नारी विज्ञान उत्सव-2020 : विज्ञान एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं की जीवनी हुई साझा, समाज की धारणाओं को तोड़कर महिलाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में नई पहचान बनाई - शासन सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
जयपुर, 1 जुलाई। विज्ञान
एवं प्रोद्यौगिकी
विभाग ने
इंडियन एकेडमी
आफ साइन्स
एवं आई.ए.एस
एसोसिएशन सोसायटी
के साथ
संयुक्त रूप
से बुधवार
को ''नारी
विज्ञान उत्सव-2020'' (WOW WOMEN OF WONDER)
का वर्चुअल
प्लेटफार्म पर
ऑनलाइन शुभारम्भ
किया।
इस
अवसर पर
विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी विभाग
की शासन
सचिव श्रीमती
मुग्धा सिंह
ने सभी
वक्ताओं का
स्वागत करते
हुए बताया
कि नारी
विज्ञान उत्सव
2020
के माध्यम
से हम
आज विज्ञान
के क्षेत्र
में महिलाओं
द्वारा दिये
गये अभूतपूर्व
योगदान पर
चर्चा करेंगे।
उन्होंने कहा
कि आज
की नारी
हर क्षेत्र
में नये
कायाम हासिल
कर रही
है। उन्होंने
सेशन में
यह भी
बताया कि
लाल बहादुर
शास्त्री एकेडमी
ने श्रीमती
मुग्धा सिंह
को महिला
वैज्ञानिकों के
योगदान पर
श्रृंखला तैयार
करने का
अवसर दिया
है। उन्होंने कहा
कि विज्ञान
के क्षेत्र
में भी
महिलाओं ने
अपनी उपलब्धियों
से गरिमामयी
उपस्थिति दर्ज
कराई है।
इस श्रृंखला
को आगे
बढाना आज
हमारा व्यक्तिगत
और सामूहिक
दायित्व है।
लाइव
सैशन में
इन्डियन एकेडमी
ऑफ साईन्स, बेंगलुरू के
अध्यक्ष प्रोफेसर
पार्थ पी. मजूमदार
ने मध्यस्थ
कि भूमिका
निभाई एवं
सभी वक्ताओं
का परिचय
भी श्रोताओं
को दिया।
उन्होंने बताया
कि हम देश
के विभिन्न
कोनों में
बैठे महिला
वैज्ञानिकों और
डॉक्टर्स को
इस प्लेटफॉर्म
पर जोडेंगें।
कार्यक्रम
में प्रेसीडेंसी
यूनिवर्सिटी, कोलकाता
की उपकुलपति
डॉ. अनुराधा लोहिया
ने कहा
कि आधुनिक
भारत में
सावित्री बाई
फुले वह
प्रथम महिला
थीं, जिन्होनें
शिक्षा को
अपनी पहचान
बनाने में
सफलता प्राप्त
की। उनकी
सहयोगी फातिमा
शेख आधुनिक
शिक्षा प्राप्त
करने वाली
प्रथम मुस्लिम
महिला थीं।
बाल मनोविज्ञान
के क्षेत्र
में मारिया
मॉन्टेसरी, चिकित्सा
विज्ञान के
क्षेत्र में
डॉ. रूकमा बाई
एवं नारीवाद
की प्रतिनिधि
लेखिका ताराबाई
शिन्दे के
सम्बन्ध में
भी डॉ. लोहिया
ने जानकारी
प्रदान की।
आई.आई.टी. खड़गपुर में रसायनशास्त्र की व्याख्याता डॉ. स्वागता दासगुप्ता ने कहा कि विज्ञान के आविष्कार एवं उनके लाभ सार्वभौम हैं, अतः ज्ञान के क्षेत्र में लिंगभेद को समाप्त कर आगे बढ़ना ही एकमात्र विकल्प है। डॉ. मिताली चटर्जी ने प्रथम महिला मौसम वैज्ञानिक अन्नामणि के प्रारंभिक जीवन से ‘वेदर वोमेन ऑफ इण्डिया’ बनने की यात्रा पर प्रकाश डाला। डॉ. शुभ्रा चक्रवर्ती ने वनस्पति विज्ञान में अभूतपूर्व योगदान करने वाली महिला वैज्ञानिकों डॉ. जानकी अम्मल एवं डॉ. अर्चना शर्मा के अमूल्य योगदान की चर्चा की।
No comments