केन्द्र सरकार का विद्युत अधिनियम, 2003 (प्रस्तावित संशोधित), बिल 2020, विकेन्द्रीकरण की मूल भावना के खिलाफः ऊर्जा मंत्री
राज्यों के पॉवर एवं
न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रियों की वर्चुअल कांफ्रेंस
राज्यों के अधिकारों
का अतिक्रमण होगा, वित्तीय शक्तियों पर
प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा
जयपुर, 3 जुलाई। ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला
ने केन्द्र सरकार द्वारा विद्युत अधिनियम,
2003 (प्रस्तावित
संशोधित), बिल 2020 को राज्यों के लिए शक्ति के
विकेन्द्रीकरण का पूर्ण विरोधाभासी और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया है। उन्होंने
कहा कि संविधान के अनुसार बिजली क्षेत्र समवर्ती सूची में शामिल है। केन्द्र सरकार
की ओर से इस प्रस्तावित बिल का बिजली क्षेत्र से सम्बंधित आदेशों, नियंत्रण और विनियमन के केंद्रीयकरण की
ओर झुकाव है, इससे राज्यों के
अधिकारों पर अतिक्रमण होगा तथा इससे राज्यों की वित्तीय और संचालन शक्तियों पर
प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
डॉ.कल्ला शुक्रवार को
राज्यों के पॉवर एवं न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रियों की वर्चुअल कांफ्रेंस को
सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने केन्द्रीय ऊर्जा एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री
श्री आर. के. सिंह से विकेन्द्रीकरण की मूल भावना के विपरीत होने के कारण इस
संशोधन बिल को वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा कि नियामक आयोग की शक्तियां
राज्यों के पास ही रहनी चाहिए, केन्द्र को इनमें कोई
दखल नहीं देना चाहिए। डॉ.कल्ला ने जयपुर में विद्युत भवन से इस वर्चुअल कान्फ्रेंस
में शिरकत की। इस वर्चुअल कान्फ्रेंस में प्रदेश के ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन
सचिव श्री अजिताभ शर्मा, राजस्थान राज्य
विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी श्री पी. रमेश,
जयपुर
डिस्कॉम के एमडी श्री ए.के. गुप्ता तथा राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के एमडी श्री
अनिल गुप्ता सहित अन्य सम्बंधित अधिकारी मौजूद रहे।
ऊर्जा मंत्री ने कहा
कि महात्मा गांधी सदैव सत्ता के विकेन्द्रीकरण के पक्षधर रहे और उन्होंने लोकतंत्र
की मजबूती के लिए इसे सबसे कारगर नीति की संज्ञा दी। डॉ.कल्ला ने कहा कि इस बिल के
मसौदे पर उनकी कई राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों से चर्चा हुई है, जिन्होंने इस पर एतराज जाहिर किया है।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने भी इस प्रस्तावित संशोधन बिल के बारे में राज्यों
की भावना से अवगत कराने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।
डॉ.कल्ला ने
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के बारे में कहा कि इसे जिस तरीके से पेश किया
जा रहा है, उससे यह किसानों, राज्यों की कृषि अर्थव्यवस्था, आजीविका और आर्थिक विकास को प्रभावित
करेगी। उन्होंने कहा कि डीबीटी योजना के क्रियान्वयन के लिए इसके प्रावधानों से
पहले और बाद में केन्द्र, राज्य और उपभोक्तओं
के जुड़ाव की आवश्कता होगी, लेकिन बिल में इस
दिशा में किसी प्रकार का संकेत नहीं है।
ऊर्जा मंत्री ने
केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री से आग्रह किया कि केन्द्रीय नवी एवं नवीकरणरीय ऊर्जा
मंत्रालय के तहत राजस्थान को वर्ष 2019-2020
के
लिए कुसुम योजना के कम्पोनेंट-ए के तहत 325
मेगावाट
क्षमता का लक्ष्य आवंटित किया गया है, इसमें 400 मेगावाट की बढ़ोतरी कर इसे 725 मेगावाट किया जाए। उन्होंने कांफ्रेंस
में बताया कि कुसुम योजना के कम्पोनेंट-बी में राज्य को 25 हजार सौर ऊर्जा पम्प संयत्र लगाने का
लक्ष्य दिया गया था, इसके लिए प्रक्रिया
पूरी कर ली गई है, प्रदेश द्वारा इस
लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा।
डा.कल्ला ने कहा कि
कम्पोनेंट-सी में पहले 30-30 प्रतिशत राशि केन्द्र
सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा अनुदान के रूप में, नाबार्ड
द्वारा लोन के रूप भी 30 प्रतिशत एवं किसान
द्वारा 10 प्रतिशत वहन किए जाने
का प्रावधान था, इसे बदलकर अब 30 प्रतिशत केन्द्र सरकार एवं 70 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा दिए जाने का
प्रावधान कर दिया गया है। इसमें केन्द्र एवं राज्य की हिस्सेदारी 50-50 प्रतिशत किए जाने का आग्रह है, इससे योजना को गति देने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि सौभाग्य योजना के तहत राज्य में सोलर रेडिएशन की प्रचुर मात्रा
के कारण 200 वाट के कनेक्शन के
स्थान पर 100 वाट में ही कनेक्शन
कर दिए गए हैं। इसमें राज्य की 11 करोड़ 98 लाख रुपये की राशि केन्द्र में बकाया है, उसे शीघ्र जारी किया जाए।
ऊर्जा मंत्री ने
केन्द्रीय राज्य मंत्री से आग्रह किया कि राज्य सरकार की ओर से 2855 मेगावाट सोलर एनर्जी प्लांट तथा 1426 मेगावाट विंड एनर्जी संयत्रों की
स्थापना के लिए निविदाएं सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीई) को मंजूरी के
लिए भेजी गई है, इन लम्बित निविदाओं
के बारे में शीघ्र स्वीकृति जारी कराई जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में 5-5 हजार मेगावाट के सोलर एनर्जी के
संयत्रों की स्थापना के लिए एनटीपीसी और सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन के साथ सैद्धांतिक
सहमति बन गई है। इसके तहत राज्य को प्रत्येक यूनिट के लिए लेवी के रूप में 5 पैसे चार्ज करने की स्वीकृति दिलाई जाए।
डॉ.कल्ला ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से आग्रह किया की कोविड-19 के कारण केन्द्र सरकार द्वारा नकदी संचार के लिए जो पैकेज घोषित किया गया है, उसके तहत राजस्थान डिस्कॉम्स ने सीपीएसयू उत्पादकों, आईपीपी, आरई उत्पादकों एवं सीपीएसयू टास्क के बकाया भुगतान के लिए 4 हजार 461 करोड़ की अनुमति प्राप्त कर ली है। लेकिन इस राशि से राज्य उत्पादकों के बकाया का भुगतान नही किया जा सका है क्योंकि राज्य के उत्पादन और प्रसारण निगमों के 26 हजार करोड़ बकाया है, जो कुल बकाया राशि का 84 प्रतिशत है।
No comments