राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी से निःशुल्क उपचार - चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री
- प्रदेश में कोराना संक्रमण रोकथाम के लिए व्यापक प्रबंध, उप जिला अस्पतालों तक वेंटिलेटर की आपूर्ति की
जयपुर, 21 अगस्त। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि प्रदेश में कोराना संक्रमण रोकने के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की भर्तियां की गई हैं। पीपीई किट, मास्क, टेस्ट लेब एवं वेंटिलेटर की पर्याप्त व्यवस्था है। उप जिला अस्पतालों तक वेंटिलेटर की आपूर्ति की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी उपचार बिल्कुल निःशुल्क किया जा रहा है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा शुक्रवार को विधानसभा में कोरोना महामारी एवं उसके आर्थिक दुष्प्रभाव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि सदन के 25 सदस्यों ने चर्चा में भाग लेकर अपने बहुमूल्य सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है, जिसे रोकने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। कोराना काल में डॉक्टरों की भर्ती कर नियुक्ति दी गई है और दो हजार डॉक्टरों की जल्द नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने बताया कि 12 हजार 500 नर्सिंगकर्मियों की भर्ती कोर्ट केस की वजह से अटकी हुई थी जिसकी नियुक्ति का भी रास्ता साफ हो गया है। फार्मासिस्ट एवं लैब टेक्निशियन की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है तथा रेडियोग्राफर की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) के 6 हजार 300 पदों पर भर्ती को मंजूरी दी गई है।
डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि राज्य में कोराना संक्रमित मरीजों के इलाज की पुख्ता व्यवस्था की गई है। राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आरएमएससीएल) के माध्यम से प्रक्रियानुसार एवं पारदर्शी ढंग से पर्याप्त पीपीई किट, मास्क एवं सेनेटाइजर की खरीद की गई है। उप जिला चिकित्सालय स्तर तक वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का भी उपयोग किया जा रहा है, जो बिल्कुल निःशुल्क है।
उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों को स्वास्थ्य बीमा योजना का निर्बाध रूप से लाभ मिल रहा है। इसमें निरन्तर बीमा क्लेम का भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 13 दिसम्बर, 2019 से अब तक 6 लाख 98 हजार मरीजों को लाभ दिया गया है। इसके लिए 384 करोड़ रुपए का भुगतान करना है जिसमें से 128 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है और 151 करोड़ रुपए का भुगतान शीघ्र कर दिया जाएगा।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने राज्य की सामान्य वित्तीय स्थिति एवं कोविड-19 के राज्य वित्त पर पड़े प्रभाव के संबंध में अवगत कराते हुए कहा कि लॉकडाउन आदि परिस्थितियों की वजह से जहां एक ओर औद्योगिक, वाणिज्यिक व व्यापारिक गतिविधियां बन्द हो गई, वहीं दूसरी ओर राज्य के आय संसाधनों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि कोविड आने से पूर्व केन्द्र सरकार की अदूरदर्शी नीतियों के कारण देश में आर्थिक मंदी के हालात उत्पन्न हो चुके थे, जिससे राज्य में भी राजस्व प्राप्तियों में कमी आई, कोविड महामारी ने ऎसे में आग में घी डालने का काम किया।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व के वषोर्ं में की गई नोट बन्दी एवं जल्दबाजी में जीएसटी लागू किये जाने से देश की अर्थव्यवस्था का ढांचा चरमरा गया। इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद की वार्षिक वृद्धि दर मात्र 5 प्रतिशत पर आ गई। इन गलत निर्णयों से देश व राज्यों की अर्थव्यवस्था पर गम्भीर प्रभाव पड़ा, जिससे वह अभी तक उबर नहीं पाई है। वर्ष 2018-19 व 2019-20 में राजस्व बढ़ोतरी दर में भारी कमी दर्ज की गई।
डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि सातवें वेतन आयोग को लागू किये जाने से 2 हजार करोड़ रुपये के एरियर के भुगतान का भार तथा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की वर्ष 2017-18 व 2018-19 के बकाया राज्यांश की राशि लगभग 1 हजार करोड़ रुपये का भार प्रमुख है। इस प्रकार लगभग 15 से 20 हजार करोड़ रुपये के बकाया दायित्व थे, जिससे इस सरकार पर भारी दबाव पड़ा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने ना केवल गत सरकार द्वारा छोड़े गये लम्बित दायित्वों का भुगतान किया, वहीं राज्य को विकास की दिशा में आगे बढ़ाने की दृष्टि से लोक कल्याणकारी कार्यों पर व्यय भी किया।
उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के आरम्भ से ही साल के प्रथम दो माह में लगभग पूर्ण लॉकडाउन की स्थिति होने के कारण राज्य की राजस्व प्राप्तियों में भारी गिरावट आई, जबकि राज्य पर वेतन, पेन्शन, ब्याज भुगतान तथा सामाजिक सुरक्षा पेन्शन जैसे आवश्यक खचोर्ं पर भुगतान किये जाने की जिम्मेदारियां यथावत थी।
डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा की गई अप्रत्याशित कटौती ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। लॉकडाउन की स्थितियों में जहां एक तरफ अत्यावश्यक सेवाओं को चलाये रखने की चुनौती थी, वहीं दूसरी तरफ अन्य राज्यों से अपने घरों में लौट रहे प्रवासी श्रमिकों को भी सहायता प्रदान करना आवश्यक हो गया। बीपीएल, अन्त्योदय तथा बीओसीडब्ल्यू में पंजीकृत श्रमिकों के परिवारों तथा जो परिवार सामाजिक सुरक्षा के पेंशन लाभार्थी नहीं है, के साथ ही असहाय, निराश्रित, ठेले/रेहड़ी चालक, रिक्शा चालक, भिखारी, घुमन्तु इत्यादि के लगभग 35 लाख परिवारों को 3500 रुपये प्रति परिवार अनुसार अनुग्रह राशि के रूप में लगभग 1200 करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 आपदा से निपटने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत चयनित पात्र लाभार्थियों के परिवारों को माह अप्रेल, मई व जून 2020 में निःशुल्क गेहूं वितरण किया गया जिस पर राज्य सरकार को 111.39 करोड़ रूपये का अतिरिक्त व्यय भार आया। इसे आगे बढ़ाते हुए गेहूं का निःशुल्क वितरण माह नवम्बर, 2020 तक देने की घोषणा की है, जिस पर 185 करोड़ रूपये का अतिरिक्त व्यय होगा।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चयनित लाभार्थियों की अतिरिक्त संख्या को ध्यान में रखते हुए 34 लाख लोगों के लिए 34 हजार मेट्रिक टन गेहूं भारतीय खाद्य निगम से बाजार दर पर खरीद कर उपलब्ध कराया गया जिस पर राज्य सरकार ने लगभग 79 करोड़ रूपये का अतिरिक्त व्यय भार वहन किया।
डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार का ध्येय की ‘कोई भूखा नहीं सोए’ को ध्यान में रखकर प्रवासी तथा ऎसे व्यक्ति जिनका कोविड-19 के दौरान हुए लॉकडाउन के फलस्वरूप रोजगार, उद्योग धंधे समाप्त हो गये। ऎसे 37 विशेष श्रेणी के परिवारों का सर्वे करवाया गया। सर्वे करवाये जाने के पश्चात् इन परिवारों को कुल 10 किलो गेहूं प्रति व्यक्ति तथा 2 किलो चना प्रति परिवार उपलब्ध करवाया गया। ऎसे 3.59 लाख परिवार जो कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में चयनित नहीं थे। उनको भी 10 किलो प्रति व्यक्ति गेहूं तथा 2 किलो प्रति परिवार चना उपलब्ध कराये जाने की घोषणा की गई थी। इन परिवारों को खाद्य सामग्री का आवंटन कर वितरण किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि विश्वव्यापी महामारी पर नियंत्रण के लिए कुशल प्रबन्धन किये गये, जिसकी सराहना देश-दुनिया में हो रही है। प्रधानमंत्री ने भी राज्य के कोरोना प्रबंधन की तारीफ की है। राज्य में कोरोना मरीजों की ठीक होने की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है तथा राजस्थान देश में सर्वाधिक रिकवरी दर वाले अग्रणी राज्यों में है। साथ ही यहां मृत्यु दर भी कम है।
कोराना काल के दौरान राज्य में विभिन्न विभागों में हो रही भर्तियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2 हजार 900 पदों के लिए परीक्षा आयोजित करवाई जा चुकी है। 4 हजार 913 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है। 7 हजार 36 पदों के लिए भर्ती स्वीकृत की गई है। 4 हजार 174 पदों के लिए विभिन्न भर्ती एजेंसियों को अभ्यर्थना भिजवाई गई है। 13 हजार 652 पदों के लिए न्यायालय में लम्बित भर्तियों का निस्तारण कराया गया है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने कोराना एवं लॉकडाउन की वजह से उपजी विपरीत परिस्थितियों पर प्रख्यात अर्थशास्ति्रयों के वक्तव्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत के आर्थिक सुधारों के शिल्पकार डॉ. मनमोहन सिंह ने 10 अगस्त, 2020 को कहा कि केन्द्र सरकार का लॉक डाउन के प्रति विस्मयकारी रवैये से आम जनता को अपूरणीय हानि हुई। बगैर किसी पूर्व सूचना के कठोर लॉक डाउन लागू करना अदूरदर्शी एवं असंवेदनशील फैसला था। भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में बहुत कठिन एवं जटिल दौर से गुजर रही थी। इसी प्रकार नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री श्री अभिजीत बनर्जी ने 5 मई, 2020 को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभाव से उबारने के लिए अमेरिका एवं जापान जैसे देशों के समान बड़े राहत एवं प्रोत्साहन पैकेज की आवश्यकता है। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर एवं प्रख्यात अर्थशास्त्री श्री रघुराम राजन ने 25 जुलाई, 2020 को कहा कि भारत कोविड-19 महामारी से जनित स्वास्थ्य संकट में प्रवेश कर चुका है। साथ ही गिरती हुई विकास दर, खस्ताहाल राजकोषीय स्थिति एवं बढ़ती हुई एनपीए की स्थिति और गंभीर है।
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