विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान वित्तीय स्थिति की समीक्षा : विद्युत आपूर्ति सेवाओें में गुणवत्ता सुनिश्चित करना आवश्यक - मुख्यमंत्री
जयपुर, 28 अगस्त। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति एवं उपभोक्ता सेवायें जारी रखने में आमजन से सहयोग की अपेक्षा की है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी से लड़ाई में राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य की देखभाल और चिकित्सा सुविधाओं के प्रबंधन में कोई कमी नहीं छोड़ी है और आर्थिक संकट के दौर में भी अतिरिक्त वित्तीय भार वहन किया है। ऎसे में, विद्युत सेवाओं के निर्बाध एवं गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति में उपभोक्ताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
श्री गहलोत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में राज्य के विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान वित्तीय स्थिति और उपभोक्ताओं को दी जा रही सेवाओं की समीक्षा की।
कोविड एवं लॉकडाउन के दौरान सुदृढ़ विद्युत व्यवस्था बनाये रखी
बैठक में ऊर्जा मंत्री श्री बी.डी. कल्ला ने बताया कि कोविड महामारी से उत्पन्न स्थितियों एवं लॉकडाउन के दौरान वितरण कम्पनियों ने सुदृढ़ विद्युत व्यवस्था बनाये रखी। वितरण निगमों द्वारा किसानों को 6-7 घण्टे थ्री फेस बिजली तथा अन्य उपभोक्ताओं को 24X7 गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति की गई। यह व्यवस्था अभी भी अनवरत जारी है।
विद्युत विनियामक आयोग के आदेश लागू करना सतत् प्रक्रिया
श्री कल्ला ने बताया कि विभिन्न राजनैतिक पार्टीयों तथा अन्य संगठनों अथवा संघों द्वारा बिजली बिल माफी की मांग की जा रही है, जो व्यवहारिक नहीं है। उन्होंने कहा कि विद्युत विनियामक आयोग द्वारा जारी आदेशों के अन्तर्गत वर्तमान में प्रस्तावित विद्युत आपूर्ति की दरें और त्रैमासिक फ्यूल सरचार्ज लागू करना एक सतत् प्रक्रिया है। ऎसे में राजनैतिक दलों को चाहिए कि उपभोक्ताओं के सामने सही बात रखें और उन्हें भ्रमित ना करें। उन्होंने बताया कि आयोग के फरवरी 2020 के आदेशानुसार संशोधित विद्युत दरों से भी कई वर्गाें के उपभोक्ताओं, जैसे बीपीएल, लघु, घरेलू, कृषि और औद्योगिक उपभोक्ताओं, को अछूता रखा गया है तथा स्थाई प्रभार में भी मामूली वृद्धि की है।
संशोधित दरों का 2469 करोड़ रूपये वार्षिक भार वहन कर रही राज्य सरकार
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि संशोधित विद्युत दरों से कृषि उपभोक्ताओं तथा छोटे घरेलू उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले प्रभाव का कुल 2469 करोड़ रूपये वार्षिक का भार राज्य सरकार वहन कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इसी प्रकार फ्यूल सरचार्ज वर्ष 2012 से निरन्तर वसूला जा रहा है और इसकी गणना विनियामक आयोग द्वारा निर्धारित फार्मूलेे की अनुसार ही की जाती रही है। इस प्रकार विद्युत उपभोक्ताओं से ऎसी कोई भी अतिरिक्त राशि चार्ज नही की जा रही है, जो कि पिछले 10 वर्षों से चार्ज नहीं की गई है।
विद्युत उपभोक्ताओं के बिल अपे्रल से जून 2020 तक स्थगित रहे
श्री कल्ला ने अवगत कराया कि प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं की विषम आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुये किसानों के कृषि कनेक्शनों के मार्च से जून 2020 तक के बिलों का भुगतान स्थगित किया गया। इसी प्रकार 150 यूनिट प्रतिमाह तक उपभोग वाले घरेलू उपभोक्ताओं के बिल के भुगतान भी अपे्रल से जून 2020 तक स्थगित किये गये। अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं के स्थाई प्रभार का भुगतान भी स्थगित किया गया। इसके फलस्वरूप 2019 करोड़ रूपये की राशि के बिलों के भुगतान स्थगित रहे, जिससे वितरण निगमों को कुल 122 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार उठाना पड़ा है।
कोविड के दौरान राजस्व घटा, फिर भी बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की गई
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि लॉकडाउन अवधि में बिलों का भुगतान करने पर घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा 5 प्रतिशत एवं अन्य उपभोक्ताओं द्वारा 1 प्रतिशत की छूट भी प्राप्त की गई है। इसके लिए 123.81 करोड़ रूपये की राशि वितरण निगमों द्वारा वहन की गई है। गत वर्षाें में विद्युत कम्पनियों द्वारा लिए गए ऋण एवं उसके ब्याज के भुगतान के कारण वितरण निगमों की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब चल रही है। इसके चलते इन निगमों का वार्षिक घाटा 9 हजार करोड़ रूपये से अधिक हो गया है। इसके बावजूद भी कोविड महामारी के दौरान राजस्व की कम प्राप्ति के बावजूद बिजली आपूर्ति राज्य सरकार द्वारा सुनिश्चित की गई।
पिछली सरकार द्वारा घोषित अनुदान एक वर्ष तक जारी रखा
श्री कल्ला ने कहा कि ऎसी स्थिति में बिलों की राशि माफ कराना अथवा विलम्ब शुल्क माफ करना विद्युत वितरण निगमों की पहले से खराब चल रही वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। कृषि उपभोक्ताओं को 833 रूपये प्रति माह अनुदान, जो पूर्ववर्ती सरकार ने चुनाव घोषणा से ठीक पहले 5 अक्टूबर, 2018 को बिना किसी वित्तीय प्रावधान के घोषित किया था, वर्तमान सरकार ने इसे एक वर्ष तक जारी रखा। इस कारण वितरण निगमों पर 688 करोड़ रूपये का अतिरिक्त वित्तीय भार आया है।
वितरण निगमों को अनुदान राशि रोक सकता है केन्द्र
श्री कल्ला ने कहा कि भारत सरकार ने तो राज्य के विद्युत वितरण निगमों की वित्तीय स्थिति में सुधार नहीं कर पाने की स्थिति में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य को दी जाने वाली अनुदान राशि को रोकने हेतु विचार करने की बात कही है। ऎसे में अब विद्युत वितरण निगमों की आर्थिक स्थिति को देखते हुये यह अतिरिक्त अनुदान जारी रखना साध्य नहीं है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2019-20 में विद्युत छीजत 20.88 प्रतिशत रही है जबकि भारत सरकार ने वर्ष 2016 में जारी उदय योजना एवं अन्य योजना में विद्युत छीजत को 15 प्रतिशत तक लाने की सीमा रखी है। अतः अधिक छीजत वाले फीडरों पर विद्युत चोरी पाये जाने पर वीसीआर भरी जा रही है। कृषि उपभोक्ताओं के बिजली चोरी पाये जाने पर मात्र 2 माह के उपभोग के लिये निर्धारित उपभोग के अनुसार राशि चार्ज की जाती है, जबकि अन्य उपभोक्ताओं से 12 माह के उपभोग की गणना अनुसार राशि चार्ज की जाती है। बैठक में मुख्य सचिव श्री राजीव स्वरूप, अति. मुख्य सचिव वित्त श्री निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा तथा विद्युत वितरण कम्पनियों के सीएमडी श्री अजिताभ शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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