मानवीय मूल्यों के आत्मसात से ही पैदा होगा आत्मविश्वास - राज्यपाल
जयपुर, 9 जुलाई। राजस्थान
के राज्य
विश्वविद्यालयों के
कुलाधिपति एवं
राज्यपाल श्री
कलराज मिश्र
ने कहा
है कि
युवा देश
के विकास
का केन्द्र
बिन्दु है।
युवा पीढ़ी
को राष्ट्र
के विकास
के लिए
तैयार करना
है। इसके
लिए युवाओं
को मानवीय
मूल्यों की
शिक्षा देना
आवश्यक है।
उन्होंने कहा
कि मानवीय
मूल्यों के
आत्मसात से
ही व्यक्ति
में आत्मविश्वास
पैदा होता
है। श्री
मिश्र का
मानना था
कि आत्मविश्वासी
ही कोरोना
जैसी महामारी
को मात
दे सकता
है। शिक्षा
ने यदि
किसी व्यक्ति
के आत्मविश्वास
को जगा
दिया तो
उस व्यक्ति
को जीवन
में हर
कदम पर
विजय हासिल
होगी।
श्री
मिश्र गुरूवार
को यहां
राजभवन में
वीडियो कान्फ्रेन्स
के माध्यम
से कार्यशाला
को सम्बोधित
कर रहे
थे। तकनीकी
शिक्षा में
मानवीय मूल्यों
का समावेश
विषेयक कार्यशाला
का आयोजन
बीकानेर तकनीकी
विश्वविद्यालय द्वारा
किया गया।
राज्यपाल ने
कहा कि
मानवीय मूल्य
व्यापक होते
है। इनमें
संवेदनशीलता, सद्आचरण, सकारात्मक व्यवहार
व सोच
जैसे गुण
समाहित होते
है। श्री
मिश्र ने
कहा कि
इन्ही गुणों
के कारण
व्यक्ति अवसाद
और निराशा
जैसी स्थितियों
से बचा
रहेगा। राज्यपाल
ने कहा
कि युवा
पीढ़ी को
विकास के
लिए प्रेरित
करना होगा।
उन्होंने कहा
कि युवा
की रचनात्मक
मानसिकता को
भी विकसित
करना होगा
ताकि युवा
पीढ़ी देश
के विकास
में सक्रिय
भागीदारी निभा
सके।
राज्यपाल
ने कहा
कि मनुष्य
के जीवन
में प्रत्यक्ष
रूप से
आत्मसात करने
वाले गुण
ही मानवीय
मूल्य होते
है। मानवीय
मूल्यों से
पाप और
पुण्य का
विश्लेषण करने
का ज्ञान
भी व्यक्ति
में पैदा
होता है।
जीवन में
स्वंय पर
अनुशासन भी
व्यक्ति मानवीय
गुणों से
ही कर
सकता है।
ऎसे गुण
वाले व्यक्ति
हर क्षेत्र
में निरन्तर
आगे बढते
है।
श्री
मिश्र ने
कहा कि
हमें मशीन
बनकर नही
रहना है।
हमें मानव
बनना है।
आज के
युवा और
देश के
भविष्य को
भी मानवता
के गुण
सिखाने है।
इसके लिए
लोगों में
संवेदना पैदा
करनी है।
उन्होंने कहा
कि हमें
ऎसी संवेदना
समाज में
विकसित करनी
होगी, जिससे
की सभी
लोग आपस
में जुड़े
रह सके।
राज्यपाल ने
कहा कि
भारतीय मूल्य
संस्कारमय व
त्याग पर
आधारित है।
समाज के
लिए आवश्यक
है कि
वसुधैव कुटुम्बकम
की भावना
का वातावरण
बनाया जाये।
उन्होंने कहा
कि संस्कार
का प्राथमिक
स्थल परिवार
है और
उसके बाद
विद्यालय से
संस्कार मिलते
हैं। राज्यपाल
ने कहा
कि शिक्षा
संस्थानों का
स्वरूप संस्कारमय
होना चााहिए
ताकि युवा
पीढ़ी का
सर्वागींण विकास
हो सके।
उन्होंने कहा
कि शिक्षा
संस्थान ही
लोगों में
प्रतिभा जागृत
करने के
स्त्रोत होते
हैं।
कार्यशाला में ए आई सी टी ई के अध्यक्ष प्रो.अनिल सहरत्रबुद्वे ने कहा कि मानवीय मूल्यों में जीवन की समस्याओं के समाधान के मार्ग है। उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर राष्ट्र का रास्ता गांव से ही आरम्भ होता है। बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति श्री एच. डी चारण ने कार्यशाला की जानकारी दी। कार्यशाला का संचालन डॉ.अलका स्वामी ने किया। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार और प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्द राम जायसवाल भी मौजूद थे।
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