/औजार एवं संयंत्र तथा New Items के क्रय पर पूर्ण प्रतिबन्ध रहेगा। योजनान्तर्गत प्रावधित केवल Functional Equipments, जो कि योजना के संचालन हेतु आवश्यक हैं, का क्रय किया जा सकेगा।
(ii) वाहनों के क्रय पर पूर्ण प्रतिबन्ध रहेगा।
4. योजनाओं पर व्यय -
(i) जिन कार्यों/ योजनाओं हेतु भारत सरकार से राशि प्राप्त हो चुकी है उन योजनाओं/ निर्माण/ गतिविधियों में राज्य निधि की धनराशि आवश्यतानुसार चरणों में उपलब्ध कराई जायेगी।
(ii) वर्तमान विशेष परिस्थितियों के दृष्टिगत सभी विभागों द्वारा संचालित समस्त योजनाओं की समीक्षा की जाकर राज्य निधि से वित्त पोषित उन्हीं योजनाओं को इस वित्तीय वर्ष में क्रियान्वित किया जाये, जो अपरिहार्य प्रतीत होती है। इस हेतु विभाग अपने स्तर पर समीक्षा कर प्रभारी मंत्री महोदय के अनुमोदन उपरान्त त प्रस्ताव वित्त विभाग को प्रेषित करेंगे।
(iii) ऐसी योजनाएं, जो अपरिहार्य या अत्यावश्यक न हों, उनका क्रियान्वयन चालू वित्तीय वर्ष में स्थगित रखा जावे।
यह प्रतिबन्ध चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण, पोषण, मिड-डे-मील, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, आपदा राहत, ऊर्जा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा पुलिस से संबंधित योजनाओं पर लागू नहीं होगा।
5. स्वीकृत पदों की समीक्षा एवं रिक्त पदों पर भर्ती -
(i) वित्तीय वर्ष 2020--21 में 100 प्रतिशत राज्य निधि से वित्त पोषित कोई भी नया कार्यालय खोले जाने की स्वीकृति नहीं दी जायेगी तथा पूर्व में स्वीकृत कार्यालय जो आरम्भ नहीं हुये है उन्हें भी इस वित्तीय वर्ष में स्थापित नहीं किया जायेगा।
(ii) विभागीय कार्य प्रणाली में परिवर्तन, सूचना प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग आदि कारणों से अनेक पद वर्तमान में अप्रासांगिक हो गये हैं उन्हें विभागों द्वारा चिह्नित कर आवश्यक कार्यवाही की जावे।
6. प्रशिक्षण, सेमिनार, कार्यशाला, उत्सव और प्रदर्शनियां -
(i) वित्तीय वर्ष 2020--21 में समस्त प्रकार के प्रशिक्षण, सेमिनार, कार्यशाला, उत्सव और प्रदर्शनियों का आयोजन, जहां तक संभव हो, ऑनलाईन किया जावेगा।
(ii) अपरिहार्य / अति आवश्यक परिस्थितियों में सम्मेलन/सेमिनार/कार्यशालाएं/प्रशिक्षण/ प्रदर्शनियां आदि का आयोजन राजकीय संस्थाओं/शासकीय भवनों/राजकीय परिसर में ही किया जाये।
(iii) प्रशिक्षण, भ्रमण एवं सम्मेलन व्यय, उत्सव और प्रदर्शनियां व्यय मदों में बजट में उपलब्ध धनराशि के सापेक्ष विभागों द्वारा व्यय में कम से कम 50 प्रतिशत की कमी की जाये।
7. परिपत्र की प्रभावशीलता एवं क्षेत्राधिकार -
(i) व्यय नियंत्रण हेतु उपर्युक्त दिशा-निर्देशों की कठोरता से अनुपालना के लिए संबंधित प्रशासनिक विभाग के प्रभारी सचिव, विभागाध्यक्ष उत्तरदायी होंगे।
(ii) उपर्युक्त दिशा-निर्देश राजकीय उपक्रमों, कम्पनियों, बोर्ड्स, समस्त विश्वविद्यालयों, अनुदानित संस्थाओं, निकायों एवं राज्य सरकार पर वित्तीय दृष्टि से अथवा आंशिक रूप से निर्भर सभी संस्थाओं पर भी लागू होंगे। इन आदेशों की अनुपालना के लिए स्वयत्तशाषी संस्थाओं/राजकीय उपक्रमों, विश्वविद्यालयों आदि के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी/संस्था प्रधान जिम्मेवार होंगे।
राजकीय उपक्रमों, कम्पनियों, बोर्ड्स को उपर्युक्त दिशा-निर्देशों में अपरिहार्य कारणों से शिथिलता आवश्यक होने पर संबंधित संचालक मण्डल द्वारा निर्णय लिया जा सकेगा।
(iii) राज्यपाल सचिवालय, मुख्यमंत्री कार्यालय, राजस्थान विधान सभा, राजस्थान उच्च न्यायालय, राज्य निर्वाचन आयोग तथा राजस्थान लोक सेवा आयोग पर यह परिपत्र प्रभावी नहीं होगा।
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