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राजस्थान माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित


जयपुर, 24 अगस्त। राजस्थान विधानसभा ने सोमवार को राजस्थान माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2020 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। 

इससे पहले विधि मंत्री श्री शांति कुमार धारीवाल ने विधेयक को चर्चा के लिए सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर सदन में हुई चर्चा के बाद विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों पर प्रकाश डालते हुए विधि मंत्री ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी एक्ट में संशोधन किया गया है और उसी के अनुरूप ही राज्य सरकार यह संशोधन ले कर आई है। कोविड-19 महामारी फैलने के बाद यह महसूस किया गया कि माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 अधिनियम के जो प्रावधान थे उनकी निर्धारित समयावधि में पालना करने में कठिनाई हो रही थी, इसीलिए इस समय को बढ़ाया गया। युद्ध, महामारी, भूकम्प और बाढ़ जैसी विशेष परिस्थितियों में अधिसूचित समय में सीमा बढ़ाने की शक्तियां राज्य सरकार को दी गई है। 

उन्होंने बताया कि करदाताओं को राहत देने के उद्देश्य से नोटिस की अनुपालना, जवाब प्रस्तुत करने की अवधि, अपील फाइल करने आदि के समय को बढ़ाकर 31 अगस्त 2020 किया गया है। उन्होंने बताया कि 20 मार्च 2015 से 15 अप्रेल 2020 के मध्य जारी किये गये ई-वे बिल की वैधता अवधि 31 मई 2020 तक बढ़ाई गई है। 

श्री धारीवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में कई कमियां रही है, इसलिए बार-बार संशोधन लाया गया है। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान में 70 वर्षों में केवल 104 बार ही संशोधन किये गये हैं, जबकि वर्ष 2017 में बने इस अधिनियम में 471 संशोधन हो चुके हैं। 

उन्‍होंने कहा कि राज्य के कुल राजस्व में से जीएसटी का 33 प्रतिशत आता है। राज्य का वर्ष 2017 से जुलाई 2020 तक 6 हजार 980 करोड 54 लाख रुपये केन्द्र सरकार पर बकाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा माल या सेवाओं या दोनों के राज्य के भीतर प्रदाय पर कर के उद्ग्रहण और संग्रहण के लिए उपबंध करने के उद्देश्य से राजस्थान माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 अधिनियमित किया गया था। 

श्री धारीवाल ने कहा कि भारत सहित विश्व के कई देशों में कोविड-19 महामारी के प्रसार को देखते हुए समय सीमा के विस्तार सहित कतिपय उपबंधों को शिथिल करने के उद्देश्य से राजस्थान माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में नयी धारा 168 क अंतःस्थापित की जानी प्रस्तावित है। 

इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए प्रचारित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।

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