प्रदेश में बाल श्रम को रोकने के लिए चलाए जाएंगे विशेष अभियान
जयपुर,19 जून।
प्रदेश में बाल श्रम जैसी कुप्रथा को सम्पूर्ण समाप्त करने के लिए श्रम विभाग द्वारा
विशेष अभियान चलाए जाने के
निर्देश श्रम सचिव श्री
नीरज के पवन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शुक्रवार को विभागीय अधिकारियों की
समीक्षा बैठक में दिए।
श्रम सचिव श्री नीरज के पवन ने कहा कि कोरोना
के कारण गत 2-3 माह में लगभग सभी उद्योग लॉकडाउन के कारण
बंद रहे है तथा अब उद्योगों के प्रारंभ होने की शुरूआत है। उन्होंने कहा कि इस शुरूआत
के साथ ही सभी श्रमिक अपने-अपने निवास स्थान से पुनः अपने नियोजन के स्थान पर आ रहे
है। उन्होंने कहा कि यह श्रमिकों एवं उद्योगों के लिए एक नई शुरूआत है। यहां हमे यह
ध्यान रखना है कि इस दौर में श्रमिकों के काम पर लौटने के साथ-साथ कही बाल श्रमिक भी
किसी कार्य में नियोजन के लिए प्रस्थान ना कर
ले।
श्री पवन ने श्रम विभाग के निरीक्षकों एवं
अधिकारियों को निर्देश दिए कि अन्य सभी संबंधित विभागों यथा पुलिस, चाइल्ड लाईन, जिला प्रशासन, बाल कल्याण समितियां आदि के समन्वय एवं सहयोग
से बाल श्रमिकों का नियोजन एवं पलायन दोनो रोकने है। उन्होंने कहा की अभी हाल ही में जयपुर में खोह-नागोरियान
में चूडी कारखाने में काम करने वाले 10 बाल
श्रमिकों को मुक्त कराये जाने का कार्य विभागीय अधिकारियों व निरीक्षको द्वारा मुस्तेदी
से किया गया जिसकी प्रशंसा भी की एवं इसी भावना
एवं तत्परता से अन्य जिलों में भी बाल श्रम संभावित क्षेत्रों में कार्यवाही करने के
निर्देश दिये गये है।
श्री पवन ने सभी जिला स्तरीय श्रम अधिकारियों निर्देश
दिए कि जिलो में सघन अभियान चलाया जाएगा जिसमें मुख्य रूप से ईंट भट्टे, पटाखा उद्योग, अगरबत्ती, होटल
ढाबे आदि का निरीक्षण किया जाएगा। ऎसे संस्थानों में बाल श्रमिक नियोजित पाये जाने
पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी तथा नहीं पाये जाने पर नियोजक को बाल श्रम नियोजित नहीं
करने के संबंध में जानकारी प्रदान कर उनसे बाल श्रमिक नियोजित नहीं करने का शपथ-पत्र
लिया जाएगा।
संयुक्त श्रम आयुक्त,जयपुर श्री धर्मपाल सिंह चौधरी ने जयपुर
में बाल श्रमिक मुक्त कराने की उक्त घटना का विस्तार से बताया तथा बाल श्रमिक मुक्त
कराने के संबंध में की जाने वाली कार्यवाही एवं सावधानियों के संबंध में जानकारी प्रदान
की गई।
उन्होंने बताया
कि मुक्त कराये जाने वाले बाल श्रमिकों के नियोजकों से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के
निर्णय की पालना में अनिवार्य रूप से 20,000 रू.
की वसूली कर इस राशि से बालक का पुर्नवास करने एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार
बाल श्रम नियोजित करने हेतु अपना भवन,परिसर
उपलब्ध कराने वाले मकान मालिक के विरूद्ध कार्यवाही कर भवन,परिसर सीज करने की कार्यवाही सख्ती से करने
के निर्देश प्रदान किए। उन्होंने बताया कि न्यायालय में बाल श्रमिकों के प्रकरणों में
दोषी नियोजक कानूनी कमियों के कारण मुक्त न हो जाए इसके लिए घटना की एवं बयान लिए जाते
समय वीडियोग्राफी कराई जावें व सभी दस्तावेज सावधानी से एकत्रित कर लिए जावें।
No comments