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तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को लिखा पत्र


विश्वविद्यालय स्तरीय परीक्षाओं के संबंध में प्रोफेसर कुहार समिति की सिफारिशों में जनहित में उचित संशोधन करने अथवा इस संबंध में निर्णय राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ने का किया अनुरोध 

जयपुर, 5 अगस्त। तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल को अद्र्धशासकीय पत्र लिखकर कोविड-19 की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालय स्तरीय परीक्षाओं के आयोजन के सम्बंध में प्रोफेसर कुहार समिति की सिफारिशों में जनहित में उचित संशोधन करने अथवा इस सम्बन्ध में राज्य सरकारों के विवेक पर निर्णय छोड़ने का आग्रह किया है। 

तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री ने अपने पत्र में विश्वविद्यालय स्तरीय परीक्षाओं का आयोजन ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन न करवाने के सम्बन्ध में तर्क देते हुए कहा है कि देश में प्रतिदिन चालीस हजार से ज्यादा नए कोरोना पॉजीटिव आ रहे हैं। इसी प्रकार राजस्थान में भी नौ सौ से एक हजार कोरोना पॉजीटिव रोजाना आ रहे हैं। कोविड-19 की यह स्थिति आगे और भी अप्रत्याशित रूप से भयावह हो सकती है। उन्हाेंने लिखा है कि दिन-प्रतिदिन कोरोना मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए हमारा मुख्य लक्ष्य आम लोगों की जान बचाना है। 

अनलॉक-2 के चलते हुए आमजन के विभिन्न तरह की पाबंदियाँ लागू है। ऎसे में विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों की ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन परीक्षाएं करवाया जाना कोविड-19 के संक्रमण को खतरनाक रूप में बढ़ा सकता है। 

डॉ. गर्ग ने अपने पत्र में कहा है कि राजस्थान एक बड़ा प्रदेश है। वहीं राजस्थान सहित अन्य राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी लॉकडाउन-1 के चलते अपने-अपने घर जा चुके हैं। जिनके घरों की दूरी 100किमी. से लेकर 500किमी. तक हो सकती है। उन्होंने कहा कि ऎसे विद्यार्थी अभी सुरक्षित रूप से अपने-अपने घरों में हैं। परिवहन गतिविधियाँ भी वर्तमान में सामान्य रूप में संचालित नहीं हो रही है। 50 से 60 प्रतिशत विद्यार्थी गाँवों में रहते हैं जहाँ इन्टरनेट की सुविधा सुचारू रूप में नहीं हैं, वहीं ऎसे विद्यार्थियों के पास कम्प्यूटर एवं लेपटॉप जैसे संसाधन भी उपलब्ध नहीं हैं। वर्तमान में मार्च 2020 से ऑनलाइन/ऑफलाइन और ऑनलाइन+ऑफलाइन परीक्षाएं करवाया जाना लम्बित है। 

तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को लिखा कि भारत में 41 प्रतिशत लोग ही इन्टरनेट का उपयोग करते हैं। वहीं ऑनलाइन परीक्षाएं करवाने के लिए ज्यादातर विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कम्प्यूटर एवं लेपटॉप की पूरी तरह व्यवस्था नहीं है। उन्‍होंने लिखा है कि देश और प्रदेश में अगस्त एवं सितम्बर माह में मानसून के कारण बाढ़ आदि के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान एवं महाविद्यालय तक आवागमन कठिन हो जाता है। उन्होंने कहा कि ऎसी परिस्थितियों में विद्यार्थियों के पिछले वर्ष के प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन कर परिणाम घोषित किया जाना विद्यार्थियों के हित में होगा, जिससे वे समय पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी अथवा रोजगार ढूंढने के कार्य को कर सकेंगे। 

उन्होंने कहा कि यहां तक कि दुनियां के अत्यधिक आबादी वाले देशों ने भी महाविद्यालयों विश्वविद्यालयों का संचालन रोक दिया है। परीक्षा और अगले शैक्षणिक सत्र के बारे में अनिश्चितता छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और मानसिक तनाव पैदा करती है। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सितंबर माह में परीक्षाएं आयोजित करवाया जाना बहुत मुश्किल कार्य है। 

डॉ. गर्ग ने कहा कि राज्य सरकार ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियों और कई जाने-माने शिक्षाविदों, महाविद्यालयों के प्राचार्यों आदि से चर्चा की है। राज्य सरकार उक्त चर्चा में इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि वर्तमान में परीक्षाओं का आयोजन नहीं करवाया जाना चाहिए। यदि विद्यार्थी अपने प्रदर्शन सुधार चाहते हैं तो उन्हें सामान्य परिस्थितियां होने पर परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा। बिना परीक्षाओं के आयोजन के विद्यार्थियों को क्रमोन्नत करने के निर्णय को अध्यापकों, अभिभावकों, विद्यार्थियों तथा आमजन के द्वारा वृहद् रूप में सराहा गया है। 

तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री ने अपने पत्र में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को लिखा कि पत्र में वर्णित तथ्यों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मेरा आपसे विनम्र आग्रह है कि प्रोफेसर कुहार समिति की सिफारिशों का पुनर्मूल्यांकन कर वृहद् जनहित को ध्यान में रखते हुए उसमें आवश्यक संशोधन किया जाए या फिर उपयुक्त निर्णय लेने के लिए इसे राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ दिया जाए।

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